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श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग-१
३७. आरंभडा
मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वामी मूलनायक प्रभुजी के दायी तरफ
श्री शंखेश्वरापार्श्वनाथ बायीतरफ श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथ
आरंभडा वासुपूज्य स्वामी जैन मंदिर
मूलनायक जी श्री वासुपूज्य स्वामी वि.सं. १९९७ में पू.आ. श्री विजय भक्ति सूरि म. की निश्रा में प्रतिष्ठा हुई है। पू.आ. विजय विनय चन्द्र सू.म.की यह जन्म भूमि हैं।
प्राचीन द्वारिका तीर्थ आरंभडा गाँव के पास है। यहाँ से मीठापुर के पास वसई गाँव में प्राचीन बावन जिनालय खंडित है।
श्री नेमिनाथ प्रभुजी के नाम से प्रसिद्ध श्रीकृष्ण वासुदेव की यह राजधानी थी- यहाँ पर द्वारिका तीर्थ का उद्धार करवाने की बहुत से जनों की भावना है। यहाँ के लोग मीठापुर रहते है। मे.नगीनदास वेलजी गांधी, मेन बाजार मीठापुर (ओखामंडल) जि. जामनगर
शरणुं तमारु भवोभव हुं तो, त्रिकरण योगे याचुं छु।
आज्ञा तुमारी शिरधारीने, पाय तुमारे लागुं छु, कर्मो ने हणवा भवाब्धि तरवा,आलंबन तुझ चाहुं छु।
ने सुशील शिव सुन्दरी ने वरवा, अनुपम शक्ति मांगु छु। मूरति अलौकिक निरखी ताहरी, नयन युगल मुज अति ठरे,
अमृत जेवी वाणी तारी, सुणीने मा चित्त ठरे, राज लेवाने हुं शिव नगरीनु, आव्यो छु हु अही कने,
कृपा करीजे हे वीतरागी, द्यो प्रभुजी द्यो मने
कृपा