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गुजरात विभाग ५ - जामनगर जिला
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मूलनायक - श्री मुनिसुव्रत स्वामी
३६. नाघेडी
मूलनायक जी श्री मुनिसुव्रत स्वामी
सुखकंद अमंद आणन्द, परम गुरु दीपतो, सुखकन्द रे,
निशदिन सूतां जागतां, हईडा थी न रहे दूर रे,
जब उपकार संभारीये तव उपजे आनंद पूर रे । तव ॥ जगत. सुख. ॥ २ ॥
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प्रतिष्ठा- वि.सं. २०३५ पोष वद- ११
पू. आ. श्री वि. जिनेन्द्र सूरिजी म. की निश्रा में हुई है। गोधले में
पू. आ. श्री वि. अमृतसूरिजी म. की प्रतिमा है।
जामनगर खंभालीया हाईवे से १ कि.मी. गाँव हैं। जामनगर ४ मील है।
नाथेड़ी जैन मंदिर
मुनिसुव्रत जिन बंदता, अति उल्लसित तन मन थाय रे, चंदन अनोपम निरखतां, मारां भव भवना दुःख जाय रे ॥ १ ॥ मारा भव भव नां दुःख जाये, जगत गुरु जागतो सुख कन्दरे, (ए आंकणी)
फ्री फ्री फ्री फ्री फ्री फ्री फ्री फ्रम जुम हम फ्री फ्री फ्र
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प्रभु उपकार गुण भर्या, मन अवगुण एक न मायरे,
गुण गुणानुबंधी हुआ, ते तो अक्षयभाव कहायरे ॥ ते ॥ जगत. ॥ सुख ॥ ३ ॥ अक्षम दद दीये प्रेमजे, प्रभुनुं ने अनुभव रूपरे, अक्षय स्वर गोचर नहि,
ओ तो सकल अभाव अरूपरे । अ तो ॥ जगत | सुख ॥ ४ ॥
अक्षर थोड़ा गुण घणा, सज्जनता तन लिखाय रे,
वाचक यश कहे प्रेम धी, पण मन मांहे परमादरे ॥ पण. ॥
जगत. ॥ सुख ।। ५ ।
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2008
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