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श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन भाग-१
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मूलनायक जी श्री मुनिसुव्रत स्वामी
ऊपर के भाग में अजितनाथजी ती प्रतिमा हैं। यह जोडिया आगे के समय
गृह मंदिर प्रतिष्ठा वि. सं. १९२० माघ सुदी ५ बाद शिखरबन्द जिन बढा-चढा बंदरगाह था और नगरी थी। नौका चालकों का संगम स्थान था। मंदिर बना प्रतिष्ठा वि. सं. १९६४ वै. सु. ५
संप्रति राजा के समय की प्रतिमाजी है। जामविभाजी का राज्य वि. सं. १९८५, जीर्णोद्धार वि. सं. १९६८ वै. सु. ६ (२) वि. सं. २०२५ जै. सु. ९ (१) (३) वि. सं. २०४० मा. सु. ११
आमरण जैन मंदिर
मूलनायक श्री शान्तिनाथजी
प्रतिष्ठा वि.सं. १९३८
७. आमरण
विशेष- कच्छ मांडवी के सेठ झवेरचंद भवानजी ने उनकी पत्नि
लाडकोर बाई के स्मरणार्थं यहाँ का मंदिर बनवाया है। जीर्णोद्धार वि. सं.
શ્રીમદુધિયૉક સંદર વિદ્યાપનપ્રસંગે
वाणानान्वषन
ચંદ અફીણીત
मूलनायक श्री शान्तिनाथजी
१९७३ माघ सुदि ७
प्राचीन धर्मशाला है। २०४१ में उपाश्रय बना है।
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