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________________ विसुद्धिमग्गो सत्त गीवट्ठीनि दण्डेन विज्झित्वा पटिपाटिया ठपितवंसकळीरचक्कलकसण्ठानानि। हेटिमहनुकट्टि कम्मारानं अयोकूटयोत्तकसण्ठानं। उपरिमं अवलेखनसत्थकसण्ठानं । अक्खिकूपनासकूपट्ठीनि अपनीतमिञ्जतरुणतालट्ठिसण्ठानानि। नलाटट्ठि अधोमुख?पितसङ्कथालककपालसण्ठानं। कण्णचूळिकट्ठीनि न्हापितखुरकोससण्ठानानि। नलाटकण्णचूळिकानं उपरि पट्टबन्धनोकासे अट्ठिसङ्कटितघटपुण्णपटलखण्डसण्ठानं । मुद्धट्ठि मुखच्छिन्नवङ्कनाळिकेरसण्ठानं। सीसट्ठीनि सिब्बेत्वा ठपितजज्जरलाबुकटाहसण्ठानानि। दिसतो द्वीसु दिसासु जातानि। ओकासतो अविसेसेन स्कलसरीरे ठितानि । विसेसेन पनेत्थ सीसट्ठीनि गीवट्ठीसु पतिट्ठितानि। गीवट्ठीनि पिट्टिकण्टकट्ठीसु, पिट्टिकण्टकट्ठीनि कटिट्ठीसु, कटिट्ठीनि ऊरुट्ठीसु, ऊरुट्ठीनि जण्णुकट्ठीसु, जण्णुकट्ठीनि जट्ठीसु, जचट्ठीनि गोप्फकट्ठीसु, गोप्फकट्ठीनि पिट्ठिपादट्ठीसु पतिट्टितानि। परिच्छेदतो अन्तो अट्ठिमिओन उपरितो मंसेन, अग्गे मूले च अञमजेन परिच्छिन्नानि । अयं नेसं सभागपरिच्छेदो। विसभागपरिच्छेदो पन केससदिसो येव। (८) २७. अट्ठिमिशं ति। तेसं अट्ठीनं अब्भन्तरगतं मिझं। तं वण्णतो सेतं। सण्ठानतो मध्यभाग की अस्थियाँ अपरिपक्व कटहल के बीज के आकार की तथा अग्रभाग की अस्थियाँ रीठे के बीज के आकार की हैं। सात गले की अस्थियाँ डण्डे में क्रम से पिरोये गये बाँस के कटे हुए छल्लों के समान है। निचली ठुड्डी (जबड़े) की अस्थि लोहार (कर्मकार) के लोहे की निहाई को बाँधने वाली जञ्जीर के समान है। ऊपरी (जबड़े की) अस्थि (ईंख के छिलके को) छीलने वाले हथियार (हँसुआ) के आकार की है। आँखों के गड्ढे और नाक के गड्ढे की अस्थियाँ कच्चे ताड़ (के फल) की गुठली के आकार की हैं, जिनकी गिरी निकाल दी गयी हो (और केवल खोल बचा हो)। ललाट की अस्थि औंधे मुँह रखे हुए शङ्ख से बने कटोरे के आकार की है। कनपटियों की अस्थियां नाई के छुरे रखने की थैली के आकार की हैं। ललाट और कनपटी से ऊपर के उस स्थान की अस्थि, जहाँ पर पगड़ी बाँधी जाती है, ईंढी के आकार की है। मूर्धा की अस्थि मुख पर से कटे हुए टेढ़े (आकार वाले) नारियल के आकार की है। सिर की अस्थियाँ सी कर रखे हुए जर्जरित (सूखी, पुरानी) लौकी के कटोरे के आकार की हैं। दिसतो-दोनों दिशाओं में उत्पन्न हैं। ओकासतो-सामान्यतः पूरे शरीर में हैं। विशेषतःसिर की अस्थियाँ गरदन की अस्थियों पर प्रतिष्ठित हैं। गरदन (गले) की अस्थियाँ पीठ की काँटे (नुमा) अस्थियों पर, पीठ की काँटे (नुमा) अस्थियाँ कमर की अस्थियों पर, कमर की अस्थियाँ जंघा की अस्थियों पर, जंघा की अस्थियाँ घुटने की अस्थियों पर, घुटने की अस्थियाँ नरहर की अस्थियों पर, नरहर की अस्थियाँ गुल्फ की अस्थियों पर, और गुल्फ की अस्थियाँ पैर की अस्थियों पर प्रतिष्ठित हैं। परिच्छेदतो-भीतर से अस्थि-मज्जा से, ऊपर से मांस से, आगे और मूल से एक दूसरे से परिच्छिन्न हैं। यह इनका सभाग परिच्छेद है। विसभाग परिच्छेद केश के समान ही है। (८) १. अवलेखनसत्थकं ति। उच्छु-तचावलेखनसत्थकं।
SR No.002429
Book TitleVisuddhimaggo Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDwarikadas Shastri, Tapasya Upadhyay
PublisherBauddh Bharti
Publication Year2002
Total Pages386
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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