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________________ अनुस्सतिकम्मट्ठाननिद्देसो यथा च केसानं, एवं सब्बकोट्ठासानं वण्णसण्ठानगन्धासयोकासवसेन पञ्चधा पटिक्कूलता वेदितब्बा । वण्णसण्ठानदिसोकासपरिच्छेदवसेन पन सब्बे पि विसुं विसुं ववत्थपेतब्बा । २०. तत्थ लोमा ताव पकतिवण्णतो न केसा विय असम्भिन्नकाळका, काळपिङ्गला पन होन्ति । सण्ठानतो ओनतग्गा तालमूलसण्ठाना। दिसतो द्वीसु दिसासु जाता। ओका ठपेत्वा केसानं पतिट्ठितोकासं च हत्थपादतलानि च येभुय्येन अवसेससरीरवेठनचम्मे जाता । परिच्छेदतो सरीरवेठनचम्मे लिखामत्तं पविसित्वा पतिट्ठितेन हेट्ठा अत्तनो मूलतलेन, उपरि आकासेन, तिरियं अञ्ञमञ्ञेन परिच्छिन्ना, द्वे लोमा एकतो नत्थि । अयं ने सभागपरिच्छेदो । विसभागपरिच्छेदो पन केससदिसो येव । (२) २१. नखा ति । वीसतिया नखपत्तानं नामं । ते सब्बे पि वण्णतो सेता । सण्ठानतो मच्छसकलिकसण्ठाना। दिसतो पादनखा हेट्ठिमदिसाय, हत्थनखा उपरिमदिसाया ति द्वीसु दिसासु जाता। ओकासतो अङ्गुलीनं अग्गपिट्ठेसु पतिट्ठिता । परिच्छेदतो द्वीसु दिसासु अङ्गलिकोटिमंसेहि, अन्तो अङ्गलिपिट्ठिमंसेन, बहि चेव अग्गे च आकासेन, तिरियं अञ्ञमञ्जेन परिच्छिन्ना, द्वे नखा एकतो नत्थि । अयं नेसं सभागपरिच्छेदो । विभागपरिच्छेदो पन केससदिसो येव। (३) ८१ ये. केश मल के ढेर पर उगी हुई फफूँदी के समान, इकतीस भागों के ढेर पर उत्पन्न हुए हैं। ये श्मशान में और कूड़े के ढेर आदि पर उत्पन्न साग के समान, और नालियों में उगे कमल या कमलिनी आदि के फूल के समान, अपवित्र स्थान पर उत्पन्न होने से अति घृणित ही हैं । यह इनकी ओकासतो (अवकाश की दृष्टि से) प्रतिकूलता है । (५) (१) केशों की तरह ही सभी भागों की वर्ण, संस्थान, गन्ध, आश्रय, अवकाश के अनुसार पाँच प्रकार की प्रतिकूलता जाननी चाहिये । वर्ण, आकार, दिशा, अवकाश, परिच्छेद के अनुसार सबका पृथक् पृथक् निश्चय (अधोलिखित प्रकार से) करना चाहिये २०. उनमें, लोम स्वाभाविक रूप में वण्णतो केश जैसे एकदम काले नहीं होते, अपितु कालापन लिये हुए भूरे होते हैं। सण्ठानतो - झुके हुए सिरों वाली ताड़ की जड़ों के समान होते हैं। दिसतो – दोनो दिशाओं में (शरीर के ऊपरी - निचले भागों में) होते हैं। ओकासतो - जहाँ केश हैं उस स्थान को और हथेली - तलवे को छोड़कर प्रायः शेष शरीर को ढँकने वाले चर्म में उत्पन्न हैं। परिच्छेदतो - शरीर को लपेटे हुए चमड़े में लीख (जूँ के अण्डे) के बराबर गहराई में घुसकर स्थित हो, नीचे से अपनी जड़ की सतह द्वारा, ऊपर आकाश द्वारा, चारों ओर एक दूसरे से परिच्छिन्न हैं। दो लोम एक साथ नहीं है- यह उनका सभागपरिच्छेद है। विसभागपरिच्छेद केश के समान ही है । (२) २१. नखा- -अर्थात् बीस नख-पत्र । वे सभी वण्णतो सफेद हैं। सण्ठानतो - मछली के टुकड़ों के आकार के हैं। दिसतो - पैर के नाखून निचली दिशा में, हाथ के नाखून ऊपरी दिशा में-यों दो दिशाओं में उत्पन्न हैं। ओकासतो - अगुलियों के पृष्ठभाग के छोरों पर प्रतिष्ठित है। परिच्छेदतो—दो दिशाओं में अंगुलियों के छोरों के मांस से, अन्त में अंगुली के पृष्ठ भाग के मांस से, बाहर और सामने की ओर से आकाश से, चारों ओर से एक दूसरे से परिच्छिन्न हैं ।
SR No.002429
Book TitleVisuddhimaggo Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDwarikadas Shastri, Tapasya Upadhyay
PublisherBauddh Bharti
Publication Year2002
Total Pages386
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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