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तत्त्वार्थसूत्रजैनागमसमन्वये
वणा ? एगिदियसंसारसमावरणजीवपण्णवरणा पंचविहा पराणत्ता, तं जहा-पुढवीकाइया श्राउकाइया तेउकाइया वाउकाइया वणस्सइकाइया ।
प्रज्ञा प्रथम पद कृमिपिपीलिकाभ्रमरमनुष्यादीनामेकैकवृद्धानि ॥२३॥ किमिया-पिपीलिया-भमरा-मणुस्स इत्यादि ।
प्रज्ञा० प्रथम पद संज्ञिनः समनस्काः ॥२४॥
जस्ल णं अत्थि ईहा अवोहो मग्गणा गवेसगा चिंता वीमंसा से णं सरणीति लब्भइ । जस्स णं नत्थि ईहा अवोहो मग्गणा गवेसगा चिंता वीमंसा से णं प्रसन्नीति लब्भइ ।
नन्दिसू० ४०