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तत्त्वार्थसूत्र जैनागमसमन्वय हिन्दी भाषानुवाद सहित
यह जो पुस्तक आपके हाथों में है इसका एक अलग संस्करण हिन्दी अनुवाद सहित भी छपा हुआ है। अनुवादक हैं-जैन संसार के धुरन्धर विद्वान्, साहित्यरत्न, जैनधर्मदिवाकर उपाध्याय श्री आत्माराम जी महाराज | भाषानुवाद बड़ा सरल और विस्तृत है । प्राकृत के साथ संस्कृत छाया भी दे दी गई है । टीका के सम्बन्ध में विशेष प्रशंसा की आवश्यकता नहीं। टीकाकार मुनिजी का नाममात्र ही पर्याप्त है । मूल्य २) डाकव्यय अलग छपाई बढ़िया बड़े मोटे टाइप में हुई है ।
प्राप्तिस्थान
लाला शादीराम गोकुलचन्द जैन जौहरी चाँदनी चौक, देहली