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तत्त्वार्थसूत्रजैनागमसमन्वये
श्रावरणिजाण दुण्हंपि, वेयाणिजे तहेव या अन्तराए य कम्मम्मि, ठिई एसा वियाहिया ॥२०॥
- उत्तमध्ययन अध्ययन ३३ सप्ततिर्मोहनीयस्य ॥१५॥ उदहीसरिसनामाण, सत्तरं कोडिकोडीश्रो। मोहणिजस्स उक्कोसा, अन्तोमुहुत्तं जहनिया ॥
उत्तराध्ययन अध्ययन ३३ गाथा २१ विंशतिर्नामगोत्रयोः ॥१६॥ उदहीसरिसनामाण, वीसई कोडिकोडीओ। नामगोत्ताणं उक्कोसा, अन्तोमुहुत्तं जहनिया ॥
. उत्तराध्ययन अध्य० ३३ गाथा २३ त्रयस्त्रिंशत्सागरोपमाण्यायुषः ॥१७॥ तेत्तीस सागरोवमा, उक्कोसेण वियाहिया। ठिइ उ अाउकम्मस्स, अन्तोमुहुत्तं जहन्निया ॥
उत्तराध्ययन अ० ३३ गाथा २३