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तत्त्वार्थसूत्रजैनागमसमन्वये
दुविहा पराणत्ता, तं जहा--"जीवदव्वा य अजीवदव्वा य ।"
अनुयोग० सूत्र १४१ नित्यावस्थितान्यरूपाणि ॥४॥ रूपिणः पुद्गलाः ॥५॥
पंचत्थिकाए न कयाइ नासी न कयाइ नत्थि, न कयाइ न भविस्सइ भविं च भवइ अ भविस्सइ अ धुवे नियए सासए अक्खए अव्वए अवहिए, निच्चे अरूवी।
नंदि सूत्र० सूत्र ५८ पोग्गलत्थिकायं रूविकायं ।
स्थानांगसूत्र स्थान ५ उद्दे० ३ सू०१
व्याख्याप्रज्ञप्ति शतक ७ उद्देश्य १० आ आकाशादेकद्रव्याणि ॥६॥ निष्क्रियाणि च ॥७॥