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जइ मंडियाइ जोगो
जइ सव्वं उवलद्धं, जइ जइ मंडियाइ जोगो (सं.दो.) ५४ जइ वहसि केसभारं छारं (ना.प्र) ३९ जइ वि सुपासे तिफणा (प्र.प.) ५४७ जइ मच्चुमुहगयाणं (भ.भा.)४८ जइ वा जुगवं चक्खुदंसण- (वि.ण.) १७८ जइ वि सुयनाणकुसलो (चं.प.) ४९ जइ मट्टियाए सग्गो (ना.वृ.) ६४ जइ वा णिज्जीवाई (वि.ण.) २५३ जइ वि सुयनाणकुसलो (चं.प.) ५६ जइ मट्टियाए सग्गो उदएण (ना.प्र) ६४ जइ वायंगणपमुहं (सं.दो.) ६२ जइविस्सामणमुचिओ (पंचा.) ४५ जइ मरणेण न कज्जं, (आरा.३)२३४ जइ वारस कम्मयरा चहु (गणि.) ७६ जइविस्सामणमुचिओ (वि.वि) १७५ जइ महसेणंगाई पिहुगब्भ- (धूर्ता.) २५३ जइ वा वसो ति धम्मो, (चे.म.) ५४१ जइविस्सामणमुचिओ, (श्रा.ध.) ११५ जइ मिच्छदिट्ठिआण वि, (पु.मा.) १४४ जइ वासुदेव पढमो पिआ (र.सं.) ४९ जइविस्सामण २० मुचिओ, (श्रा.दि.)५ जइ मिच्छदिट्ठियाण (आरा.१)५९५ जइ वि अपत्तेयवणेगिदितणू (सर्व.) ७ जइ विहि जिण उवएसो, (स.शा.) २७८ जइ मुग्गमासपभिइविदलं (सं.प्र.) १२०४ जइ विअ पल्लविपमुहा (प.द.) ९५ जइ वि हु अविरइकसाय- (सं.प्र.) १४६८ जइ मुणसि पावकम्म (वि.मं.) १२८ जइ विअ विदलप्पमुहं (प्र.प.) ४४६ जइ वि हु आभिग्गहिओ (स.श.) ७८ जइ मूलगुणे उत्तरगुणे (आरा.२) ३५९ जइ वि इमो सिद्धंतो (अ.प.) १५७ जइ वि हु आयसभावे भावे (उ.र.) २७ जइमे भागे बंधो, (बृ.सं.) ३२९ जइ वि इह वासुपुज्जो, (चे.म.) ५६७ जइ वि हु इच्छाकारो . (सामा.) १४ जइ मे होज्ज पमाओ (आउ.२)३३ जइ वि करेइ पमायं (चं.प.) १२९ जइवि हु उत्तमसावय- (षष्ठि.) १५६ जइ य चउप्पयवण्णा पण्हे (अ.चू.) ५३ जइ वि खमापरिभूया, (हि.उ.) ४९७ वि हु गणणाईया, (सप्त.) ३ जइयव्वं सव्वेणवि सुहत्थिणा (सं.मा.) ४ जइ वि गुणा बहुरूवा (ध.र.) ४२ जइ वि हु जिणंगसंगं, (सं.प्र.) १४८ जइया इगिदिथावर-जुयलं (श.भा.) ६५१ जइ वि चरसि तवं विउलं, (गु.कु.) ५ जइ वि हु जिणसमयम्मि (त.त.) १० जइयाओ अट्ठमी लग्गा (र.सं.) २८८ जइ वि ण आगमघडितं (ध.सं.) ५३३ वि हु ण दाणगहणप्प- (सामा.) ५८ जइ याणुभूइओ च्चिय (श्रा.प्र.) १९८ जइ वि तिरिआययाओ (वि.ण.) ७० हु तणुपत्ताइसु (च.मू.) २६ जइयाऽणेणं चत्तं, अप्पणयं (उव.) ४३४ जइ वि तुमं कुसल च्चिय (न.शा.) ३ वि हु दिवसेण पयं, (पु.मा.) २९ जइया तेरहियाई बावीस (सि.सा.)४९ जइ वि दिवसेण पयं धरेइ (र.सं.) ३१७ वि हु दुहत्तचित्तो, (विवे.) ३० जइया य समण-भोयण (पंचा.) ९६९ जइ वि दुसमदोसा भासरा- (द्वा.कु.) ९।१६ वि हु नो वयभंगो, (शी.उ.) १११ जइया य सयण
(उ.पं.) ३० जइ वि न आहाकम्म (सु.सि.) ४५ वि हु बहुविहमयभे- (द्वा.कु.) १६ जइया राग-द्दोसा गारव- (आरा.२)६५० जइ वि न आहाकम्म, (श्रा.दि.) १४७ वि हु मंगलभूयं (सामा.) ८१ जइया रे! पुढविजिओ (आरा.३) १६३ जइ वि न कीरइ रोसो, (य.शि.) १० जइ वि हु सकम्मदोसा, (दं.प.) ९९ जइया होइ तया किल (सि.सा.)१६८ जइ वि न चरित्तसज्जो, (विवे.) ३१ जइ वि हु सम्मुप्पाओ (प्र.प.) ७१८ जइ रक्खइ नेय अलियए, (जी.प्र.) ११२ जइ वि न पावइ सेटिं तहा (पंच.) १६१० जइ वि हु सव्वे एवंविह (चे.म.) ६०४ जइ रत्तसुअंगाओ हवंति (पि.क.)६ जइ वि न मणम्मि भत्ती, (हि.उ.) ३१४ जइवि हु सामन्नेणं (श.भा.)९९१ . जइ रायसासणं ता तदन्नणि- (ध.सं.) ३१२ जइ वि न वंदणवेला तेणाइ- (श्रा.प्र.) ३७३ जइ वि हु सावज्जं हेऊहिं (सं.प्र.) १०२३ जइरिच्छाए भएण व (ति.गा) २६३ जइ वि न सक्कं काउं सम्मं (य.स.) २०७ जइ वि हु सूरिवराणं, (गु.ष.) ३८ . जइलहुबंधो बायर, (क-५) ४९ जइ वि निगोयजियाणं (प्र.पा.) ५५ जइवुत्तमो अ पुरिसो (प्र.प.) ७७१ जइ लिंगमप्पमाणं, (गु.त.) ३१४३ जइ वि पडिलेहणाए हेऊ (प.कु.) ५ जइ वेयणासमूहे वर्सेतो (आरा.५)६५ जइ लिंगमप्पमाणं (जी.अ.)२५३ । जइ वि पडिलेहणाए, हेऊ (गाथा.) ५० जइसंखा हुंति जिया (गा.प्र.) १९ जइ लिंगमिच्छदिट्ठि, (बृ.सं.) १५५ जइ वि परिचत्तसंगो, (इ.प.) ४४ जइ संतं उवलद्धी किन्नो (ध.सं.) ६० जइ लेसा निस्संदो कम्माणं (सं.प्र.) १३०५ जइ वि परिचत्तसंगो, (पु.मा.) ४४९ जइ संति गुणा नणु, (हि.उ.) ३६२ जइ लोगतिरिअसेढी (वि.ण.) ६८ जइ वि परिचत्तसंगो (आरा.२)६४० जइ संपुण्णं एअं (साधु.) ४२ जइ वंससमुप्पन्नं भायसयं (धूर्ता.) ५१ जइ वि पसिद्धो दाया, (क.प्रा.१) १६२ जइ सक्खं जीववहो (स.श.) ३० जइ वग्गाण य वण्णा (अ.चू.) १० जइ वि पुहब्भावो (गु.त.) २४३ जइ सच्चं चिय भीओ (प्रा.सं.) ८१ जइ वग्गाण य वण्णा (अ.चू.) ३२ जइ वि बहुरूवधारी (वीर.) २७ जइ सच्चं जमपत्ती भुत्ता (धूर्ता.) ३९१ जइ वज्जसि सयचिंता (सं.मा.) ८१ जइ वि बहुहा न तीरइ, (चे.म.) ७९५ जइ सच्चं पवणसुओ खंडा- (धूर्ता.) २१३ जइ वणिसुआइ दुक्खं, (पु.मा.) ३०५ जइ वि य पडिमासु (गु.त.) ३१७९ जइ सच्चं पवणसुओ भीम- (धूर्ता.) ३७९ जइ वणिसुयाए दुक्खं (आरा.१)६६२ जइ विय पडिमासु जहा (सं.प्र.) ३१७ जइ सच्चं लंगुलं सुमहंतं (धूर्ता.) ४२३ जइ वहसि कह वि अत्थं, (पु.मा.) १५९ जइ वियरसि परपीडं नाऊण (उ.कु.२)१५ जइ सम्मं जिणधम्म (प्र.प.) ९५२ जइ वहसि कहवि अत्थं (आरा.१)६२८ जइऽवि वयमाइएहिं लहुओ (पंच.) १०१२ जइ सरइ सुरहिं वच्छो, (गु.ह.) १२ जइ वहसि केस भारं (ना.वृ.) ३९ जइ वि विउसाण न मणो- (पं.प.) ३ जइ सव्वं उवलद्धं, जइ (उव.) ४८३
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同标同何
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