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जं सक्कड़ तं कीरड़ जं
जं सक्कइतं कीरइ जं
जं सक्कइ तं हियए, धरितु
जं सग्गहम्मि कीरइ,
जं सच्छंदमईए रसु जं सद्दहाणलक्खण, भूसण
जं समए उवसंत एवं
जं समए जावईयं पवयण
जं समयं उदयवई,
जं समयं जावइयाई,
जं सम्मत्तं निस्सं, कियाइ
जं सम्मनाणमेयस्स तत्त
जं सम्मवंदणाए, जायइ जं सव्वघाइपत्तं सगकम्मसव्वाणमो इह
जं सव्ववदेसा जायह
जं सव्वण्णुहि वारियर, जं सव्वदव्व-पज्जवपत्तेय
जं सवनाणी पभणेड़
जं सव्चलक्खणधरे जं सव्वसतु तह सव्ववाहि जं सव्वा न सुते पडिसिद्धं जं सव्वहान सुत्ते पडिसिद्धं जं सव्विदियजमिहि, जं सव्वे वि वियारे जंसा अहिगयराओ, कम्मजंसा अहिगयराओ कम्म जं साइयारमेयं खियं साणुबंधमेवं एवं जं सामण्णपहाणं गहणं
जं सामन्त्रं गहणं भावापां
(वि. सा.) ३९८ (प्र.स. ) ३२
(दि. शु.) १३२
जं सुतम्मिय भणियं
जं सुत्ते निद्धिं पमाणमिह
सुत्ते निद्दि पमाणमिह सुद्ध देवगुरु, धम्म जं सुद्धाणदंसण,
(गु.श.) ४७ ( न.प.)
७४
(पं.सं.) ८०१
(सं.प्र.) ६५५
(ध.सं.) ५०३ (बा.बो.) ३१ (वीर.) २८ (श्रुता.) १२९ (न.मा.) १।५६ (वि.वि) ३६८ (य.स.) १० (ध.र.) ८४
(पं.सं.) ३८५ (पं.सं.) २८६ (आ.प्र.) ९ (वि.वि) २३६ (चे.म.) २६१ (कर्म.) २५ (ध.सं.) १२३२ जं सोहणमत्थपयं,
(ज्ञा.कु.) ७७
(प्रा.सं.)६
(श्री.ध.) ७० (पंचा.) ५
जं सामन्नग्गहणं दंसण
(ष. स.) ४३ (स.सू.) ५५
जं सामिकालकारणविसयप (ध.सं.) ८५२
जं सावयदव्यथओ बहु जं सावयाण धम्मे ज साहूण न दित्रं कचि
जं सीसपसीसाणं जुगवं जं सीसाणं सुकुलुब्भवाण सुंदरबुद्धीए नवीणकरणं
जं सुत्तत्युभयाणं
(प्र.प.) २०० (प्र.प.) ९०२ (न.प्र.) १२५ (प.वि.) ७५ (दा.मा.) ९७ (ई.प. ) ३०
ज
जं सुद्धिकारणकयं
| जं सुरतिरिक्खमाणुसजं सुहं तस्स जे हेऊ,
जं सुहले किच्चं अज्झ
जं सुहुमं बायरं वा
जं सूल - क्खडसामलि
जं से पत्तेयंतरं
(प.द.) ५७
(स.शा.) ११४ (पंचा.) ९४२ (उ.पं.) २ (न.प.) ६६ (आ.प्र.) ५२
जं सो उक्किट्ठयरं अविक्खइ जंसो उक्कियर अविक्खई जंसो जिदिकोसा
जं सो दसबावट्ठीवरिसे जं सो पहाणतरओ, आसयजं सो सवा वि पार्थ मणेण
जं हीणा तुल्लत्तं वहति
जं हेओवादेअं केवलिणो
(स.श.) १४
जं होअतक्कियं चिय देव्वकयं (ध.सं.) ७८५
जं होइ अण्ण
जं होई किरविरियं
( श्रा. प्र.) ९६
जइ अंगुलीए घेत्तुं
(उ. प.) ७७३
| जइ अक्रअणभिहया,
(ध.सं.) १३६८ जइ अ चवग्गो लद्धो तह
जाइ अन्न वि जीव! तुमं जाइ अणगलिये तर्क पमाय
जइ अण्णं अच्छित्रं
जं हरिस विसाएहिं चितं जं हवइ भागलई सं
जं हवाइ भागल, सव्वेसि जे हव वग्गरासी तस्संताओ जं हवइ विविहरूवं वट्ट जं हवति तत्थ से
जं हवति भागल
| जइ अमरगिरिसमाणं
जइ (अ) विहिजुयपूयाए, जई (अ) विहिजुयपूयाए ज असुहकम्मवसओ, | जइआइ होइ पुच्छा जिणाण |जइआ जंबूमंदरनगाठ | जइ आजम्मदरिदा, जगंधा
(आय. २) ५९३ जह आणानिरविवस्त्रा (नं.अं.) ८ जआणेणं च (उप.) २१२३ जइ आसायणभीरू, सुंदर (श्रुता.) १५७ जइ आसि पुव्वपुरिसा जइ आसि मज्झ तुह (आरा. ३) ४६ (आय. २) ७६१ जड़आ होई पुच्छा तइया (सि.प्रा.) ६५ जइआ होही पुच्छा, तइआ (स्त) १९५ जइ इंदजालिएणं काउं (पंच.) १३०४ ज इच्छसि अप्पसुहं खिनो (प्र.प.) ७९७ (प्र.प.) ३६१ (उ. प.) ७३१
जइ इच्छसि चिरसंचियजइ इच्छसि भो साहु बारस
जइ इच्छसि लंघेउं संसारं
(पंच.)
१६८०
जइ इच्छसि सिद्धिपुर
(गु.त.) ४१७२
(प्रमा.) २४ (जो. प.) १६८ (बृ.क्षे.) ४३८ (गणि.) ३७ (गणि.) १७३ (जो. प.) ३५८ (जो. प.) ३११ (उ.र.) ९६
(आरा. २) ३५२ (श.भा.) ९९६
(प्रत्या.) २१४
(ज.पा.) २२०
(अ.चू.) ३५ (च.शि.) २५ (र.सं.) २५६ (ई.प.) ३१ (ध.सं.) २३६ खा.बी.) ८८ (सं.प्र.) ३६० | जइ अप्पभावपगुणं विसुद्ध - (सं.प्र.) ३१२
जइ अन्न किं णिच्चो
जइ अप्पई सब्बई जइ अप्पणा विसुद्धो
| जइ अब्भत्थिज्ज परं
जड़ अभिधारैति तओ,
१३८
जड़ एवं च गणिज्जा,
(प्र.प.) ७५३
(गु.त.) २२११७ (चे.म.) ६६
जइ इच्छसि सिद्धिपुरं गंतुं
जइ इच्छह गुरुयत्तं, जइ इच्छह णिव्वाणं, जड़ इच्छह परमपदं अहवा जड़ इच्छह सयलसुक्खए जइ इत्थीणं वत्थं सहजायं जइ उअहि अगत्थीणं पीआ जइ उग्गहमित्तं दंसणमिति जइ उत्तिमरयणंतरि इको
जड़ उप्पत्तिसहावं अफलो
जइ उप्पा (? ग्घा) डण
जइ उवसंतकसाओ, लहइ
जइ उवसंतकसाओ लह
ज उवहिभारगहणं इ
जइ
जइ एअं पि अ वयणं
जइ एगत्तं दोह वि
जइ एगवारमित्थ य जइ एमसलागाए, एकदिसि
जड़ एगागी वि हु
जइ एगागी वि हु विहरणजइ एगो च्चिय रागो
जइ एगो तित्थयरो अणेगजइ एगो देइ थुई, अहऽणेगे
(प्र.सा.) ७६२ जइ एत्तियमेत्तं चिय, (गु.त.) २।२४८ जइ एयं सामरिंग धम्मे (भ.भा.) ८८ |जह एवं किं गिहिणो (कूप) ८ (उ.चि.) २४८ (न.त.) ६० (मं.प्र.) ५८ (चे.म.) ११५
(मि.म.) ८
(गु.वि.) ५४
(र.सं.) १४६
(गाथा.) २३६
(म.भा.) १५ (आ.हि.)७
जइ एवं चउमासं चउहिं जइ एवं च गणिज्जह,
(वि. सा.) ८१६ (अ.उं.) २३ (वि.मं.) १४०
(आय. १) ५७७
(मिथ्या.) १०
(गु.कु.) १२
(इ.स.) ६८
(वै.रं) ४३ (जी.प्र.) ११३
(प्र.प.) १२८
(धूर्ता.) २९६ (स.सू.) ७७
(र.प.) १८ (भ.सं.) ४४७ (बा.बो.) १५
(पु.मा.) ३१५
(चं.प.) १४५
(अ. प.) १४
(प्र.प.) २७६
(वि.ग.) १६२
(न.मा.) ४।११ (ल.शु.) ६३
( नव. ४) १०० (प्र.सा.) ५२३ (आ.शा.) २४
( स.श.) ८९ (चे.म.) ४९९ (चे.म.) ८२७ (आ.हि.)३
(पंच.) १८६
जइ एवं किं भणिया जइ एवं किं भणिया,
(उ. प.) ५०१ (चे.म.) ३४
जइ एवं कीस गुणी थेरविहारं (पंच.) १५६३
(प्र.प.) २३२ (स.शा.) १९६