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छठेथी मांडीने नवमा गुणस्थानक सुधी मनःपर्यव ज्ञानावरणनी मार्गण - प्रमाणे जाणवू. . ३६ परिहारविशुद्धि चारित्रनी मार्गणाए ओघे उपर प्रमाणे. तथा छटुं अने सातम
गुणस्थानज होवाथी तेने माटे उपर प्रमाणे जाणवू. ३७ सूक्ष्मसंपरायनी मार्गणाए ओघे १४८ नी सत्ता होय. अथवा अनंतानुबंधी ४,
तिर्यगायु १, नरकायु १, ए ६ प्रकृति विना १४२ नी सत्ता होय. तेने एक दशमुंज गुणस्थानक होय. ते मनुष्य गतिनी मार्गणा प्रमाणे जाणवू. ३८ यथाख्यात चारित्रनी मार्गणाए ओघे दशमा गुणस्थानक प्रमाणे. अग्यारमाथी ___ मांडीने चौदमा गुणस्थानक सुधी मनुष्य गतिनी मार्गणा प्रमाणे जाणवू. ३९ देशविरति मार्गणाए ओधे १४८ नी सत्ता होय. तेने एक पांचमुंज गुणस्थान . मनुष्य गति प्रमाणे होय. . ४० अविरति मार्गणाए ओघे तथा पहेलेथी गुणस्थान चार सुधी मनुष्यगतिनी
मार्गणा प्रमाणे होय. ४२ चक्षु अने अचक्षु दर्शननी मार्गणाए ओधे तथा पहेलेथी बारमा गुणस्थान सुधी । मनुष्यगति प्रमाणे जाणवू. ४३ अवधि दर्शन मार्गणाए अवधि ज्ञान प्रमाणे जाणवं. ४४ केवळ दर्शन मार्गणाए केवळ ज्ञान प्रमाणे जाणवू. ४७ कृष्णलेश्या अने कपोतलेश्या ए त्रण मार्गणाए ओघे तथा पहेलेथी छटा
गुणस्थान सुधी मनुष्य गतिनी मार्गणा प्रमाणे जाणवू. ४८ तेजोलेश्या अने पद्मलेश्यानी मार्गणाए ओघे तथा पहेलेथी सात गुणस्थानक
सुधी मनुष्य गतिनी मार्गणा प्रमाणे जाणवू ५० शुक्ललेश्यानी मार्गणाए ओघे तथा पहेलेथी तेरमा गुणस्थान सुधी मनुष्य ___ गतिनी मार्गणा प्रमाणे जाणवू. ५१ भव्य मार्गणाए ओघे तथा पहेलेथी चौदे गुणस्थानके मनुष्य गति प्रमाण
जाणवू. ५२ अभव्य मार्गणाए ओघे तथा मिथ्यात्व गुणस्थाने जिन नाम १ अने आहारक
द्विक २ ए त्रण प्रकृति विना १४५ नी सत्ता होय. ५३ उपशम समकितनी मार्गणाए ओघे तथा चोथेथी अग्यारमा गुणस्थानक सुधी
भनुष्य गतिनी मार्गणा प्रमाणे जाणवू.
जाणवं