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[२०५] नो उदय अविरतिने तथा वैक्रियने आहारक संयतिने, ३० नो उदय समविती वा मिथ्यात्वीने, ३० विनाना ६ उदयस्थानमां बे बे सत्तास्थान ९२-८८. तेमां आहारकने तो एक ज ९२ नु. तथा ३० ना उदयमां चार सत्तास्थान ९२-८९-८८-८६. तेमां ८९ नु नरकगति प्रायोग्य २८
बांधतां मिथ्याद्रष्टिने समजq. कुल २८ ना बंधमां सत्तास्थान १६. २९ देवगति प्रायोग्य तीर्थकर नाम सहित बांधतां ७ उदयस्थान २८ ना बंध
प्रमाणे समजवां. तेमां ३० नो उदय समकित द्रष्टिने ज जाणवो. कारण के आ २९ ना बंधमां तीर्थकर नामकर्मनो बंध होय छे. ते साते उदयस्थाने बेबे सत्तास्थान ९३-८९. अने आहारकने ९३ नुं एक ज. सर्व
मळीने सत्तास्थान १४. आहारक सहित ३० बांधतांबे उदयस्थान-२९-३०. तेमां जे आहारक संयती
अंतिमकाळे अप्रमत्त होय तेने आश्रीने २९, प्रमत्त आश्रीने ३०. आहारक बंध हेतु सिवाय वीजा २९ ना उदयमां विशिष्ट संयमनो अभाव होवाथी
बन्ने उदयस्थानमा सत्तास्थान ९२ मुं. ३१ ना बंधमां एक ज उदयस्थान ३० मुं. तेमां १ सत्तास्थान ९३ नं. एकविध बंधमां एक उदयस्थान ३० मुं. तेमां सत्तास्थान ८ छे(९३-९२-८९-८८
-८०-७९-७६-७५). सर्व चंधस्थाने मळीने सत्तास्थान १५९.
(२३-२५-२६-२९-३० मा २४-२४, २८ मां १६, देवगतिप्रायोग्य
जिननाम युक्त २९ मां १४, ३१ मां १, १ मां ८, कुल १५९. चंध अभावे उदय अने सत्तास्थाननो संवेध पूर्वे सामान्य संवेधमां कह्या प्रमाणे
समजवो. हवे देवगति आश्री संवेध कहे छे.
२५ ना बंधमां ६ उदयस्थाने २ सत्तास्थान-९२-८८. २६-२९ ना बंधमां पण ए ज प्रमाणे. उद्योत सहित तिर्यक् गति प्रायोग्य ३० बांधतां पण ए ज प्रमाणे ९२-८८. तीर्थकर नाम सहित मनुष्य गति प्रायोग्य ३० बांधतां छए उदयस्थाने बेबे
सत्तास्थान-९३-८९.
सर्व मली सत्तास्थान ६०. गाथा ५४. हवे इंद्रिय आश्री कहेतां प्रथम बंध कहे छ.--
एकेंद्रियने ५ बंधस्थान--२३-२५-२६-२९-३०. ....