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थाय ते पूर्वनी (१३४०१ ) राशिमां नाखवाथी कुल १४१०५ भंग थया. ed अविरत समकित ने औदारिकमिश्रमां पुंवेदनो उदय ज होय. केमके स्त्रीवेदमां अने नपुंसक वेदमां उपजवानो तेने अभाव छे. ( आ वचन पण बहुलता
श्री जाणवुं. केमके मल्लीनाथ विगेरेने स्त्रीवेदमां उत्पादनो संभव छे ) तेथी औदारिकमिश्रे एक ज वेद गणतां ४ कषाय अने २ युगलसाथे आठ आठ भंग (अष्टक) अष्टविध उदय प्रकारे होय. तेना भंग ६४ थाय. ते पूर्वनी (१४१०५) राशिमां नाखवाथी कुल भंग १४१६९ (११३८६-२०-१६ ७०४ - ६४) योग आश्री भंग थाय.
हवे उदय आश्री पद संख्या कहे छे
पूर्वे जे पद संख्या करी छे तेमां १०-९-८ विगेरेना उदयने एकंदर करी गुण्या छे, तेम आ दरेक गुणस्थाने गुणवा, एटले पहेले गुणस्थाने ६८ नीचे प्रमाणे १०×१=१०, ९×३=२७, ८×३= २४, ७×१=७.
एज प्रमाणे बीजे गुणस्थाने ३२–
९×१=९, ८x२=१६, ७×१=७
एज प्रमाणे त्रीजे ३२, चोथे ६०, पांचमे ५२, छट्ठे ४४, सातमे ४४, आठमे २० कुल ३५२ ने २४ साथै गुणतां ८४४८ तेमां नवमाना द्विकोदयना १२x२= २४, अने नवमा दशमाना एकोदयना ५, कुल २९ नाखतां ८४७७ थया. तेने ४ मनयोग, ४ वचनयोग, १ औदारिक काययोग, ए९ साथे गुणतां कुल ७६२९३.
वैक्रिय काययोगमां मिथ्यादृष्टिने उपर प्रमाणे ६८ अने वैक्रियमिश्र, औदारिकमिश्र, अने कार्मण काययोगमां प्रत्येके ३६- ३६ थाय कुल १०८, ( १०×१==१०, ९×२=१८, ८x१=८,=३६. ) अनंतानुबंधी रहित चोवीशीओ न पामवाथी.
सासादनने कार्मण काययोग, वैक्रिय काययोग अने औदारिक मिश्रमां उपर प्रमाणे ३२ - ३२ होवाथी कुल ९६.
मिश्र ने वैयि काययोगमां पूर्ववत् ३२.
अविरतने वैक्रिय काययोगमां पूर्ववत् ६०
देशविरतने वैक्रिय अने वैक्रियमिश्रमां पूर्ववत् ५२-५२ कुल १०४. प्रमत्तने वैक्रिय अने वैक्रियमिश्रमां पूर्ववत् ४४-४४-कुल ८८. अप्रमतने वैक्रियमां पूर्ववत् ४४.
कुल ६८-१०८- ९६-३२-६०-१०४-८८ - ४४ सर्व मळी ६००.