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* त्रिगुणात्मक जीवन के पार *
के हिस्से हैं।
| पादरी हैं सारी दुनिया में। बड़ा साम्राज्य है। बारह लाख पुरोहित, अर्जुन की समस्या आपकी भी समस्या है; हर आदमी की | | छोटा-मोटा साम्राज्य नहीं है! फिर इन बारह लाख में से एक समस्या है। और जब आप लड़ेंगे, तो जिसको आप दुश्मन मान रहे | आदमी पोप पाल तक पहुंच पाता है। इसके चुनाव हैं, सीढ़ियां हैं, हैं, जिनको आप दुश्मन मान रहे हैं, अगर थोड़ा पहचानेंगे, गौर उनको पार करते-करते कोई एक आदमी पहुंच पाता है। तीस वर्ष करेंगे, तो पाएंगे, सगे-संबंधी उस तरफ भी खड़े हैं। अन्यथा हो अंदाजन, तीस-चालीस वर्ष में कोई एक आदमी पोप हो पाता है। भी नहीं सकता।
जीसस मर गए तैंतीस वर्ष में। पोप होते-होते कोई भी आदमी __ इसलिए मैं कहता हं कि ठीक से सोचने पर पाएंगे कि प्रत्येक पचास साल पार कर जाता है, साठ पार कर जाता है। बूढ़ा ही व्यक्ति महाभारत के युद्ध में है। और थोड़ा होश हो, तो आप भी आदमी पोप हो सकता है। क्योंकि यह जो पदों की परंपरा है, यही पूछेगे, जो अर्जुन पूछ रहा है। और थोड़ा होश हो, तो आप एक-एक सीढ़ी चढ़ना है। अगर जीसस होते, कभी पोप नहीं हो भी कृष्ण को खोजेंगे, जैसा अर्जुन ने खोज लिया है। और गीता | पाते, क्योंकि तैंतीस साल में कोई पोप हो ही नहीं सकता। उसका आपके लिए भी सार्थक हो सकती है।
तो एक ढांचा है। और तैंतीस साल के आदमी पर भरोसा भी नहीं धर्मराज मूल्य के नहीं हैं, उनका बहुत मूल्य नहीं है। अर्जुन | किया जा सकता। कोई परंपरा भरोसा नहीं कर सकती कि उसको मूल्यवान है। और ऐसा सदा होता है। आज भी पंडित हैं, धर्मगुरु | | पोप बनाए। तैंतीस साल का आदमी खतरनाक है। हैं, पोप हैं, शंकराचार्य हैं, मठाधीश हैं, साधु हैं परंपरागत, । अमेरिका में हिप्पी युवकों का एक नारा है कि तीस साल के ऊपर संन्यासी हैं, उनका धर्म से कोई संबंध नहीं है। वे सब धर्मराज हैं। | जो हो, उसका भरोसा मत करो। क्योंकि तीस साल के बाद उनकी खोज वास्तविक नहीं है। उनके लिए धर्म भी एक लकीर है, | मुश्किल है कि आदमी बेईमान न हो जाए। अनुभव आदमी को सुविधापूर्ण है, कनवीनिएंट है। उसके साथ जीने में उन्हें आराम है, बेईमान बनाना शुरू कर देता है। और वह जितना अनुभवी होने सांत्वना है। और ऐसा सदा हो जाता है।
लगता है, उतनी ही क्रांति क्षीण हो जाती है। ___ एक तरफ जीसस है, जो सूली पर लटकता है और एक तरफ ___ इसके विपरीत मैं अभी एक लेख पढ़ रहा था। जिसमें एक बूढ़े वेटिकन का पोप है। क्या संबंध है? इतना ही संबंध है कि सली| आदमी ने लेख लिखा है और उसने कहा है कि तीस साल से कम पर जीसस लटकता है, वेटिकन का पोप सोने की एक सूली अपने | आदमी का कोई भरोसा मत करो। उसकी भी दलीलें हैं। वह कहता गले में लटकाए है। क्या संबंध है? सूलियों में गले लटकाए जाते है, तीस साल के पहले आदमी का अनुभव ही नहीं है। और हैं, गले में सूलियां नहीं लटकाई जातीं! और फिर सोने की सूली जिसका कोई अनुभव नहीं, उसकी बातों का कोई भरोसा नहीं है। का क्या अर्थ है? ये धर्मराज हैं।
उसे मनुष्य जाति के इतिहास का कोई खयाल नहीं है। . पोप को आप अधार्मिक नहीं कह सकते। नियम से जीते हैं। | जो भूलें हजार बार हो चुकी हैं, जवान हमेशा उन्हीं को दोहराता समय पर प्रार्थना करते हैं। समय पर बाइबिल पढ़ते हैं। जीवन को | है, क्योंकि उसके पास कोई अनुभव नहीं है। बूढ़ा कभी भूलें नहीं आचरण में बांध रखा है। कोई चोर नहीं हैं, बेईमान नहीं हैं, | दोहराता। लेकिन बूढ़ा कभी कोई नया काम ही नहीं करता; भूलें व्यभिचारी नहीं हैं। जो दस आज्ञाएं बाइबिल में हैं, शायद उनको दोहराने का कोई कारण नहीं है। भूल तो उससे होती है, जो नया पूरी तरह पालन करते हैं। लेकिन फिर भी धार्मिक नहीं हैं। फिर भी काम करता है। जीवन में वह ज्योति नहीं है, जो जीसस के जीवन में है। __ जीसस पोप नहीं हो सकते। अगर आदि शंकराचार्य पैदा हों, तो
जीसस की खोज अपनी है। प्राणों को दांव पर लगाया है, तो किसी मठ के शंकराचार्य नहीं हो सकते। तैंतीस साल में शंकराचार्य खोजा है। पोप की खोज अपनी नहीं है; एक परंपरागत व्यवस्था | समाप्त हो गए। है। पोप एक पद है। जीसस कोई पद नहीं है। और जीसस होने में । कुछ कारण हैं। एक तो परंपरागत सिंहासन है। उन पर पहुंचता कठिनाई है, पोप होने में सुविधा है। सभी पोप होना चाहेंगे। जितने ही वह है, जो बिलकुल मुर्दा होता है। नहीं तो गुजर नहीं सकता है। ईसाई पादरी हैं, सभी प्रतिस्पर्धा में हैं कि वे कब पोप के पद तक | बीच की जो सीढ़ियां हैं, उनसे कभी का हटा दिया जाएगा। अगर पहुंच जाएं। लाखों में एक पहुंच पाएगा। बारह लाख कैथोलिक | जरा-सी भी बगावत का लक्षण है, जरा-सा भी स्वयं के सोचने का
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