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| मैंने गीता पर इधर इन पांच वर्षों में कहा है, उससे गीता अत्याधुनिक
हो जाती है; बीसवीं सदी की घटना हो जाती है। अब पिछले पांच हजार साल को हम भूल सकते हैं।
जो मैंने कहा है, उसमें गीता के पुराने पड़ते रूप को एकदम अत्याधुनिक कर दिया है। इन पांच हजार सालों में जो भी घटा है, मनुष्य की चेतना ने जो नयी-नयी करवटें ली हैं, नयी-नयी विधाएं खोजी हैं, मनुष्य की
चेतना ने जो नए अनुभव किए हैं, उन सब को मैंने समाविष्ट कर दिया है। अब गीता को नया खून मिल गया है।
-ओशो