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* जीवन की दिशा *
जीवन है। वृक्ष अपने आप में मूल्यवान है। हम उसका शोषण नहीं | सम्राट, तुम सुखी हो। कर सकते। अहिंसा की धारणा इसी बात से निर्मित है। जीवन में सोलन ने कहा, झूठ मैं न कह सकूँगा। मृत्यु में कुछ हर्जा नहीं जो भी परम है, श्रेयस्कर है, वह सब इसी विचार से निकलता है। ।। है, क्योंकि मरना मुझे होगा ही; किस निमित्त मरता हूं, यह गौण है।
लेकिन पहली बात तो बिलकुल आसान है। हम सभी को | तुमने मारा, कि बीमारी ने मारा, कि अपने आप मरा, यह सब गौण लगता है कि मैं ही केंद्र हूं; मेरा हित, मेरा स्वार्थ, मेरा अहंकार! है। मौत निश्चित है। झूठ मैं न कहूंगा। शाश्वत सुख ही सुख है। शेष सब...।
क्षणभंगुर सुख दिखाई पड़ता है, लेकिन दुख है। सम्राट! तुम भूल मैंने सुना है, यूनान में एक सम्राट ने उन दिनों यूनान के एक महा में हो। मनीषी सोलन को अपने राजमहल बलाया। सोलन एक सकरात गोली मार दी गई। जैसा मनीषी था। सम्राट ने बुलाया सिर्फ इसलिए कि सोलन की फिर दस वर्षों बाद, यह सम्राट पराजित हुआ। विजेता ने इसे बड़ी ख्याति थी। उसके एक-एक शब्द का मूल्य अकृत था। तो अपने महल के सामने एक खंभे पर बांधा। जब वह खंभे पर लटका कुछ उससे ज्ञान लेने नहीं बुलाया था। कुछ उससे सीखने नहीं | था और गोली मारे जाने को थी, तब उसे अचानक सोलन की याद बुलाया था। सिर्फ सोलन को बुलाया था कि देख मेरे महल को! | | आई। ठीक दस वर्ष पहले ऐसा ही सोलन खंभे पर लटका था! तब मेरे साम्राज्य को! मेरी धन-संपदा को! और सम्राट चाहता था कि | | उसे उसके शब्द भी सुनाई पड़े, कि जो शाश्वत नहीं, वह सुख सोलन प्रशंसा करे कि आप जैसा सुखी और कोई भी नहीं है, तो | || नहीं। जो क्षणभंगुर है, उसका कोई मूल्य नहीं। यह चमकदार दुख इस वचन का मूल्य होगा। सारा यूनान, यूनान के बाहर भी लोग | है सम्राट! उसी चमकदार दुख को सुख मानकर यह सम्राट इस समझेंगे कि सोलन ने कहा है।
खंभे पर लटक गया। सोलन आया, महल घुमाकर दिखाया गया। अकूत संपदा थी सम्राट की आंखें बंद हो गईं। वह अपने को भूल ही गया, सम्राट के पास, न मालूम कितना उसने लूटा था। बहुमूल्य पत्थरों | सोलन को देखने लगा। और जब उसे गोली मारी जा रही थी, तब के ढेर थे, स्वर्ण के खजाने थे, महल ऐसा सजा था, जैसे दुल्हन | | उसके होंठों पर मस्कराहट थी। और आखिरी शब्द जो उसके मंह हो। फिर सम्राट उसे दिखा-दिखाकर प्रतीक्षा करने लगा कि वह | से निकले, वे यह थेः सोलन, सोलन, मुझे क्षमा कर दो। तुम ही कुछ कहे। लेकिन सोलन चुप ही रहा। न केवल चुप रहा, बल्कि सही थे। गंभीर होता गया। न केवल गंभीर हुआ, बल्कि ऐसे उदास हो गया, विजेता सम्राट सुनकर चकित हुआ; कौन सोलन ? किसके
जैसे सम्राट मरने को पड़ा हो और वह सम्राट को देखने आया हो।। | वचन सही? और इस मरते सम्राट के होंठों पर मुस्कुराहट कैसी? __ आखिर सम्राट ने कहा कि तुम्हारी समझ में आ रहा है कि नहीं? | उसने सारी खोज-बीन करवाई, तब यह पूरी कथा पता चली। मैंने तो सुना है कि तुम बड़े बुद्धिमान हो! मुझ जैसा सुखी तुमने | वह जो हमें सुख जैसा मालूम होता है, वह सुख नहीं है। और कहीं कोई और मनुष्य देखा है ? मैं परम सुख को उपलब्ध हुआ हूं। वह जो हमें सुख जैसा मालूम होता है, उसके लिए हम सबको दुख सोलन, कुछ बोलो इस पर!
| देते हैं, सब का साधन की तरह उपयोग करते हैं, सब को चूसते हैं, सोलन ने कहा कि मैं चुप ही रहूं, वही अच्छा है, क्योंकि शोषण करते हैं।
भंगर को मैं सख नहीं कह सकता। और जो शाश्वत नहीं है. हमारा जीवन हमें इतना मल्यवान होता है मालम कि अगर उसमें सुख हो भी नहीं सकता। सम्राट, यह सब दुख है। बड़ा सबकी मृत्यु भी उसके लिए घट जाए, तो भी कोई हर्ज नहीं। अगर चमकदार है, लेकिन दुख है। तुम इसे सुख समझे हो, तो तुम मूढ़ | हमें दूसरों के सिरों पर पैर रखकर, सीढ़ियां बनाकर राजमहल तक
पहुंचने का उपाय हो, तो हम लोगों के सिरों का उपयोग सीढ़ियों सम्राट को धक्का लगा। जो होना था, वह हुआ। सोलन चुप ही | की तरह करेंगे। सभी महत्वाकांक्षी करते हैं। लोग उनके लिए रहता, तो अच्छा था। सोलन को उसी वक्त गोली मार दी गई। सीढ़ियों से ज्यादा नहीं हैं। धन की यात्रा करता हो कोई, पद की सामने महल के एक खंभे से लटकाकर, बंधवाकर सम्राट ने कहा, यात्रा करता हो, लोगों का उपयोग करता है सीढ़ियों की तरह। सभी अभी भी माफी मांग लो। तुम गलती पर हो। अभी भी कह दो कि राजनीतिज्ञ जानते हैं।
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