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* ऊर्ध्वगमन और अधोगमन *
तो उसके मित्र ने कहा कि अब तो तबियत बड़ी खराब है। बीमारी | दान करूंगा। तो चोरी का पाप और जो दंश है, वह मिट जाता है। बढ़ती जा रही है; बुरी तरह बीमार है मेरी मां। बचने की कोई उम्मीद | | फिर आपको लगता है कि आप एक काम, एक धार्मिक काम ही नहीं है। एमाइल कुए ने कहा, गलत। यह सिर्फ उसका खयाल है। कर रहे हैं। अमीर से छीन रहे हैं, गरीब को देंगे। यह खयाल है उसका कि वह बीमार है। यह खयाल मिट जाए, वह
| छीन आप अभी रहे हैं. देने की बात कल्पना में है। वह देना कभी ठीक हो जाएगी।
होने वाला नहीं है। क्योंकि छीनने वाला चित्त देगा कैसे? वह मौका फिर कुछ दिन बाद दुबारा रास्ते पर मिलना हुआ, तो एमाइल लगेगा तो गरीब से भी छीन लेगा। सोचेगा, और भी गरीब हैं इससे कुए ने पूछा कि अब तुम्हारी मां की कैसी हालत है ? तो उसने कहा, ज्यादा, उनको दूंगा। और आखिर में वह पाएगा, अपने से ज्यादा अब उसका खयाल है कि वह मर गई है। पहले खयाल था, आपने गरीब कोई भी नहीं है। इसलिए जितना छीन लिया, उसे अपने काम बताया था, कि बीमार है। अब मर गई है, तब यही समझना चाहिए | में ले आना चाहिए। कि उसका खयाल है कि मर गई है!
मुल्ला नसरुद्दीन एक दिन अपने पड़ोसी के घर में गया, और अगर आप एक विचार को बहुत बार दोहराते रहे हैं, तो उसकी | | उसने कहा कि क्या आप कुछ विचार करेंगे! एक बूढ़ी विधवा, जो एक तंद्रा आपके आस-पास निर्मित हो जाती है, वह सम्मोहन है। दस साल से मकान में रह रही है और दस साल से किराया नहीं
और बुरा आदमी अपने को सम्मोहित किए रहता है भले विचारों चुका पाई है। और किराया चुकाने का कोई उपाय भी नहीं है। आज से, हर्ष को उपलब्ध होऊंगा, दान करूंगा...।
उसे उसका मकान मालिक मकान के बाहर निकाल रहा है। कुछ सुना है मैंने कि मुल्ला नसरुद्दीन जब मरा, तो उसने वसीयत सहायता करें। तो जिससे उसने सहायता मांगी थी, सोचकर कि यह लिखी। जब वह वसीयत लिखवा रहा था. उसने कहा कि इतना मेरी बढा आदमी बेचारा उस वद्धा की सहायता के लिए आया है. उसने पत्नी को, इतना मेरे बेटे को, इतना मेरी बेटी को। संपत्ति का | कहा, जो भी आप कहें, मैं सहायता करूंगा। कुछ रुपए उसने दिए। विभाजन किया कि आधा मेरी पत्नी को, फिर आधे का आधा मेरे | और उसने कहा, मित्रों को भी कहूंगा। लेकिन आप कौन हैं उस बेटे को, फिर उसके आधे का आधा लड़की को...। यह सब | वृद्धा के? बड़े दयालु मालूम पड़ते हैं। बांटकर और उसने कहा कि अब जो भी बचे, वह गरीबों को। नसरुद्दीन ने कहा, मैं! मैं मकान मालिक हूं। दस साल से वृद्धा
वह जो वकील लिख रहा था, उसने कहा कि बचता तो अब बिना किराया दिए रह रही है। इसमें कुछ भी नहीं है। मल्ला नसरुद्दीन ने कहा कि बचने का वह सोच रहा है कि वद्धा की सहायता करने चला है। सवाल ही नहीं है; वह तो मुझे पता है। है तो मेरे पास कुछ भी नहीं, यह जो हमारा चित्त है, यह बड़े प्रवंचक नुस्खे जानता है और इसीलिए तो कह रहा हूं, आधा मेरी पत्नी को; संख्या नहीं लिखवा | उनके उपयोग करता है। और बहुत दिन उपयोग करने पर आपको रहा हूं। है तो कुछ भी नहीं। मिलना तो पत्नी को भी कुछ नहीं है, उनका पता भी चलना बंद हो जाता है। बेटे को भी, लेकिन मरते वक्त अच्छे खयाल...। और फिर जो | वे अनेक प्रकार से भ्रमित हुए चित्त वाले अज्ञानीजन मोहरूप बच जाए, वह गरीबों को! और कहा है धर्मशास्त्रों में कि अच्छे | | जाल में फंसे हुए एवं विषय-भोगों में अत्यंत आसक्त हुए अपवित्र खयालों से जो मरता है, वह अच्छे लोक को उपलब्ध होता है। यह | नरक में गिरते हैं। तो अच्छे खयाल की बात है।
नरक से कुछ अर्थ नहीं है कि कहीं कोई पाताल में छिपा हुआ बुरा आदमी निरंतर अच्छे खयाल सोचता रहता है। और एक कोई पीड़ागृह है, जहां उनको गिरा दिया जाता है। ये केवल प्रतीक तंद्रा निर्मित करता है अपने आस-पास। बार-बार पुनरुक्त करने से | | हैं। ऐसी भावनाओं में जीने वाला व्यक्ति नरक में गिर ही गया। वह सुझाव भीतर बैठ जाते हैं। वह सोचता है, हर्ष को प्राप्त होऊंगा, | नरक में जीता ही है। उसके भीतर प्रतिपल आग जलती रहती है दान दूंगा, यज्ञ करूंगा। लेकिन यह सब भविष्य, करूंगा। करता | विषाद की, दुख की, पीड़ा की। उसका संताप गहन है। क्योंकि नहीं। करता इनके विपरीत है, छीनता है।
जिसने कभी सुख न बांटा हो, उसे सुख नहीं मिल सकता। और अगर आप चोरी करने जा रहे हों, और चोरी करते वक्त आप ।
| जिसने सदा दुख ही बांटा हो, उसे दुख ही घनीभूत होकर मिलता है। सोचें कि हर्ज क्या है, अमीर से छीन रहा हूं, गरीब को बांट दूंगा, वह दुख उस पर बरसता रहता है। उस दुख की वर्षा ही नरक है।
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