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* ऊर्ध्वगमन और अधोगमन *
सिर्फ बुरा आदमी ही बुरे आदमी की सफलता को सफलता मान किया कि यह पागलों का गांव है, क्योंकि तुम लड़े नहीं, उलटे सकता है। भले आदमी को तो दया आएगी; भले आदमी को बुरे तुमने स्वागत किया। हम जीतने आए हैं; तुमने हमें फूलमालाएं आदमी पर दया आएगी। क्योंकि वह उसके भीतर देखेगा, झांकेगा, | पहनाई। शक तो मुझे तभी हुआ; लेकिन अब बिलकुल पक्का हो और पाएगा कि उसने धन तो इकट्ठा कर लिया, स्वयं को खो दिया। गया कि तम्हारे दिमाग खराब हैं। सोने की रो रोटी खाई नहीं जाती! वह पाएगा कि उसने संपदा तो इकट्ठी कर ली, लेकिन शांति नष्ट तो एक बूढ़े आदमी ने, जो गांव का सर्वाधिक बूढ़ा था, उसने हो गई। वह पाएगा कि उसके पास साधन तो काफी इकट्ठे हो गए, कहा, अगर गेहूं की रोटी ही खानी थी, तो वह तो आपको अपने लेकिन वह खुद भटक गया है। उसके जीवन की सफलता घर ही मिल जाती। हम सोचे कि इतनी तकलीफ उठाकर आ रहे हैं, साधु-चित्त व्यक्ति को आत्मघात जैसी मालूम पड़ेगी। उसने अपने तो सोने की रोटी की तलाश होगी। को सड़ा डाला, उसने अपने को बेच लिया।
___ वह जो चोर है, लुटेरा है, बदमाश है, आपको उसकी सोने की लेकिन हमें हो सकता है दिखाई पड़े कि आदमी सफल हो रहा | | रोटी दिखाई पड़ती है। लेकिन सोने की रोटी कोई खा तो पा नहीं है, बुरा आदमी सफल हो रहा है। रोज चारों तरफ लोगों को दिखाई सकता, भीतर भूखा मरता है। और आपको सोने की रोटी में पड़ता है, बुरे आदमी सफल हो रहे हैं।
सफलता दिखाई पड़ती है, क्योंकि आकांक्षा वही आपकी भी है; बुरा आदमी सफल हो ही नहीं सकता। और अगर सफल होता आप वही खुद भी चाहते हैं। दिखाई पडे. तो समझना कि आपकी सफलता की व्याख्या में कहीं जो हम चाहते हैं. उससे ही हमारी संपदा का पता चलता है। कोई भ्रांति है। बुरा आदमी तो असफल होगा ही।
अगर चोर आपको सफल होता दिखाई पड़ता है, तो आप चोर हैं। मैंने सुना है, सिकंदर अपने साम्राज्य को बढ़ाता हुआ नील नदी भला आपने कभी चोरी न की हो। अगर आपको चोर सफल होता के किनारे पहुंचा। रास्ते में उसने न मालूम कितनी सीमाएं तोड़ीं, हुआ मालूम होगा, तो साधु आपको असफल होता हुआ मालूम कितने राज्य नष्ट किए, कितनी सेनाओं को पराजित किया, लेकिन होगा। तो आप दया कर सकते हैं साधु पर। ईर्ष्या आपकी चोर से नील नदी के किनारे पहुंचकर उसको बड़े अचंभे का अनुभव हुआ। | है। साधु को आप कह सकते हैं कि भोला-भाला है, जाने भी दो। जगह-जगह उसे प्रतिरोध मिला, टक्कर मिली। लोग हारे, तो भी | समझ इसकी कुछ है नहीं। लेकिन ईर्ष्या आपकी चोर से है, आखिरी दम तक लड़े। लेकिन नील नदी के किनारे जब वह प्रतियोगिता चोर से है। आया, तो उसे स्वागत मिला-वंदनवार, फूलों की वर्षा, निमंत्रण, पहली बात तो यह समझ लें कि बुराई कभी भी सफल नहीं उत्सवः-लड़ने का कोई सवाल ही नहीं! वह चकित भी हुआ, | होती, सफल होती दिखाई पड़ सकती है। देखने में भूल है, भ्रांति हैरान भी हुआ।
है। भलाई सदा सफल होती है, असफल होती दिखाई पड़ सकती जिस पहले नगर में उसने प्रवेश किया, नगर के लोगों ने पूरी | है। क्योंकि बुराई की सफलता बाहर-बाहर है, भलाई की सफलता सिकंदर की फौजों को निमंत्रण दिया, रात्रि-भोज का आयोजन | आंतरिक है। किया। सुंदरतम भोजन, शराब, नृत्य-संगीत की व्यवस्था की। ___ इस जगत में जिन्होंने थोड़ा भी आनंद जाना है, उन्होंने भलाई के सिकंदर चकित भी था, हैरान भी था। यह कौन-सा ढंग है दुश्मन | | कारण जाना है। जिन्होंने महा दुख झेला है, उन्होंने बुराई के कारण के प्रवेश पर स्वागत करने का! थोड़ा लज्जित भी था। क्योंकि वे | तलवार लेकर खड़े होते, तो सिकंदर उन्हें जीत लेता। लेकिन वे प्रेम ___ अगर हम हिटलर और चंगेज और तैमूर के हृदय उघाड़कर लेकर खड़े हुए, तो जीतना मुश्किल मालूम पड़ेगा।
देख सकें, तो हमें महानरक का दर्शन होगा। लेकिन इतिहास में जब उसके सामने भोजन की थाली लाई गई, तो वह एकदम नाम उनके हैं; सदा रहेंगे। आप भी सोच सकते हैं कि सफल हुए; नाराज हो गया; उसने जोर से चूंसा मारा टेबल पर और कहा कि | बड़े साम्राज्य उन्होंने खड़े किए हैं, तो आप भी सोच सकते हैं, . यह क्या है? मेरा मजाक किया जा रहा है? क्योंकि थाली में सोने | सफल हुए। की रोटी थी. हीरे-जवाहरातों की सब्जियां थीं। सिकंदर ने कहा कि वस्ततः जो सफल हए हैं इस जमीन पर. शायद उनका नाम भी तुम मूढ़ तो नहीं हो? शक तो मुझे तभी हुआ। जब मैं गांव में प्रवेश | इतिहास में नहीं है, उनके नाम का आपको पता भी नहीं है। कौन
झेला है।
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