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________________ गीता दर्शन भाग-7 * जरूर कुछ करते रहे हैं। शायद वे सोचते हैं कि वह बुरा नहीं है, | बढ़े, वही कर्तव्य है। और जिससे आनंद घटे, वही अकर्तव्य है। जो वे कर रहे हैं। आनंद को हम कसौटी बना सकते हैं। जैसे सोने को पत्थर पर ___ एक पिता मेरे पास आए। अपने बेटे से दुखी हैं। और कहते हैं कसकर देख लेते हैं कि सही या गलत, शुद्ध या अशुद्ध, वैसे कि मैं तो बेटे के भले के लिए सब-कुछ कर रहा हूं, पर वह मुझे आनंद पर आप कसकर देखते रहें आपने कर्मों को। दुख दे रहा है। सारी कथा मैंने जानी। तो पिता ठीक कहते हैं कि __ और जिस कर्म से आनंद बढ़ता हो, समझना वह कर्तव्य है। भले के लिए कर रहे हैं; इसमें कुछ झूठ नहीं है। लेकिन करने का | फिर उसको ज्यादा सींचें, बढ़ाएं, जीवन की सारी ऊर्जा उसमें लग जो ढंग है, वह ऐसा है कि वे बंद ही कर दें यह भला काम करना, | जाने दें। जिस कर्म से दुख मिलता हो, उसे छोड़ें, उससे,अपने को तो अच्छा है। करने का ढंग इतने दंभ से भरा है, करने का ढंग ऐसा हटाएं, उसकी तरफ जीवन की ऊर्जा को मत बहने दें। है कि खुद को वे देवता और बेटे को शैतान समझते हैं। करने का लेकिन कृष्ण कहते हैं, आसुरी संपदा वाला व्यक्ति जानता ही नहीं ढंग इतना अहंकारपूर्ण है कि बेटे के अहंकार को चोट लगती है। कि क्या करने योग्य है, न जानता है कि क्या करने योग्य नहीं है। न चाहते वे भला करना हैं, लेकिन बुरा हो रहा है। कर्तव्य में उसकी प्रवृत्ति है, न अकर्तव्य से निवृत्ति है। वह अंधे और इतने दंभ से जब कोई दूसरे व्यक्ति को बदलने की कोशिश आदमी की तरह कुछ भी किए चला जाता है। उस सब कनफ्यूजन, रचोट पहंचती है। वह चोट संघातक हो जाती उस सब उपद्रव को जैसे वह अपने जीवन में खडा कर लेता है। कभी है; उस चोट से बदला लेने की वृत्ति पैदा होती है। और करने में | बाएं, कभी दाएं भागता है; कभी सीधा, कभी उलटा। उनको जो मजा आ रहा है, वह मजा यह नहीं है कि वे बेटे का भला __ मैंने सुना है, दक्षिण में एक कथा है। दक्षिण का एक कवि हुआ, कर रहे हैं। वह मजा यह है कि मैं भला बाप हूं और बेटे के लिए | तेनालीराम। कुछ उलटी खोपड़ी का आदमी रहा होगा। कवि सब कर्बान कर रहा है। वह भी अहंकार का ही मजा है। अक्सर होते हैं। पर भक्ति का भी भाव था। तो उसने बड़ी साधना ___ मैंने उनसे कहा कि कभी आपने यह सोचा कि अगर बेटा सच की। काली का पूजक था। बड़ी साधना की। वर्षों के बाद काली का में ही भला हो जाए, तो आप दुखी हो जाएंगे। उन्होंने कहा, आप दर्शन हुआ, अनंत हाथों वाली, अनंत मुख वाली। सालों की क्या कहते हैं! कभी नहीं। तो मैंने कहा, आप बैठे आंख बंद करके मेहनत के बाद तेनालीराम ने पूछा क्या! का तो सारा जीवन का अर्थ ही खो जाएगा। एक उसने पछा कि बस. मझे यही पछना है: एक नाक हो. सर्दी हो ही अर्थ है, वह बेटे को ठीक करना। आप बिलकुल अनआकुपाइड | जाए, तो आदमी पोंछ-पोंछकर थक जाता है। तुम्हारी क्या गति हो एकदम, कोई काम न बचेगा; मरने के सिवाय कुछ काम न | होती होगी? बचेगा। वह बेटा आपको काम दे रहा है, रस दे रहा है। चौबीस काली भी चौंकी होगी। कहते हैं, काली ने कहा कि तुम्हें, घंटे आप उसी के पीछे पड़े हैं, उसी की कथा कह रहे हैं, और तेनालीराम, आज से विकट कवि कहा जाएगा। यह तुम्हारा नाम जगह-जगह प्रचार कर रहे हैं कि आप इतना कर रहे हैं और बेटा हुआ; और यही मेरा उत्तर है। तेनालीराम ने सुना तो उसने कहा कि आपको दुख दे रहा है। अगर बेटा सच में आज भला हो जाए, तो | बिलकुल ठीक। यह बिलकुल मुझसे मेल खाता है। विकट कवि आपको कल मरने के सिवाय कोई काम नहीं है। को उलटा पढ़ो या सीधा, एक-सा है। और मैं उलटा खड़ा होऊ थोड़े चौंके, धक्का खाया; लेकिन फिर सोचा। और कहने लगे| या सीधा, बिलकुल एक-सा है। कि शायद बात ठीक ही हो! यह वर्षों की साधना बस, इस चर्चा पर समाप्त हो गई! . __ अगर आप दुख पाते हैं, तो आपको जान लेना चाहिए कि आप | अगर मन उलझा हो, क्या करने योग्य है, क्या करने योग्य नहीं दुख दे रहे हैं। अगर आपको आनंद की कोई भी किरण मिलती है, | है, इसका बोध भी न हो, तो आपके सामने परमात्मा भी खड़ा हो, तो जान लेना चाहिए कि जाने या अनजाने आपने कुछ आनंद दिया तो भी हल न होगा। आप स्वर्ग में भी पहुंच जाएं, तो कोई न कोई है, बांटा है। जो हम बांटते हैं, वही हमें मिलता है। उपद्रव खड़ा कर लेंगे। आप जहां भी होंगे, वहां गलती अनिवार्य है। कर्तव्य क्या है? कर्तव्य निर्भर होगा लक्ष्य से। लक्ष्य तो एक है सवाल यह नहीं है कि आप कहां हैं। सवाल यह है कि आपके सभी का कि जीवन आनंद से भरपूर हो जाए। तो जिससे भी आनंद पास देखने की दृष्टि तीक्ष्ण, स्पष्ट है; विवेकपूर्ण है; बांट सकती 342
SR No.002410
Book TitleGita Darshan Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages450
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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