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________________ * प्यास और धैर्य * है, वह इतने दुख से भरा है, वह इतने असंतोष से भरा है, इतनी |बेटा हूं और बाप बूढ़ा है; उसकी सेवा करनी जरूरी है। लेकिन अशांति से भरा है कि परमात्मा से मिलना हो कैसे सके? | ध्यान मुझे सीखना है। रिझाई ने कहा कि कोई तीस साल लगेंगे, और जो कहता है, अभी मिलना चाहिए, वह परमात्मा को बहुत | | क्योंकि तुम इतनी जल्दी में हो! वह युवक कुछ समझ नहीं पाया। मूल्य भी नहीं दे रहा है। वह कह रहा है, मिलना हो तो अभी मिल उसने कहा, जल्दी में हूं तो जल्दी करवाइए, कि तीस साल! मेरे जाओ, नहीं तो दूसरे काम हजार पड़े हैं; और अगर देरी हो, तो पिता चल ही बसे होंगे। पहले हम उनको निपटा लें। परमात्मा उसके लिए कोई बहुत मूल्य ___ उस युवक ने कहा कि अगर मैं दुगुनी मेहनत करूं, तो क्या की बात नहीं कि वह उसके लिए समय देने को तैयार हो! | होगा? रिझाई ने कहा, तब साठ साल लग जाएंगे। क्योंकि मैं तो जितनी मूल्यवान चीज हो, आप उतना ज्यादा समय देने को | | यह मानता था कि तू पहले ही पूरी मेहनत करने को तैयार है। तू तैयार होते हैं। मौसमी फूल हम लगाते हैं, तो वे महीनेभर में आ कह रहा है, दुगुनी करूंगा; मतलब तूने आधी पहले ही बचा रखी जाते हैं, लेकिन महीनेभर में समाप्त भी हो जाते हैं। थी। तू आदमी भी बेईमान है। वह तीस तो मैंने सोचकर बताए थे __ अगर आकाश को छूने वाले वृक्ष हमें लगाने हैं, तो प्रतीक्षा | | कि तू अगर पूरी मेहनत करे। तू कहता है, अगर मैं दुगुनी मेहनत करनी पड़ती है वर्षों तक। एक पीढ़ी लगाती है, दूसरी पीढ़ी उनके करूं। साठ लग जाएंगे। फल पाती है। अगले जन्म में आपको फल मिलेगा, इस जन्म में | उस युवक ने कहा कि अब मैं आगे नहीं पूछता। क्योंकि यही नहीं मिल सकता। | ठीक है. साठ ही ठीक है। पता नहीं. तम एक सौ बीस कर दो। परमात्मा का जिनकी नजर में मूल्य है, वे तो कभी भूलकर भी | | और वह युवक रुक गया। तीन वर्ष तक वह रिझाई के पास था। यह न कहेंगे कि अभी मिल जाए। क्योंकि वे जानते हैं, यह बात ही | | रिझाई ने उससे फिर पूछा ही नहीं कि तुम कैसे आए? क्या सीखना बेहूदी है। यह बात ही मुंह से निकालनी अधार्मिक है। यह सोचना भी कि अभी मिल जाए अधार्मिक है। कई दफा उस युवक को भी खयाल उठा कि क्या करना? क्या इतनी बड़ी घटना, इतना विराट विस्फोट, प्रतीक्षा से होगा। और | | नहीं करना? साल निकले जा रहे हैं! बाप बूढ़ा हुआ जा रहा है। जब इतनी बड़ी घटना है, तो जब भी घटेगी, मानना कि वह जल्दी | | और अभी तो कुछ शुरू भी नहीं हुआ! पर उसने कहा कि पूछना घटी, क्योंकि देर का तो कोई कारण नहीं है। जब भी घटे, तभी खतरनाक है। यह आदमी तो बड़ा उपद्रवी है! अगर पूछा और कहीं भक्त कहेगा कि जल्दी घट गई; अभी मेरी पात्रता न थी और घट यह कहने लगे कि सौ साल लगेंगे! इसलिए उसने कहा कि चुप ही गई। इतनी बड़ी घटना, इतनी जल्दी घट गई! अपात्र कहता है, | रहो। देखें, क्या होता है। अभी घटे। और अभी नहीं घटती, तो फिर छोड़ो। __तीन साल बाद उसने कहा, अब तेरा पहला पाठ शुरू होता मेरे पास लोग आते हैं। वे कहते हैं, शाम की ट्रेन से हम जा रहे | | है—रिंझाई ने कहा—और तू योग्य है। अगर तू तीन साल में हैं। कुछ ऐसा बता दें कि बस, जीवन बदल जाए। पूछता, तो मैंने तेरे एक सौ बीस साल कर दिए थे। फिर मुझसे यह __पता नहीं जीवन का क्या मूल्य समझते हैं! कोई मूल्य भी है काम पूरा होने वाला नहीं था। क्योंकि मैं भी बूढ़ा हो रहा हूं। आधा जीवन का या नहीं है! भागे हुए हैं। और ऐसा पूरा जीवन खो ही मैं करता, आधा मेरे शिष्य करते साल नहीं जाएगा, कुछ भी उनको मिलेगा नहीं। पूछा; अब मैं काम शुरू करता हूं। बुद्ध के पास कोई आता, तो बुद्ध कहते थे, एक साल तो बिना | ___ पांचवें वर्ष रिझाई का शिष्य समाधि को उपलब्ध हो गया। जब पूछे मेरे पास बैठ जाओ। एक साल बाद तुम पूछना शुरू करना। वह समाधि को उपलब्ध हुआ, तो उसने रिझाई को कहा, इतने जो जल्दी में होता, वह कहता, तो फिर मैं एक साल बाद ही आ | जल्दी! मैं तो सोच भी नहीं सकता था! रिझाई ने कहा, चूंकि तू साठ जाऊं! बुद्ध कहते, तब तुझे दो साल बिठाऊंगा। क्योंकि एक साल | | के लिए राजी हो गया। वह तेरा राजीपन साठ साल के लिए, तेरी तो यह जो तूने गंवाया, और एक तो बाकी रहा ही। प्रतीक्षा की तैयारी थी। झेन फकीर रिझाई के पास कोई आया। और उसने कहा कि मेरा साठ साल का मतलब होता है, पूरा जीवन गंवाने की तैयारी। वह पिता बूढ़ा है; और ज्यादा समय मेरे पास नहीं है। मैं अकेला ही युवक कम से कम पच्चीस साल का था, जब आया था। साठ साल 2711
SR No.002410
Book TitleGita Darshan Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages450
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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