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________________ * एकाग्रता और हृदय-शुद्धि की टिमटिमाती लौ! और मिट्टी का तेल–वह भी मिलना | | मिलता है। मुश्किल—उसमें तू कब तक टिमटिमाता रहेगा, इस तरफ देख। यह बात काल्पनिक समझी जाती थी आज तक कि आयुर्वेद और और अर्जुन का प्रेम है इतना कृष्ण के प्रति, वह देख सकता है। हिंदुओं की यह जो रस-विद्या है, यह काव्य है, प्रतीक है। लेकिन इतना भरोसा है कि यह आदमी कह रहा है, तो कोई सूरज होगा इधर पचास वर्षों में जो खोजबीन हुई है, उससे सिद्ध हो रहा है कि उसमें। और सूरज सबके भीतर छिपा है, इसलिए अड़चन कुछ भी | चांद निश्चित ही प्राण देने वाला है। नहीं है। अगर अर्जुन भाव से देख ले, तो कृष्ण के भीतर का सूरज | __ और सूरज जो कुछ भी देता है, उसमें एक उत्तेजना है; और चांद दिख जाएगा। और जिस दिन कृष्ण के भीतर का सूरज दिखेगा, वह | जो भी देता है, उसमें एक शांति है। इसलिए जितनी शांत औषधियां अपने टिमटिमाते दीए को छोड़ देगा। हैं, उन सब में चांद छिपा है। और जो सर्वाधिक शांतिदायी औषधि टिमटिमाता दीया छूट जाए, तो अपने भीतर का सूरज भी | थी, इसी कारण वह दूसरा अर्थ है सोम का-उसे हम सोम-रस दिखेगा। लेकिन यह गुरु जो है, वाया मीडिया है। अपने ही भीतर | | कहते थे। के सरज को देखना अति कठिन है। क्योंकि अपनी नजर तो अपने पश्चिम में वैज्ञानिक बड़ी खोज में लगे हैं कि वेदों ने जिसको दीए पर ही लगी है। इस दीए का बुझना जरूरी है। यह गुरु के सहारे सोम-रस कहा है, वह क्या है? पच्चीसों प्रस्ताव किए गए हैं, बुझ जाएगा। और एक बार बुझ जाए, तो गुरु के सूरज को देखने | | पच्चीसों दावे किए गए हैं कि यह वनस्पति सोम-रस होनी चाहिए। की कोई जरूरत नहीं है; अपना सूरज भी दिखाई पड़ने लगेगा। | | कुछ लक्षण मिलते हैं, लेकिन पूरे लक्षण किसी वनस्पति से नहीं हम दीए से आविष्ट होकर बैठे हैं। हमारी हालत ऐसी है, सूरज | | मिलते। संभावना इस बात की है कि वह वनस्पति पृथ्वी से खो गई। निकला है खुले मैदान में, हम अपना दीया रखे उस पर आंख गड़ाए | या हिंदुओं ने उसे विलुप्त कर दिया। बैठे हैं। इतने जन्मों से आंख गड़ाए हैं कि हिप्नोटाइज्ड हो गए हैं। काफी काम इस समय विज्ञान में चलता है। बड़े ग्रंथ लिखे जाते वह दीया ही दिखाई पड़ता है। और दीया देखते-देखते आंखें भी हैं, बड़ी शोध की जाती है सोम की खोज के लिए। क्यों? क्योंकि इतनी छोटी हो गई हैं कि अगर एक दफे सूरज की तरफ देखें, तो | | पश्चिम में इधर तीस वर्षों में वनस्पति के द्वारा, औषधि के द्वारा, अंधेरा ही दिखाई पड़ेगा। रसायन के द्वारा समाधि कैसे प्राप्त की जाए, इस संबंध में बड़ा कृष्ण का सहारा सिर्फ इतना है कि आहिस्ता से अर्जुन को उसके | आंदोलन है। तो एल.एस.डी., मारिजुआना, मेस्कलीन, इन सब दीए से हटा लें। और एक बार वह सूरज कृष्ण का देख ले, तो वह की बड़ी पकड़ है। और सारी गवर्नमेंट्स डर गई हैं, सारी दुनिया में कृष्ण का सूरज नहीं है, वह सभी का सूरज है; वह सभी के भीतर | | रुकावट लगा दी गई है कि कोई भी इन चीजों को न ले। बैठा है। इसे खयाल में रखें। और यह बड़े मजे की बात है कि शराब सबसे ज्यादा खतरनाक . और हे अर्जुन, जो तेज सूर्य में स्थित हआ संपूर्ण जगत को है, लेकिन शराब सब जगह प्रचलित है। और ये औषधियां शराब प्रकाशित करता है तथा जो तेज चंद्रमा में स्थित है और जो तेज | | जैसी खतरनाक नहीं हैं, लेकिन इन पर भारी रोक है। और डर इस अग्नि में स्थित है, उसको तू मेरा ही तेज जान। और मैं ही पृथ्वी में | बात का है कि ये औषधियां व्यक्ति में ऐसे क्रांतिकारी फर्क ले प्रवेश करके अपनी शक्ति से सब भूतों को धारण किए हूं और आती हैं कि आज का जो समाज है, वह उस व्यक्ति का उपयोग रस-स्वरूप अर्थात अमृतमय सोम होकर संपूर्ण औषधियों को नहीं कर सकेगा। अर्थात वनस्पतियों को पुष्ट करता हूं। जैसे अगर युवक एल.एस.डी., मारिजुआना, और इस तरह की सोम दो अर्थ रखता है। एक तो सोम का अर्थ है, चंद्रमा। चीजों का उपयोग करने लगे, तो उनको युद्ध पर नहीं भेजा जा हिंदुओं का जो रस-विज्ञान है, उसमें औषधियों को जो पुष्टि मिलती | सकता। वे इतने शांत हो जाएंगे कि उनको युद्ध पर नहीं भेजा जा है, वह चंद्रमा से मिलती है। सूर्य उनको प्राण देता है। सूर्य के बिना | | सकता। उनसे दंगे, उपद्रव नहीं करवाए जा सकते। उन्हें रस ही नहीं औषधियां बड़ी नहीं होंगी; वनस्पतियां बड़ी नहीं होंगी; वृक्ष बड़े | | रह जाएगा लड़ने का। नहीं होंगे। सूरज उन्हें प्राण देता है। लेकिन जो रस है, जो उनमें इन सारी औषधियों के कारण पश्चिम के एक बहुत बड़े जीवनदायी तत्व है, वह उन्हें चांद से मिलता है; वह चांद के द्वारा विचारक अल्डुअस हक्सले ने घोषणा की थी कि इस सदी के पूरे 241
SR No.002410
Book TitleGita Darshan Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages450
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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