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* समर्पण की छलांग *
हानि है, तो उनको खुद को है।
शरीर शुद्धि, आचरण शुद्धि, सब तरह से शुद्ध हो जाए व्यक्ति, अगर एक दुष्ट हत्यारा एकाग्रता साधे, तो साध सकता है। फिर वे कहते हैं, यत्न करो। नहीं तो खतरा है।। लेकिन उसकी एकाग्रता से खतरा होगा। क्योंकि एकाग्रता से शक्ति ऐसे खतरे कोई अतीत में कहानियों में घटे हैं, ऐसा ही नहीं है। आएगी, और हृदय शुद्ध नहीं है। उस शक्ति का दुरुपयोग होगा। अभी इस सदी के प्रारंभ में रूस में एक बहुत अदभुत व्यक्ति था, आपने दुर्वासा ऋषि की कहानियां पढ़ी हैं। बस, वह इस तरह का रासपुतिन। अनूठी प्रतिभा का आदमी था। ठीक उसी हैसियत का आदमी दुर्वासा हो जाएगा। उसके पास शक्ति होगी; क्योंकि अगर | | आदमी था, जिस हैसियत के आदमी गुरजिएफ या रमण। लेकिन वह कुछ भी कह दे, तो उसका परिणाम होगा।
एक खतरा था कि हृदय की शुद्धि नहीं थी। अगर कोई व्यक्ति बहुत एकाग्रता साधा हो, तो उसके वचन में रासपुतिन गहन साधना किया था। और पूरब की जितनी एक शक्ति आ जाती है, जो सामान्यतः दूसरों के वचन में नहीं होती। पद्धतियां हैं, सब पर काम किया था। ठेठ तिब्बत तक उसने उसका वचन आपके हृदय के अंतस्तल तक प्रवेश कर जाता है। | खोजबीन की थी, और अनूठी शक्तियों का मालिक हो गया था। वह जो भी कहेगा, उसके पीछे बल होगा। हमारी जो कथाएं हैं. वे | लेकिन हृदय साधारण था। साधारण आदमी का हृदय था। इसलिए झूठी नहीं हैं; उन कथाओं में सच है।
जो चाहता, वह हो जाता था। लेकिन जो वह चाहता. वह गलत ही अगर एकाग्रता साधने वाला आदमी कह दे कि तुम कल मर | चाहता था। वह ठीक तो चाह नहीं सकता था। जाओगे, तो बचना बहुत मुश्किल है। इसलिए नहीं कि उसके कहने | | __पूरे रूस को डुबाने का कारण रासपुतिन बना, क्योंकि उसने ज़ार में कोई जादू है, बल्कि उसके कहने में इतना बल है कि वह बात को प्रभावित कर लिया। खासकर ज़ार की पत्नी ज़ारीना को आपके हृदय में गहरे तक प्रवेश कर जाएगी। उसका तीर गहरा है, प्रभावित कर लिया। उसमें ताकत थी। एकाग्र है, और उसने वर्षों तक अपने को साधा है। वह एक विचार | | और ताकत सच में अदभुत थी। उसके दुश्मनों ने भी स्वीकार पर अपनी पूरी शक्ति को इकट्ठा कर लेता है। तो उसका विचार | | किया। क्योंकि जब उसको मारा, हत्या की गई उसकी, तो उसको आपके लिए सजेशन बन जाएगा।
| पहले बहुत जहर पिलाया, लेकिन वह बेहोश न हुआ। एकाग्रता वह कह देगा, कल मर जाओगे! तो उसकी आंखें, उसका | | इतनी थी उसकी। उसको जहर पिलाते गए, वह बेहोश न हुआ। व्यक्तित्व, उसका ढंग, उसकी एकाग्रता, उसकी अखंडता, उस | जितने जहर से कहते हैं, पांच सौ आदमी मर जाते, उनसे वह सिर्फ विचार को तीर की तरह आपके हृदय में चुभा देगी। अब आप लाख | बेहोश ही नहीं हुआ; मरने की तो बात ही अलग रही। कोशिश करो, उस विचार से छुटकारा मुश्किल है। वह आपका फिर उसको गोलियां मारी, तो कोई बाईस गोलियां उसके शरीर पीछा करेगा। कल आने तक, वह कल आने के पहले ही आपको | में मारी, तो भी नहीं मरा! तो फिर उसको बांधकर और पत्थरों से आधा मार डालेगा। कल आप मर जाएंगे।
लपेटकर वोल्गा के अंदर उसको डुबो दिया। और जब दो दिन बाद अभिशाप इसलिए लागू नहीं होता कि परमात्मा अभिशाप पूरा उसकी लाश मिली, तो उसने पत्थरों से अपने को छुड़ा लिया था। करने को बैठा है; कि दुर्वासाओं का रास्ता देख रहा है कि अभिशाप बंधन काट डाले थे। और डाक्टरों ने कहा कि वह पत्थरों की वजह दें, और परमात्मा पूरा करे। लेकिन दुर्वासा ने एकाग्रता साधी है वर्षों से नहीं मरा है; उसके दो घंटे बाद मरा है। तक; पर हृदय शुद्ध नहीं है।
अंदर भी वोल्गा में वह इतना सारा-इतना नशा, इतनी जहर, इसलिए कृष्ण कहते हैं, सिर्फ यत्न काफी नहीं है। अगर | इतनी गोलियां, पत्थर बंधे-फिर भी उसने अपने पत्थर छोड़ लिए अंतःकरण को शुद्ध नहीं किया है, तो यत्न करते हुए भी अज्ञानीजन | थे और अपने बंधन भी अलग कर डाले थे। हो सकता था, वह आत्मा को नहीं जानते हैं।
निकल ही आता। गहन शक्ति का आदमी था। लेकिन सारा प्रयोग इसलिए दो बातें हैं। प्रयत्न चाहिए और साथ-साथ हृदय की | उसकी शक्ति का उलटा हुआ। शुद्धि चाहिए।
रूस की क्रांति में लेनिन का उतना हाथ नहीं जितना रासपुतिन तो बुद्ध और महावीर जैसे साधकों ने तो हृदय की शुद्धि को का है। क्योंकि रासपुतिन ने रूस को बरबाद करवा दिया। ज़ार के पहले रखा है, ताकि भूल-चूक जरा भी न हो पाए। आहार शुद्धि, ऊपर उसका प्रभाव था। उसने जो चाहा, वह हुआ। सारा उपद्रव