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* मूल-स्रोत की ओर वापसी *
है। क्षमता तो उतनी ही है उस वासना में, जिससे बुद्ध पैदा हो सके। | जगत है। आप भी बुद्ध हो सकते हैं। लेकिन शायद मूल का ठीक उपयोग | वृक्ष वस्तुतः ऊपर की ओर उठ रहे हैं? ऐसा हमें दिखाई पड़ता नहीं हो पा रहा है। मूल ने जो ऊर्जा दी है, उसको ठीक गति और | है। अगर हम दूर चांद पर खड़े होकर देखें, तो सभी वृक्ष नीचे की दिशा नहीं मिल पा रही है।
तरफ लटके हुए दिखाई पड़ेंगे। लेकिन सभी लोग अपने मूल को छिपाते हैं। क्योंकि धारणा है गीता यह कह रही है कि सारा विकास-जिसे हम विकास कि मूल कुछ नीची चीज है।
कहते हैं, एवोल्यूशन कहते हैं—वह सभी कुछ नीचे की ओर है। यह सूत्र कहता है, मूल है ऊपर। हे अर्जुन, जिसका मूल ऊपर इस अर्थ में सभी धर्मों की पुराण कथाएं बड़ी मूल्यवान हैं, क्योंकि की ओर...।
वे सभी कहती हैं, जगत पतन है। चाहे ईसाइयों की मूल कथाएं, अगर अंत में आता है श्रेष्ठ, तो मृत्यु श्रेष्ठ होगी। अगर प्रथम | चाहे हिंदुओं की, चाहे इस्लाम की, सभी धर्मों की मूल कथाएं यह आता है श्रेष्ठ, तो जन्म श्रेष्ठ होगा। पश्चिम मृत्यु का विश्वासी है, कहती हैं कि जगत एक पतन है। पतन का इतना ही अर्थ होता है, पूरब जन्म का।
पतन में कोई पाप नहीं है। पतन का इतना ही अर्थ होता है कि बहाव ऊपर की ओर है मूल। और सारी धाराएं नीचे की तरफ बहती हैं। नीचे की तरफ है। इसलिए अगर ऊंचाई पानी है, तो उदगम की ओर यह बात उचित भी मालूम पड़ती है। क्योंकि बहाव सिर्फ नीचे की वापस लौट चलना पड़ेगा। तरफ ही हो सकता है। बहाव ऊपर की तरफ हो भी कैसे सकता है! झेन फकीर जापान में कहते हैं कि अगर तुम्हें जानना है परमात्मा __हमें दिखाई पड़ता है, हम बीज बोते हैं, वृक्ष ऊपर की तरफ | क्या है, तो तुम खुद को जान लो उस क्षण में, जब तुम्हारा जन्म उठता है। पर हमारी दृष्टि तो बहुत सीमित है। सच में वृक्ष ऊपर | नहीं हुआ था। लौट जाओ पीछे। की तरफ उठता है? कहना जरा मुश्किल है। क्योंकि इस विराट __ अभी अमेरिका में एक नई चिकित्सा, मनोचिकित्सा का बड़ा ब्रह्मांड की दृष्टि से ऊपर और नीचे कुछ भी नहीं है। और फिर बहुत प्रभाव है, प्राइमल थेरेपी का। इस सदी में खोजी गई कीमती से बातें समझने जैसी हैं।
| कीमती चिकित्साओं में एक है। और उसका प्रभाव रोज बढ़ता वैज्ञानिकों ने एक नियम खोजा है, उसे वे कहते हैं, ग्रेविटेशन, जाएगा, क्योंकि उसमें एक मौलिक सत्य है। गुरुत्वाकर्षण। पत्थर को हम फेंकते हैं; पत्थर नीचे गिर जाता है। प्राइमल थेरेपी का ऐसा दृष्टिकोण है कि अगर व्यक्ति को पूर्ण अगर पृथ्वी सभी चीजों को नीचे की तरफ खींचती है, तो वृक्ष स्वस्थ होना हो, तो उसकी चेतना में पीछे की तरफ लौटने की गति ऊपर की तरफ उठता कैसे है! गुरुत्वाकर्षण के विपरीत कोई नियम शुरू होनी चाहिए। और जिस दिन व्यक्ति अपने बचपन की होना चाहिए, जो ऊपर की तरफ खींचता हो। एक। या फिर वृक्ष अवस्थाओं को उपलब्ध करना शुरू कर देता है पुनः, उसी दिन का ऊपर की तरफ उठना हमारी भ्रांति है; वृक्ष भी नीचे की तरफ स्वस्थ होना शुरू हो जाता है। और जिस दिन कोई व्यक्ति ठीक ही जा रहा है। लेकिन हमारी सीमित दृष्टि में हमें ऊपर की तरफ | अपनी गर्भ की चेतना-दशा को उपलब्ध हो जाता है, उस दिन वह दिखाई पड़ता है।
| परम शांत और परम स्वस्थ हो जाता है। और अनेक बीमारियां मैंने सुना है कि न्यूयार्क के एक सौ मंजिल भवन के ऊपर, | अचानक, मानसिक बीमारियां अचानक विलीन हो जाती हैं। आखिरी मंजिल की सीलिंग पर कुछ चींटियां भ्रमण कर रही थीं। इसमें सत्य है और सैकड़ों लोगों पर इसके परिणाम प्रभावकारी और उनमें से एक दार्शनिक चींटी ने अन्य चींटियों को कहा कि हुए हैं। प्राइमल थेरेपी जिस व्यक्ति ने खोजी है, जेनोव ने, वह आदमी भी बड़ा अजीब जानवर है। इतने-इतने बड़े मकान बनाता | अपने मरीजों को एक ही काम करवाता था। उन्हें लिटा देता, आंख है, फिर भी चलता हमेशा नीचे है। जब ऊपर चलना ही नहीं है, | बंद करवा देता, कमरे में अंधेरा कर देता। और उनसे कहता है कि सीलिंग पर जब चलना ही नहीं है, हमेशा फ्लोर पर ही चलना है, | तुम पीछे लौटने की कोशिश करो, सिर्फ स्मृति में नहीं, पीछे लौटो तो इतना ऊंचा मकान बनाने की जरूरत भी क्या! ऊंचाई पर चलते | और पीछे को जीयो। आखिरी पकड़ो स्मृति में खयाल, जो तुम्हें हम हैं।
आता है; पांच वर्ष के थे तुम, तो उस घड़ी को जीने की कोशिश चींटियां निश्चित ही सोचती होंगी। उनका अपना एक सापेक्ष | करो फिर से।
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