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गीता दर्शन भाग-7 *
कल्पना है।
है। यह सब तुम्हें वहम है। तुम सपना देख रहे हो। बंद करो यह तक तुम्हें रोकना भी जरूरी है। तुम भाग जा सकते हो। तुम्हें भविष्य बात। ये रंग-बिरंगे चित्र, जो तुम्हें दिखाई पड़ रहे हैं, ये स्वप्न से की आशा देनी जरूरी है। ज्यादा नहीं हैं। यह तुम्हें जो प्रकाश दिखाई पड़ रहा है, यह तुम्हारी तुम्हारे अतीत को मिटाना है, तुम्हारे भविष्य को भी मिटाना है।
| लेकिन तुम रुकोगे, तभी यह हो सकता है। तो वह तुम्हें आशा देता सदगुरु तो तुम्हें टिकने नहीं देगा। तुम कितनी ही सफलता की | है कि ठहरो। एक दिन, अगर तुम रुके ही रहे, और अगर तुमने खबरें लाओ, वह तुम्हें विफल करता रहेगा। और अगर तुम भाग |साहसपूर्वक प्रयत्न किया, और सब प्रयत्न तुम्हारे असफल हो ही न गए उसके पास से, तो वह तुम्हें जरूर उस जगह ले आएगा| गए...। धीरे-धीरे-तुम्हारी सामर्थ्य के अनुसार ही लाएगा—उस जगह ले जब मैं कह रहा हूं सब प्रयत्न, तो मेरा मतलब समझ लें, सब आएगा, जहां तुम कहोगे कि करने से कुछ भी नहीं होता। प्रयत्न। कुछ बाकी न रहा करने को। सारी आशा तिरोहित हो गई।
और जिस दिन तुम समझोगे, करने से कुछ नहीं होता, उसी दिन | | कोई किरण न रही आशा की। उस गहन अंधकार में ही महासूर्य का कर्तापन विलीन हो जाएगा। और उस कर्तापन के विलीन होने के जन्म है। उस दिन तुम खाली हो जाओगे। उस दिन तुम कहोगे, अब क्षण में ही तुम्हारी बूंद में पूरा सागर उतर आएगा। उसी क्षण सब कुछ करने को भी नहीं बचा। अब वासना को दौड़ाने के लिए कोई कुछ हो जाएगा। जब तुम मिट जाओगे, तो सब कुछ हो जाएगा। | मार्ग नहीं है, अब कोई भविष्य नहीं है। और अब अहंकार को जब तक तुम हो, तब तक कुछ भी न होगा।
सम्हालने के लिए कोई उपाय नहीं है। सब बैसाखियां गिर गईं। अब और तुम्हारी पूरी कोशिश यह है कि तुम बने रहो। तो तुम न | तुम बच नहीं सकते। मालूम क्या-क्या व्यर्थ की बातें खोज लाते हो कि यह उपलब्धि हो इस घड़ी में ही गुरु के सहारे की जरूरत हो जाती है। क्योंकि इस रही है। और इस वजह से तुम्हें व्यर्थ के गुरु भी मिल जाते हैं। । घड़ी में तुम भाग जा सकते हो; और यही क्षण था, जब खजाना
सौ गुरुओं में कभी कोई एक सदगुरु होगा। निन्यानबे जो गुरु | मिलने के करीब था। इस वक्त भी वह तुम्हें कहेगा कि ठहरो, कुछ हैं, वे तुमने पैदा किए हैं। वे तुम्हारी तृप्ति के लिए, तुम्हारी सांत्वना मत करो, रुको, सब होगा। के लिए हैं। तुम कहते हो, कुंडलिनी जग रही है। वे कहते हैं, उसका आश्वासन तुम्हारे धैर्य को बढ़ाने के लिए है। होगा सब बिलकुल जग रही है। तुम कहते हो, रंग-बिरंगे सपने दिखाई पड़ तुम्हारे भीतर, कोई गुरु कुछ भी नहीं करता है। और जो गुरु करता रहे हैं। वे कहते हैं, ये सपने नहीं हैं, ये बड़ी कीमती बातें हैं। इनका | | है, समझना कि वह गुरु नहीं है। क्योंकि सत्य को दिया नहीं जा बड़ा मूल्य है। तुम बड़ी ऊंचाई पर पहुंच रहे हो। सिद्धावस्था तुम्हारी | सकता। सत्य को खींचकर पैदा नहीं किया जा सकता। सिर्फ तुम्हारी बिलकुल करीब है।
व्यर्थ दौड़-धूप को मिटाना है। तुम्हारी मूढ़ता के कारण, तुम्हारे अहंकार के कारण गुरुओं का ___ तुम वहीं खड़े हो, जहां सत्य है। लेकिन तुम्हें खड़े होने की इतना बड़ा जाल चलता है। लेकिन सदगुरु तुम्हें कभी भी सफल आदत नहीं है। तुम भाग रहे हो। तुम दौड़ रहे हो। तुम्हारी दौड़ नहीं होने देगा। इसे जरा खयाल रखें।
गिरानी है। कर्म तुम्हारी दौड़ है। सदगुरु तुम्हें सफल नहीं होने देगा। तुम कितने ही उपाय करो, | और तुम्हें सदा आसानी है। एक कर्म छोड़कर तुम दूसरा पकड़ वह तरकीबें निकालेगा, तुम्हारी टांग खींचकर तुम्हें वापस गिरा | | सकते हो। तुम एक गुरु को छोड़कर दूसरा पकड़ लोगे। कोई तुम्हारे देगा। वह तुम्हें उस जगह ला रहा है, जहां बिलकुल ही साफ तुम्हें चक्र जगाएगा। कोई तुम्हारी कुंडलिनी को सहारा देगा। कोई कुछ हो जाए कि तुम्हारे किए कुछ भी नहीं हो सकता।
और सिखाएगा। तुम गुरु बदलते रहोगे। तुम विधि बदलते रहोगे। ___ इसलिए गुरु की बड़ी कठिनाई है। क्योंकि तुम चाहते हो, कुछ | लेकिन तुम अपने को मजबूती से पकड़े रहोगे। हो जाए। और तुम्हें समझाने-बुझाने के लिए वह तुम्हारा सिर । । सदगुरु की छाया में तुम्हें मिटना पड़ेगा। और जिनकी मिटने की थपथपाता रहता है ; कल होगा; परसों होगा: रुको। | तैयारी हो, वे ही केवल सत्य को पा सकते हैं।
और जब भी कुछ होता है, तब उसकी चेष्टा होती है कि तुम इसको तो निश्चित ही, सारी विधियों की एक ही उपादेयता है, वह है मूल्य मत दो। और वह कहता है, रुको, कल होगा। क्योंकि कल करने की व्यर्थता को जान लेना। करने की व्यर्थता जान ली कि होने
टां ठहरा;
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