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________________ * गीता दर्शन भाग-7 अहिंसक नहीं हूं। पावलव ने बहुत प्रयोग किए कुत्तों के ऊपर। ख्वार कुत्ते, जो मैं तो वैसे ही देख रहा हूं, जैसे हिमालय देखता होगा कि गंगा कि चीरकर दो कर दें अगर आप उनको जरा-सी चोट पहुंचा दें। बह रही है। आकाश से पानी गिरता है, गंगोत्री भर जाती है, गंगोत्री | | उनकी ग्रंथियां अलग कर दीं। आपरेशन किया, ग्रंथि अलग कर से गंगा बहती है। हिमालय यह नहीं कह रहा है कि मैं गंगा को बहा | | दी। ख्वार कुत्ते बिलकुल ही निर्जीव हो गए। आप उनको मार रहे रहा हूं। हिमालय सिर्फ देख रहा है कि गंगा मुझसे बह रही है। ऐसे | | हैं, और वे पूंछ हिला रहे हैं। भौंकते भी नहीं। हमले की तो बात ही सत्व की क्रियाएं मुझसे हो रही हैं। आकाश से वर्षा हो रही है, | | दूसरी, भौंकते भी नहीं। क्योंकि भौंकना भी कुछ हार्मोन पर निर्भर प्रकृति उनको दे रही है, मैं सिर्फ देखने वाला हूं। | है। अगर वह भीतर तत्व नहीं है, तो आप भौंक भी नहीं सकते। अगर आप हिमालय की तरह खड़े हए साक्षी हो गए, तो सत्व, कृष्ण और सांख्य की बड़ी गहरी खोज है कि आपके भीतर जो बंधन नहीं बनेगा, अन्यथा सत्व भी बंधन बन जाएगा। और अगर | | भी हो रहा है, वह प्रकृति से हो रहा है, गुणों से हो रहा है। आप आप साक्षी हो सकें, तो फिर तमस भी बंधन नहीं बनेगा। आप तब सिर्फ साक्षी से ज्यादा नहीं हैं। देख सकते हैं कि आलस्य मेरा नहीं है, आलसी मैं नहीं हूं; यह भी | मगर जो कुत्ता भौंक रहा है, हमला कर रहा है, आप उसको मेरे भीतर प्रक्रिया है गुणों की। समझा सकते हैं कि ये तेरे शरीर में किसी ग्रंथि के कारण हो रहा विज्ञान इस संबंध में बड़ी महत्वपूर्ण सूचनाएं देता है। वे सूचनाएं | है! वह कहेगा, मैं भौंक रहा हूं, कौन कह रहा है ग्रंथि है? ये हैं कि आपके भीतर जो भी हो रहा है, वह आपके शरीर के | आप जब क्रोध से भर गए हैं, तो आप सोच सकते हैं कि आपके हार्मोन्स पर निर्भर है, आप पर निर्भर नहीं है। हार्मोन नया शब्द हो शरीर के भीतर कुछ रासायनिक तत्वों का यह खेल है! आप कहेंगे, सकता है, लेकिन मतलब उसका भी वही है, जो गुणों का होगा। | मैं क्रोधित हूं, मुझे गाली दी गई है। एक स्त्री है, एक पुरुष है। आप सोचते हैं, मैं स्त्री हूं, मैं पुरुष ___ आपको गाली नहीं दी गई। क्योंकि अगर ग्रंथि न हो, तो भी हूं। आप गलती में हैं। स्त्री को पुरुष हार्मोन के इंजेक्शन दे दिए गाली दी जाएगी, क्रोध नहीं उठेगा। ग्रंथि ने गाली पकड़ी, और ग्रंथि जाएं, उसके शरीर का रूपांतरण हो जाएगा, वह पुरुष जैसी हो उत्तर दे रही है, और आप केवल शिकार हैं। आप सिर्फ विक्टिम जाएगी। पुरुष को स्त्री हार्मोन के इंजेक्शन दे दिए जाएं, उसका | हैं। आपको सिर्फ भ्रांति है। रूपांतरण हो जाएगा। उसकी कामेंद्रिय बदलकर स्त्रैण हो जाएगी। __ एक सुंदर स्त्री दिखती है और आप उसके पीछे हो लिए। आप तब आप बड़े चौंकेंगे कि मैं कौन हूं फिर? क्योंकि अगर इंजेक्शन | सोच रहे हैं, आप पीछे जा रहे हैं! कृष्ण कह रहे हैं, आप नहीं जा आपको स्त्री से पुरुष बना सके, पुरुष से स्त्री बना सके, तो आप रहे, सिर्फ गुण पीछे जा रहे हैं। आपके भीतर के जो पुरुष हार्मोन कौन हैं? स्त्री हैं या पुरुष? | हैं, वे आपको खींच रहे हैं स्त्री हार्मोनों की तरफ। आप चले। यही हमारी निरंतर की खोज है। और मैं मानता हूं कि विज्ञान बड़े | | आपके बस के बाहर हो गया मामला। आप कहते हैं, स्त्री बहुत नए आधार दे रहा है पुराने सत्यों के लिए। इसका मतलब हुआ कि | सुंदर है। आपका स्त्री होना या पुरुष होना प्रकृति के द्वारा है; आप दोनों के यह आप सब समझा रहे हैं। ये सब हार्मोन आपको समझा रहे पार हैं। तो अगर आपकी प्रकृति बदल दी जाए, शरीर बदल दिया हैं आपके भीतर कि स्त्री बहत संदर है। रुकना भी चाहो, तो कैसे जाए, तो आप स्त्री हो जाएं या पुरुष हो जाएं। रुक सकते हो! लेकिन आपके हार्मोन अलग कर लिए जाएं, सुंदर आप हैरान होंगे! एक आदमी क्रोधित हो रहा है। हार्मोन देकर | से सुंदर स्त्री गुजर जाए और आप बैठे देखते रहेंगे, भीतर कुछ भाव उसके क्रोध को सुलाया जा सकता है। वह फिर कभी क्रोधित नहीं | का उदय न होगा। होगा। आपके भीतर ग्रंथियां हैं, जिनका आपरेशन कर दिया जाए, | स्पेन का बहुत बड़ा विचारक है, देलगाडो। उसने आदमी के तो आप लाख उपाय करें, तो क्रोध नहीं कर सकेंगे। चाहे कोई | | शरीर, उसके हार्मोन, उसके रासायनिक तत्व, उसकी विद्युत आपको पीट रहा हो, गाली दे रहा हो, अपमान कर रहा हो, आप प्रक्रियाओं पर बड़े गहरे प्रयोग किए। खतरनाक भी हैं प्रयोग; कीमती कितना ही उठाने की कोशिश करें, भीतर क्रोध नहीं उठेगा। क्योंकि | भी हैं। खतरा यह है कि देलगाडो कहता है कि अगर दुनिया से कोई वह ग्रंथि ही नहीं है, जिससे क्रोध उठ सकता है। भी चीज समाप्त करनी हो, तो धर्मों वगैरह की चिंता में पड़ने की कोई |1101
SR No.002410
Book TitleGita Darshan Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages450
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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