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@ गीता दर्शन भाग-60
जब तक मैं हूं, तब तक परमात्मा नहीं हो सकता। और जब मैं मिट रास्ता खुल सकता है। क्योंकि गुरु तो केवल बहाना है। जब कोई जाऊं, तभी वह हो सकता है।
अपने को पूरी तरह छोड़ता है, तो वह गुरु को परमात्मा मानकर ही जीसस ने कहा है, जो अपने को मिटाएंगे, केवल वे ही बचेंगे। छोड़ता है। और किसी का इतनी सरलता से, इतनी पूर्णता से किसी जो अपने को बचाएंगे, वे व्यर्थ ही अपने को मिटा रहे हैं। को परमात्मा मान लेना, अगर वह आदमी गलत हो-अगर सही
हम अपने को बचा रहे हैं। कुछ है भी नहीं बचाने योग्य, फिर | हो, तब तो इसका रूपांतरण होगा ही-अगर वह गलत हो, तो भी बचा रहे हैं!
| उसका भी रूपांतरण होगा। कुछ ही दिन पहले एक युवक मेरे पास आया था-अमेरिका और छोड़ तो रहा है परमात्मा के लिए। वह गुरु तो प्रतीक है। से लंबी यात्रा करके, न मालूम किन-किन आश्रमों, किन-किन | उसके पीछे जो छिपा हुआ है परमात्मा, उसके लिए छोड़ा जा रहा है। साधना-स्थलों पर भटककर। मुझसे कहने लगा, गुरु की तलाश लेकिन हम डरे हुए हैं कि कहीं कुछ खो न जाए! जिनके पास है। लेकिन अब तक गुरु मिला नहीं। मैंने उससे पूछा, किस भांति कुछ भी नहीं है! गुरु की तलाश करोगे? क्या उपाय है तुम्हारे पास? कैसे तुम ___ कार्ल मार्क्स ने सारी दुनिया के मजदूरों से कहा है कि सारी जांचोगे? क्या है कसौटी? क्या है तराजू ? कोई निकष है, जिससे दुनिया के सर्वहारा मजदूरो, इकट्ठे हो जाओ, क्योंकि तुम्हारे पास तुम कसोगे कि कौन गुरु है ? तुम्हें पता है कि गुरु का क्या अर्थ है ? | सिवाय हथकड़ियां खोने को कुछ भी नहीं है। यूनाइट आल दि क्या लक्षण है?
प्रोलिटेरियंस, बिकाज यू हैव नथिंग टु लूज, एक्सेप्ट योर चेन्स। उसने कहा, नहीं; यह तो मुझे कुछ पता नहीं है। तो फिर, मैंने | सिवाय जंजीरों के खोने को है भी क्या! तो डरते किसलिए हो? कहा, तुम भटकते रहो पूरी जमीन पर। गुरु कैसे मिलेगा? क्योंकि इकट्ठे हो जाओ! गुरु से मिलना हो, तो तुम्हें अपने को छोड़ना पड़ेगा। तुमने कहीं पता नहीं, यह बात कहां तक सच है, क्योंकि ऐसा गरीब आदमी किसी के पास कभी अपने को छोड़ा? उसने कहा कि कहीं छोडूं खोजना मुश्किल है, जिसके पास कुछ न हो। गरीब के पास भी अपने को और कोई नुकसान हो जाए! और आदमी गलत हो, और | कुछ होता है; कम होता है। भिखमंगे के पास भी कुछ होता है; सच्चा न हो, और धोखेबाज हो। और गुरु तो हो, लेकिन मिथ्या कम होता है। बिलकुल ऐसा आदमी खोजना मुश्किल है, जिसके हो, बनावटी हो, और कुछ नुकसान हो जाए!
पास कुछ भी न हो। सांसारिक अर्थों में तो कुछ न कुछ होता है। तो मैंने उससे पूछा, तेरे पास खोने को क्या है, यह पहले तू लेकिन आध्यात्मिक अर्थों में यह बात बिलकुल सही है कि मुझे बता दे! नुकसान क्या होगा? तेरे पास कुछ खोने को है जो | | आपके पास कुछ भी नहीं है; आप सर्वहारा हो। फिर भी डरे हुए कोई तुझसे छीन लेगा? तेरी हालत ऐसी है कि नंगा आदमी नहाता | हो कि कहीं कुछ चूक न जाए। परमात्मा के पास भी सम्हलकर जाते नहीं, क्योंकि वह सोचता है, नहाऊंगा, तो कपड़े कहां सुखाऊंगा! हो कि कहीं कुछ छिन न जाए! कि जिसके पास कुछ भी नहीं है, रातभर पहरा देता है कि कहीं जो इतना डरा है, भक्ति का मार्ग उस के लिए नहीं है। भक्ति के चोरी न हो जाए! तू बचा क्या रहा है? तेरे पास है क्या? और जब | मार्ग पर तो ट्रस्ट, भरोसा, उसका भरोसा, कि ठीक है। वह तेरे पास कुछ है ही नहीं, तो क्या हानि तुझे पहुंचाई जा सकती है? | | मिटाएगा, तो इसमें ही कुछ लाभ होगा। कि वह छीनेगा, तो इसमें क्या तुझसे छीना जा सकता है ? तो तू हिम्मत कर और अपने को | | कुछ बात होगी, रहस्य होगा। कि वह नुकसान करेगा, तो उस बचाना छोड़। क्योंकि जिस दिन तू अपने को बचाना छोड़ेगा, उसी नुकसान से जरूर कुछ लाभ होने वाला होगा। इस भांति जो अपने दिन गुरु से मिलने की संभावना शुरू होती है। उसी दिन से तू | को छोड़ने को तैयार है, तो उद्धार इसी क्षण हो सकता है। योग्य बनना शुरू हुआ।
भक्त के लिए एक क्षण भी रुकने की जरूरत नहीं है। ज्ञानी के और फिर अगर गलत गुरु भी मिल जाएगा, तो डर क्या है? जो लिए जन्मों-जन्मों तक भी रुकना पड़ सकता है, क्योंकि अपनी ही अपने को छोडता है परी तरह. उससे गलत गरु भी डरता है। और चेष्टा से लगा है। भक्त तो अभी एवेलेबल हो जाता है, इसी अक्सर ऐसा हो जाता है कि अगर कोई अपने को ठीक से छोड़ दे | वक्त-अगर वह छोड़ दे। और तत्काल नियम काम करना शुरू गलत गुरु के पास भी, तो गलत गुरु के लिए भी ठीक होने का कर देता है। कृष्ण उसे खींच लेते हैं।