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________________ o कौन है आंख वाला है हमारा, बहुत घनिष्ठ मित्र है। लेकिन यह बड़ा तार्किक है। और ली थी। यह उन्हें खयाल ही चूक गया था कि आंख न हो तो प्रकाश हम पांच आंख वाले भी इसको समझा नहीं पाते कि प्रकाश है। और को समझाया कैसे जाए! प्रकाश कोई समझाने की बात नहीं, यह हंसता है और हमारे तर्क सब तोड़ देता है। और कहता है कि तुम अनुभव की बात है। मुझे अंधा सिद्ध करने के लिए प्रकाश का सिद्धांत गढ़ लिए हो। । चिकित्सक ने कहा कि पहले क्यों न ले आए? इस आदमी की यह अंधा आदमी कहता है कि प्रकाश वगैरह है नहीं। तुम सिर्फ आंख अंधी नहीं है, केवल जाली है। और छः महीने की दवा के मुझे अंधा सिद्ध करना चाहते हो, इसलिए प्रकाश का सिद्धांत गढ़ | इलाज से ही जाली कट जाएगी। यह आदमी देख सकेगा। तुम इतने लिए हो, तुम सिद्ध करो। अगर प्रकाश है, तो मैं उसे छूकर देखना दिन तकं कहां थे? । चाहता हूं। क्योंकि जो भी चीज है, वह छूकर देखी जा सकती है। ___ उन्होंने कहा, हम तो तर्क में उलझे थे। हमें न इस अंधे आदमी अगर तुम कहते हो, छूने में संभव नहीं है, तो मैं चखकर देख | की आंख से कोई प्रयोजन था। हमें तो अपने सिद्धांत समझाने में सकता हूं। अगर तुम कहते हो, उसमें स्वाद नहीं है, तो मैं सुन रस था। वह तो बुद्ध की कृपा कि उन्होंने कहा कि चिकित्सक के सकता हूं। तुम प्रकाश को बजाओ। मेरे कान सुनने में समर्थ हैं। पास ले जाओ। अगर तुम कहते हो, वह सुना भी नहीं जा सकता, तो तुम मुझे छः महीने बाद उस आदमी की आंख ठीक हो गई। तब तक बुद्ध प्रकाश की गंध दो, तो मैं संघ लूं। | तो बहुत दूर जा चुके थे। लेकिन वह आदमी बुद्ध को खोजता हुआ मेरे पास चार इंद्रियां हैं। तुम इन चारों में से किसी से प्रकाश से उनके गांव तक पहुंचा। उनके चरणों पर गिर पड़ा। बुद्ध को तो मेरा मिलन करवा दो। और अगर तुम चारों से मिलन करवाने में | खयाल भी नहीं रहा था कि वह कौन है। बुद्ध ने पूछा, तू इतना क्यों असमर्थ हो, तो तुम झूठी बातें मत करो। न तो तुम्हारे पास आंख | आनंदित हो रहा है? तेरी क्या खुशी? इतना उत्सव किस बात का? है और न मेरे पास आंख है। लेकिन तुम चालाक हो और मैं तू किस बात का धन्यवाद देने आया है? मेरे चरणों में इतने आनंद सीधा-सादा आदमी हूं। और तुमने मुझे अंधा सिद्ध करने के लिए के आंसू क्यों बहा रहा है? उसने कहा कि तुम्हारी कृपा। मैं यह प्रकाश का सिद्धांत गढ़ लिया है। कहने आया हूं कि प्रकाश है। उन पांचों मित्रों ने कहा कि इस अंधे को हम कैसे समझाएं? न | | लेकिन प्रकाश तभी है, जब आंखें हैं। हम चखा सकते, न स्पर्श करा सकते, न कान में ध्वनि आ सकती। कृष्ण कह रहे हैं, उस आदमी को मैं कहता हूं आंख वाला, जो प्रकाश को कैसे बजाओ? तो हम आपके पास ले आए हैं। और आप | | परिवर्तन में शाश्वत को देख लेता है। हैं बुद्ध पुरुष, आप हैं परम ज्ञान को उपलब्ध। इतना ही काफी होगा | पांच मिनट रुकें। कोई बीच से उठे नहीं। कीर्तन पूरा हो, तब कि हमारे अंधे मित्र को आप प्रकाश के संबंध में कुछ समझा दें। | जाएं। बुद्ध ने कहा, तुम गलत आदमी के पास आ गए। मैं तो समझाने में भरोसा ही नहीं करता। तुम किसी वैद्य के पास ले जाओ इस अंधे आदमी को। इसकी आंख का इलाज करवाओ। समझाने से क्या होगा? तुम पागल हो? अंधे को समझाने बैठे हो। इसमें तुम्हारा पागलपन सिद्ध होता है। तुम इसकी चिकित्सा करवाओ। तुम इसे वैद्य के पास ले जाओ। इसकी आंख अगर ठीक हो जाए, तो तुम्हारे बिना तर्क के भी, तुम्हारे बिना समझाए यह प्रकाश को जानेगा। और तुम अगर इनकार करोगे कि प्रकाश नहीं है, तो यह सिद्ध करेगा कि प्रकाश है। आंख के अतिरिक्त कोई प्रमाण नहीं है। संयोग की बात थी कि वे उसे वैद्य के पास ले गए। उन्हें यह कभी खयाल ही नहीं आया था। वे सभी पंडित थे. सभी ब्राह्मण थे. सभी ज्ञानी थे। सब तरह से तर्क लगाकर समझाने की कोशिश कर | 363|
SR No.002409
Book TitleGita Darshan Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages432
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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