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________________ गीता दर्शन भाग-660 भी कर रहे हैं, उसमें हम अपने को नष्ट कर रहे हैं। लोग, अगर मैं हालत देखें। रिटायर होते ही से जिंदगी बेकार हो जाती है। समय उनसे कहता हूं कि ध्यान करो, प्रार्थना करो, पूजा में उतरो, तो वे नहीं कटता। कहते हैं, समय कहां! और वे ही लोग ताश खेल रहे हैं। उनसे मैं | मनसविद कहते हैं कि रिटायर होते ही आदमी की दस साल उम्र पूछता हूं, क्या कर रहे हो? वे कहते हैं, समय काट रहे हैं। उनसे | कम हो जाती है। अगर वह काम करता रहता, दस साल और जिंदा मैं कहूं, ध्यान करो। वे कहते हैं, समय कहां! होटल में घंटों बैठकर | रहता। क्योंकि अब कहां काटे? तो अपने को ही काट लेता है। वे सिगरेट फूंक रहे हैं, चाय पी रहे हैं, व्यर्थ की बातें कर रहे हैं। | अपने को ही नष्ट कर लेता है। उनसे मैं पूछता हूं, क्या कर रहे हो? वे कहते हैं, समय नहीं कटता, यह सूत्र कहता है कि जो व्यक्ति परिवर्तन के भीतर छिपे हुए समय काट रहे हैं। शाश्वत को समभाव से देख लेता है, वह फिर अपने आपको नष्ट बड़े मजे की बात है। जब भी कोई काम की बात हो, तो समय नहीं करता। नहीं है। और जब कोई बे-काम बात हो, तो हमें इतना समय है कि नहीं तो हम नष्ट करेंगे। हम करेंगे क्या? इस क्षणभंगुर के प्रवाह उसे काटना पड़ता है। ज्यादा है हमारे पास समय! में हम भी क्षणभंगुर का एक प्रवाह हो जाएंगे। और हम क्या करेंगे? . कितनी जिंदगी है आपके पास? ऐसा लगता है, बहुत ज्यादा है; इस क्षणभंगुर के प्रवाह में, इससे लड़ने में हम कुछ इंतजाम करने जरूरत से ज्यादा है। आप कुछ खोज नहीं पा रहे, क्या करें इस | में, सुरक्षा बनाने में, मकान बनाने में, धन इकट्ठा करने में, अपने जिंदगी का। तो ताश खेलकर काट रहे हैं। सिगरेट पीकर काट रहे को बचाने में सारी शक्ति लगा देंगे और यह सब बह जाएगा। हम हैं। शराब पीकर काट रहे हैं। सिनेमा में बैठकर काट रहे हैं। फिर बचेंगे नहीं। वह सब जो हमने किया, व्यर्थ चला जाएगा। भी नहीं कटती, तो सुबह जिस अखबार को पढ़ा, उसे दोपहर को | । थोड़ा सोचें, आपने जो भी जिंदगी में किया है, जिस दिन आप फिर पढ़कर काट रहे हैं। शाम को फिर उसी को पढ़ रहे हैं। | मरेंगे, उसमें से कितना सार्थक रह जाएगा? अगर आज ही आपकी कटती नहीं जिंदगी; ज्यादा मालूम पड़ती है आपके पास। समय | मौत आ जाए, तो आपने बहुत काम किए हैं—अखबार में नाम बहुत मालूम पड़ता है और आप काटने के उपाय खोज रहे हैं। | छपता है, फोटो छपती है, बड़ा मकान है, बड़ी गाड़ी है, धन है, पश्चिम में विचारक बहुत परेशान हैं। क्योंकि काम के घंटे कम | तिजोरी है, बैंक बैलेंस है, प्रतिष्ठा है, लोग नमस्कार करते हैं, लोग होते जा रहे हैं। और आदमी के पास समय बढ़ता जा रहा है। और | मानते हैं, डरते हैं, भयभीत होते हैं, जहां जाएं, लोग उठकर खड़े काटने के उपाय कम पड़ते जा रहे हैं। बहुत मनोरंजन के साधन | होकर स्वागत करते हैं लेकिन मौत आ गई आज। इसमें से तब खोजे जा रहे हैं, फिर भी समय नहीं कट रहा है। कौन-सा सार्थक मालूम पड़ेगा? मौत आते ही यह सब व्यर्थ हो तो पश्चिम के विचारक घबड़ाए हुए हैं कि अगर पचास साल जाएगा। और आप खाली हाथ विदा होंगे। ऐसा ही चला, तो पचास साल में मुश्किल से एक घंटे का दिन हो। __ आपने जिंदगी में कुछ भी कमाया नहीं; सिर्फ गंवाया। आपने जाएगा काम का। वह भी मुश्किल से। वह भी सभी लोगों के लिए | | जिंदगी गंवाई। आपने अपने को काटा और नष्ट किया। आपने काम नहीं मिल सकेगा। क्योंकि टेक्नालाजी, यंत्र सब सम्हाल अपने को बेचा और व्यर्थ की चीजें खरीद लाए। आपने आत्मा लेंगे। आदमी खाली हो जाएगा। गंवाई और सामान इकट्ठा कर लिया। बड़े से बड़ा जो खतरा पश्चिम में आ रहा है, वह यह कि जब | जीसस ने बार-बार कहा है कि क्या होगा फायदा, अगर तुमने आदमी खाली हो जाएगा और समय काटने को कुछ भी न होगा, | | पूरी दुनिया भी जीत ली और अपने को गंवा दिया? क्या पाओगे तब आदमी क्या करेगा? आदमी बहुत उपद्रव मचा देगा। वह कुछ | तुम, अगर तुम सारे संसार के मालिक भी हो गए और अपने ही भी काटने लगेगा समय काटने के लिए। वह कुछ भी करेगा; समय मालिक न रहे? काटेगा। क्योंकि बिना समय काटे वह नहीं रह सकता। महावीर ने बहुत बार कहा है कि जो अपने को पा लेता है, वह आपको पता नहीं चलता। आप कहते रहते हैं कि कब जिंदगी सब पा लेता है। जो अपने को गंवा देता है, वह सब गंवा देता है। के उपद्रव से छुटकारा हो! कब दफ्तर से छुटूं! कब नौकरी से मुक्ति __ हम सब अपने को गंवा रहे हैं। कोई फर्नीचर खरीद ला रहा है मिले! कब रिटायर हो जाऊं! लेकिन जो रिटायर होते हैं, उनकी | आत्मा बेचकर। लेकिन हमें पता नहीं चलता कि आत्मा बेची, 360
SR No.002409
Book TitleGita Darshan Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages432
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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