________________
कि कौन है आंख वाला
एक और मित्र ने सवाल पूछा है। वे दो-तीन दिन से चौबीस घंटे में आप ऐसे संतोष और ऐसी शांति और ऐसी पूछ रहे हैं इसी संबंध में। उन्होंने पूछा है कि आप | आनंद की झलक को उपलब्ध होंगे, जो आपने जीवन में कभी नहीं बहुत जोर देते हैं भाग्यवाद पर...।
जानी। और ये चौबीस घंटे फिर खतम नहीं होंगे, क्योंकि एक बार
रस आ जाए, स्वाद आ जाए, ये बढ़ जाएंगे। यह आपकी पूरी मैं जरा भी जोर नहीं देता भाग्यवाद पर। भाग्यवाद हजारों | जिंदगी बन जाएगी। विधियों में से एक विधि है जीवन को रूपांतरित करने की, अहंकार एक दिन के लिए आप भाग्य की विधि का प्रयोग कर लें, फिर को गला डालने की।
कोई तनाव नहीं है। सारा तनाव इस बात से पैदा होता है कि मैं कर
रहा हूं। स्वभावतः इसलिए पश्चिम में ज्यादा तनाव है, ज्यादा टेंशन उन मित्र ने कहा है कि अगर भाग्यवाद ही सच है, है, ज्यादा मानसिक बेचैनी है। पूरब में इतनी बेचैनी नहीं थी। अब तो आप बोलते क्यों हैं?
बढ़ रही है। वह पश्चिम की शिक्षा से बढ़ेगी, क्योंकि पश्चिम की
| शिक्षा का सारा आधार पुरुषार्थ है। और पूरब की शिक्षा का सारा वे समझे नहीं अपनी ही बात। अगर भाग्यवाद ही सच है, तो | आधार भाग्य है। दोनों विपरीत हैं। क्यों का कोई सवाल ही नहीं; परमात्मा ही मुझसे बोलता है। बोलते | पूरब मानता है कि सब परमात्मा कर रहा है। और पश्चिम क्यों हैं, यह कोई सवाल नहीं है।
| मानता है, सब मनुष्य कर रहा है। निश्चित ही, जब सब मनुष्य कर
| रहा है, तो फिर मनुष्य को उत्तरदायी होना पड़ेगा। फिर चिंता उन मित्र ने पूछा है, अगर भाग्यवाद ही सच है, तो | | पकड़ती है। थोड़ा फर्क देखें। आप लोगों से क्यों कहते हैं कि साधना करो? बट्रेंड रसेल परेशान है कि तीसरा महायुद्ध न हो जाए। उसकी
| नींद हराम होगी। आइंस्टीन मरते वक्त तक बेचैन है कि मैंने एटम यह मेरा भाग्य है कि मैं उनसे कहूं कि साधना करो। इसमें मैं | | बम बनने में सहायता दी है; कहीं दुनिया बरबाद न हो जाए। मरने कुछ कर नहीं रहा हूं। यह मेरी नियति है। और यह आपकी नियति | | के थोड़े दिन पहले उसने कहा कि अगर मैं दुबारा पैदा होऊ, तो मैं है कि आप सुनो, और बिलकुल करो मत।
वैज्ञानिक होने की बजाय एक प्लंबर होना पसंद करूंगा। मुझसे भाग्य कोई वाद नहीं है। भाग्य जीवन को देखने का एक ढंग | | भूल हो गई। क्योंकि दुनिया नष्ट हो जाएगी। और जीवन को बदलने की एक कीमिया है। यह कोई कमजोरों की | | लेकिन एक बात मजे की है कि आइंस्टीन समझ रहा है कि मेरे बात नहीं है, कि बैठ गए हाथ पर हाथ रखकर, सिर झुकाकर कि | कारण नष्ट हो जाएगी। बऍड रसेल सोच रहे हैं कि अगर शांति का क्या करें; भाग्य में नहीं है। यह बहुत हिम्मत की बात है और बहुत | उपाय मैंने न किया, हमने न किया, तो दुनिया नष्ट हो जाएगी। इधर ताकतवर लोगों की बात है, कि जो कह सकें कि सभी कुछ उस कृष्ण की दृष्टि बिलकुल उलटी है। परमात्मा से हो रहा है, सभी कुछ, बेशर्त। अच्छा या बुरा, सफलता कृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि जिनको तू सोचता है कि तु मारेगा, या असफलता, मैं अपने को हटाता हूं। मैं बीच में नहीं हूं। | उन्हें मैं पहले ही मार चुका हूं। वे मर चुके हैं। नियति सब तय कर
अपने को हटाना बहत शक्तिशाली लोगों के हाथ की बात है। चुकी है। बात सब हो चुकी है। कहानी का सब लिखा जा चुका है। कमजोर अपने को हटाने की ताकत ही नहीं रखते।
तू तो सिर्फ निमित्त है। जैसे ही आप यह समझ पाएंगे कि भाग्य एक विधि है, एक इन दोनों में फर्क देखें। इन दोनों में फर्क यह है कि पश्चिम में टेक्नीक! हजारों टेक्नीक हैं। मगर भाग्य बहुत गजब की टेक्नीक सोचा जाता है कि आदमी जिम्मेवार है। अगर आदमी जिम्मेवार है है। अगर इसका उपयोग कर सकें, तो आप चौबीस घंटे के लिए हर चीज के लिए, तो चिंता पकड़ेगी, एंग्जायटी पैदा होगी। फिर जो उपयोग कर के देखें।
भी मैं करूंगा, मैं जिम्मेवार हूं। फिर हाथ मेरे कंपेंगे, हृदय मेरा तय कर लें कि कल सुबह से परसों सुबह तक जो कुछ भी होगा, | कंपेगा। आदमी कमजोर है। और जगत बहुत बड़ा है। और सारी परमात्मा कर रहा है, मैं बीच में नहीं खड़ा होऊंगा।
जिम्मेवारी आदमी पर, तो बहुत घबड़ाहट पैदा हो जाती है। इसलिए
355