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________________ ॐ गीता दर्शन भाग-60 गया कि सागर का जल खारा है। लेकिन यह अर्थ शाब्दिक है। मगर कठिनाई तो तब हुई, जब उसको तीसरा नंबर मिला। और हमने सागर के जल को कभी चखा नहीं। और बिना चखे हमें कुछ | जब पता चला कि वह मौजूद था और नंबर तीन आया चार्ली पता न चलेगा। चखकर जो हमें पता चलेगा, वह तत्व से ज्ञान चैपलिन की नकल करने में, तब तो बड़ी हैरानी हुई कि यह बात होगा। अनुभव से अपने जो ज्ञान होता है, वह तत्व है। दूसरे से भी क्या हो गई! दूसरे लोग हाथ मार ले गए। क्योंकि दूसरे लोगों के उसके संबंध में खबर मिल सकती है। लिए सिर्फ नकल थी बंधी हुई! चार्ली चैपलिन को सहज मामला खतरा यह है कि हम दूसरे से मिली खबरों को भी अपना ज्ञान | | है। उसने कुछ नया कर दिया होगा, जो उसने पहले कभी नहीं किया समझ लेते हैं। इसी तरह दुनिया में अनेक लोग अज्ञानी के अज्ञानी | था। उसी में फंस गया वह। क्योंकि जो उसने पहले नहीं किया था, मर जाते हैं, इस भ्रांति में कि वे जानते हैं, इस भ्रांति में कि उन्हें | | वह तो निरीक्षकों को भी पता नहीं था, जज़ेस को भी पता नहीं था। ज्ञान है। और जो उसने पहले नहीं किया था, वह तो चार्ली चैपलिन का माना रोज मुझे ऐसे लोगों से मिलना हो जाता है, जिन्हें शास्त्र कंठस्थ ही नहीं जा सकता। और उसे कभी खयाल ही नहीं था कि अपनी हैं। अगर कृष्ण भी मिल जाएं और फिर से उनसे कहा जाए कि गीता नकल कैसे करनी। उसने जिंदगीभर जो भी किया था, वह सहज. कहो, तो दोहरा न सकेंगे। क्योंकि कृष्ण को कोई यह कंठस्थ नहीं था। पहली दफा उसने नकल करने की कोशिश की। खुद ही हार है। बहुत-सी बातें छूट जाएंगी, बहुत-सी नई जुड़ जाएंगी। सब | गया अपनी ही नकल में! नंबर तीन पर आया। ढांचा बदल जाएगा। लेकिन इनको जिनको गीता कंठस्थ है, इनसे आप पक्का समझिए कि अगर कृष्ण भी कहीं बिठा दिए जाएं भूल होने का उपाय नहीं है। ये कृष्ण में भी भूलें बता सकते हैं। प्रतियोगिता में कंठस्थ गीता वालों से; हारेंगे। इनसे जीतने का कोई क्योंकि कृष्ण दुबारा दोहरा न सकेंगे। यह तो सहजस्फूर्त थी। मगर उपाय नहीं है। ये हाथ मार ले जाएंगे। क्योंकि इनको बिलकुल इनको कंठस्थ है। कंठस्थ है, यंत्रवत। ये जो कंठस्थ हैं, इनको धीरे-धीरे यह भ्रांति पैदा हो जाती है कि ज्ञान को कंठस्थ होने की जरूरत ही नहीं है। सिर्फ अज्ञान इन्हें पता है। कंठस्थ करता है। कंठस्थ का मतलब ही यह है कि तुम्हें पता नहीं ऐसा हुआ एक बार कि इंग्लैंड में एक प्रतियोगिता रखी गई। | है। तुम्हारे भीतर नहीं है। सिर्फ कंठ में है। शब्दों की याददाश्त है। प्रतियोगिता यह थी कि सारी दुनिया से अभिनेता आमंत्रित किए गए। ___ हम सबको शब्द याद हैं। और शब्दों के याद होने से भ्रांति होती थे कि वे चार्ली चैपलिन का अभिनय करें। चार्ली चैपलिन को | है कि हमें मालूम है। शब्द खतरनाक हैं। अगर बार-बार दोहराते रहें, मजाक सूझा; उसने सोचा मैं भी क्यों न किसी और नाम से अभिनय तो आप ही भूल जाते हैं कि पता नहीं है। ईश्वर, ईश्वर, ईश्वर में सम्मिलित हो जाऊं! मुझे तो पुरस्कार निश्चित है। शक की कोई सुनते-सुनते ऐसा लगने लगता है कि हमें मालूम है कि ईश्वर है। बात ही नहीं, क्योंकि चार्ली चैपलिन का ही अभिनय करना था | | आत्मा, आत्मा, आत्मा सुनते-सुनते आप भूल ही जाते हैं कि आत्मा दूसरों को। न हमें पता है कि क्या है, न कोई अनुभव है, न कोई स्वाद है। सारी दुनिया में अनेक जगह प्रतियोगिताएं हुईं और फिर सौ यह बड़ी खतरनाक स्थिति है। क्योंकि शब्द एक भ्रम पैदा कर प्रतियोगी लंदन में इकट्ठे हुए; किसी को शक भी नहीं था कि उसमें | | देते हैं, एक हवा पैदा कर देते हैं चारों तरफ कि मालूम है। एक चार्ली चैपलिन भी है। वे सभी चार्ली चैपलिन जैसे लग रहे थे। | अगर कोई आपसे पूछे, आत्मा है? आप फौरन कहेंगे, हां। वैसी ही मूंछ लगाई थी। वैसे ही कपड़े पहने थे। वैसी ही चाल | बिना एक रत्तीभर शक पैदा हुए कि हमें कुछ भी पता नहीं है कि चलते थे। तो उसमें चार्ली चैपलिन भी छिप गया था। वह भी किसी आत्मा है या नहीं है। दूसरे नाम से भी हो गया था। और जितने आप विश्वास से कह रहे हैं, है; उतने ही विश्वास अगर पता चल जाता आयोजकों को, तो उसे निकाल बाहर से रूस में किसी से पूछो, वह कहता है, नहीं है। क्योंकि बचपन करते। क्योंकि उसका तो कोई सवाल ही नहीं था। फिर तो से उसको सिखाया जा रहा है, नहीं है, नहीं है। आपको सिखाया प्रतियोगिता खराब ही हो गई। इसलिए वह छिपकर ही सम्मिलित जा रहा है, है, है। आप दोनों एक से हैं। जरा भी फर्क नहीं है। वह | भी तोते की तरह दोहराया गया है उसको कि आत्मा नहीं है। और था। 302
SR No.002409
Book TitleGita Darshan Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages432
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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