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अहंकार के शून्य होते ही सब ऊंचा - नीचापन खो जाता है / जो अच्छा लगे, उससे अपना जीवन बदल लें / क्या निराकार परमात्मा ही कृष्ण नहीं है? / कृष्ण में परमात्मा पूरा प्रकट है आप में ढंका हुआ है / निराकार परमात्मा भक्तों के लिए साकर रूप लेते हैं, क्या यह सच है? / भाव सृजनात्मक है / भावों का रूपायित होना / जीससमयता और स्टिगमेटा / भक्त स्वयं देखता है— दूसरे को दिखा नहीं सकता / अपना-अपना भाव अपनी-अपनी प्रतीति / रामकृष्ण द्वारा छः धर्मों की अलग-अलग साधना / रास्ते भिन्न हैं—विपरीत भी हैं परंतु मंजिल पर सब मिल जाते हैं अपनी रुझान चुन लेना - सगुण या निर्गुण / गणित कुशल के लिए निराकार मार्ग उपयुक्त / स्वैण मन साकार को पसंद करता है / ढांचा पहचानने में गुरु अत्यंत आवश्यक / सही विधि हो, तो सफलता आसान / गुह्य-ज्ञान के संबंध में बात करते समय रामकृष्ण बीच-बीच में रुक जाते और कहते कि मां मुझे सच बोलने नहीं देती / इसका क्या अर्थ है ? / सत्य को शब्दों में अभिव्यक्त करना करीब-करीब असंभव है / सत्य ही रोक लेता है / रामकृष्ण की काव्य-भाषा / रामकृष्ण बे पढ़े-लिखे हैं / बुद्ध भाषा में ज्यादा कुशल हैं। जितना गहरा सत्य उतनी ही भाषा कमजोर / छोटा आदमी विराट अनुभूति / रामकृष्ण की भक्त की भाषा बोलते-बोलते समाधि में डूब जाना / परमात्मा में विपरीत अतियां समाई हुई / परमात्मा स्वष्टा भी है और विनाशक भी / जन्म और मृत्यु की संख्या का निरंतर संतुलन / मृत्यु- संख्या कम करें, तो जन्म- संख्या भी कम करना पड़ेगा / परमात्मा बाहर भी है - और भीतर भी / अपरिवर्तनशील में भी परिवर्तनशील में भी / परमात्मा अनुभवगम्य है— समझा नहीं जा सकता / निकटतम है और दूर से दूर भी / वही बनाता, वही सम्हालता, वही मिटाता / तब आदमी निश्चित हो सकता है / सभी साधनाएं बुद्धि को एक तरफ हटाने के लिए / बुद्धि के बीच में न होने पर ही प्रकृति भी काम करती है / बुद्धि का नियंत्रण छोड़ने में भय / स्वास्थ्य लाभ के लिए मरीज का सो जाना जरूरी / बुद्धि को हटाना सीखें / साक्षी होने के छोटे-छोटे प्रयोग करें / होश बढ़ने पर क्रियाओं का धीमा होना / पाप के लिए त्वरा, तेजी, ज्वरं चाहिए / शरीर को भीतर से देखना / साक्षी के बढ़ने पर कर्ता व बुद्धि का कम होना / साक्षी द्वार है और बुद्धि बाधा ।
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पुरुष - प्रकृति - लीला ... 293
व्यक्तित्व के टाइप की खोज में सम्मोहन का क्या उपयोग है? सम्मोहन साधना के लिए क्या खतरनाक है? / जिससे लाभ – उससे खतरा भी / सम्मोहन का प्राचीन नाम योग तंद्रा / विशिष्ट रूप में आरोपित नींद / ऊपरी चेतन मन का सोना और अचेतन मन का सक्रिय होना / भीतर का मन बड़ा श्रद्धावान है / मृत्यु के सुझाव से मृत्यु तक संभव है / सम्मोहन से बीमारियों एवं दुर्व्यसनों का दूर होना / ध्यान व प्रार्थना में गहराई — सम्मोहन में सुझाव देकर / गुरु द्वारा शिष्य के अचेतन मन में प्रवेश / व्यावसायिक सम्मोहकों से खतरा संभव / पोस्ट-हिप्नोटिक - भविष्यगामी – सुझाव / अचेतन मन तक पहुंच गया संकल्प बहुत शक्तिशाली / परम श्रद्धास्पद व्यक्ति से ही सम्मोहित होना / सामान्य सम्मोहक द्वारा दिए गए अनैतिक सुझाव का इनकार / सम्मोहन से व्यक्तित्व का टाइप जानना, पिछले जन्मों में प्रवेश और ग्रंथि-विसर्जन / ध्यान के द्वारा भी स्वयं की अचेतन गहराइयों में प्रवेश / ऊर्जा का प्राकृतिक प्रवाह नीचे की ओर है, उसे ऊर्ध्वगामी बनाने की चेष्टा क्यों करनी चाहिए? / आपको लगे कि दुख है, पीड़ा है, तो ही चेष्टा करें / नीचे बहती ऊर्जा है दुख और ऊपर बहती ऊर्जा है आनंद / प्रलोभन सुख का — मिलता है दुख / तप और साधना में शुरू में दुख, अंत में सुख / समस्त धर्म जीवन-ऊर्जा को ऊपर ले जाने के प्रयास हैं / सौ डिग्री गर्मी पर पानी का उड़ना / बुढ़ापा जीवन का विकास होना चाहिए - पतन नहीं / साधना की चेष्टा क्या प्रकृति का विरोध करना नहीं है? / ऊपर उठना भी नियमानुसार / ऊपर उठने या न उठने को स्वतंत्र है मनुष्य / पशु को चुनाव की स्वतंत्रता नहीं है / मनुष्य पशु से भी ज्यादा नीचे गिर सकता है / आदमी बुद्ध, कृष्ण, क्राइस्ट बन सकता है— चंगेज, हिटलर और स्टैलिन भी / काम वासना या ब्रह्मचर्य - दोनों नियमगत हैं / आनंद के नियमों का उपयोग करना / ऊपर चढ़ने में श्रम और कष्ट / यात्रा का श्रम मंजिल के आनंद का अनिवार्य हिस्सा है / क्या मस्तिष्क के विशिष्ट तंतुओं को विद्युत से कंपा कर समाधि का सुख लिया जा सकता है ? / मस्तिष्क में शांति और विश्राम की अल्फा तरंगें पैदा करने में सहायक यंत्र / यंत्र आवाज करने लगे तो आप ध्यान में हैं / ध्यान की अल्फा तरंगों में परमानंद है / यंत्र की सहायता से उत्पन्न अल्फा में केवल यांत्रिक शांति है / मशीन के साथ तारतम्य बिठाने की कुशलता और ध्यान में मौलिक भिन्नता / यंत्र से ध्यान की पूर्ति असंभव / इलेक्ट्रोड से उत्पन्न संभोग सुख - परिपूर्णरूप से प्रेमशून्य / आंतरिक आत्मिक अनुभूति यंत्र से असंभव / जानकारी और स्वानुभव का फर्क / शास्त्र - ज्ञान को आत्म-ज्ञान मानने की भ्रांति / गीता कंठस्थ लोगों से प्रतियोगिता में कृष्ण हारेंगे / चार्ली चैपलिन की नकल प्रतियोगिता में स्वयं चैपलिन तीसरे नंबर पर आया / बुद्धिमान अर्थात जो स्मृति और ज्ञान में फर्क याद रखे / प्रकृति और पुरुष दोनों अनादि हैं / विज्ञान और ईसाइयत का संघर्ष / संसार बनता है, बिगड़ता