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________________ ( गीता दर्शन भाग-60 गए हों, वे भी कृपा करके आंख बंद कर लें और कम से कम बीस | बस ठीक है। बैठ जाएं, किसी भी तरह थोड़ी सी जगह बना लें मिनट के लिए शांत हो जाएं। हिलें नहीं। और बैठ जाएं। देखिए, न बैठ सकें, तो खड़े रहें, अब बातचीत मुझे एक मौका दें कि आपकी शांति में प्रवेश कर सकू, और बंद कर दें। आपके हृदय में आनंद का फूल खिला सकू। नाउ अलाउ मी टु वर्क जिन मित्रों ने प्रयोग किया, वे पुरस्कृत हुए। लेकिन नासमझों की इन योर साइलेंस। | कोई कमी नहीं है। और आप में बहुत हैं जो नासमझ हैं। कुछ बातें (दूसरे बीस मिनट तक सब ओर गहन सन्नाटा रहा।) | हैं, जो देखने से दिखाई नहीं पड़ती। और मनुष्य के भीतर क्या एक गहरी शांति में उतर गए हैं। एक गहरे आनंद का अनुभव। | घटित होता है, जब तक आपके भीतर घटित न हो, आपको पता यू हैव एंटर्ड ए न्यू डायमेंशन आफ साइलेंस। दूसरा चरण पूरा नहीं चल सकता। अगर आप बाहर से देख रहे हैं, तो यह भी हो हुआ। दि सेकेंड स्टेप इज़ ओवर, नाउ यू कैन एंटर्ड दि थर्ड। अब | सकता है कि आपको लगे कि दूसरा आदमी पागलपन कर रहा है। तीसरे में प्रवेश करें। लेकिन आखिरी हिसाब में आप पागल सिद्ध होंगे। __ जो आनंद का अनुभव हुआ है, उसे प्रकट कर सकते हैं। जैसे | | कुछ चीजें हैं, जो केवल भीतर ही देखी जा सकती हैं। और जब . भी प्रकट करने का भाव आ जाए। नाउ यू कैन एक्सप्रेस योर | तक आप न उतर जाएं उसी अनुभव में, तब तक उसके संबंध में ब्लिस, योर साइलेंस दि वे यू चूज। यू कैन सिंग, यू कैन डांस, यू | आप कुछ भी नहीं जान सकते। कोई प्रेम में है...। . कैन लाफ, व्हाटसोएवर यू फील लाइक डूइंग। एंड डोंट बी शाय, | (एक आदमी शोर मचा रहा है। भगवान श्री समझाते हैं, चुप हो सेलिब्रेट इट। संकोच न करें और आनंद को प्रकट होने दें। जितना | जाएं। खड़े रहने दो, उनको खड़े रहना है तो। लेकिन चुप रहें।) प्रकट करेंगे, उतना बढ़ेगा। जितना प्रकट करेंगे, उतना बढ़ेगा। डरें ___ कोई प्रेम में है, तो बाहर से आप कुछ भी नहीं जान सकते कि मत, आनंद चाहते हैं, तो आनंद को प्रकट होने दें। एक्सप्रेस इट, । | उसे क्या हो रहा है। कोई आनंद में है, तो भी बाहर से नहीं जान दि मोर यू एक्सप्रेस दि मोर इट ग्रोज। सकते कि क्या हो रहा है। कोई दुख में है, तो भी बाहर से नहीं जान (तीसरे बीस मिनट में संगीत बजता रहा। लोग नाचते, गाते रहे। | सकते कि भीतर क्या हो रहा है। भीतर तो आप वही जान सकते हैं, उत्सव चलता रहा। फिर भगवान श्री ने समापन के कुछ शब्द कहे।) जो आपके भीतर हो रहा हो। बस रुक जाए। रुक जाए, शात हो जाए, शात हो जाए। शात । इसलिए भक्त अक्सर पागल मालूम पड़े हैं। और लगा है कि हो जाएं और अपनी जगह पर बैठ जाएं। शांत हो जाएं और अपनी | उनके मस्तिष्क खराब हो गए हैं। लेकिन एक बार मस्तिष्क खराब जगह पर बैठ जाएं। मौन चुपचाप अपनी जगह पर बैठ जाएं। मुझे करके भी देखना चाहिए। वह स्वाद ही और है। और अनुभव का कुछ बातें कहनी हैं, उनको कह दूं, फिर आप जाएं। शांत बैठ जाएं, | रस एक बार आ जाए, तो आप दुनियाभर की समझदारी उसके लिए आवाज न करें, भीड़ न करें यहां पास, शांत बैठ जाएं। वहां जगह छोड़ने को राजी हो जाएंगे। न हो, तो बाहर निकल जाएं, किनारे पर बैठ जाएं। लेकिन कुछ छोटी-सी बातें बाधा बन जाती हैं। एक तो यही देखें, बीच में बाहर से आप लोग आ गए हैं, तो बाहर वापस बात बाधा बन जाती है कि जो हमें नहीं हो रहा है, वह दूसरे को लौट जाएं, किनारे पर बैठ जाएं। शांत हो जाएं। देखें, बात न करें, भी कैसे होगा। अपनी-अपनी जगह बैठ जाएं। जगह न हो, तो बाहर निकल जाएं, __ आप मापदंड नहीं हैं और न कसौटी हैं। बहुत कुछ है, जो दूसरे किनारे पर बैठ जाएं। को हो सकता है, जो आपको नहीं हो रहा। और ध्यान रखना, जो बाहर निकलिए वहां से। समय खराब मत करें, बाहर निकल | दूसरे को हो रहा है, वह आपको भी हो सकता है, थोड़े साहस की जाएं। वहां बीच में जगह न हो, तो बाहर हो जाएं। जैसे भीतर आ जरूरत है। और दुनिया में बड़े से बड़ा साहस एक है और वह गए हैं, वैसे बाहर हो जाएं। बातचीत बंद करें। थोड़ा आगे हट | साहस है इस बात का कि लोग चाहे हंसें, तो भी नए के प्रयोग करने आएं, वहां पीछे बैठने की जगह हो जाएगी। बैठ जाएं, अगर आगे | का साहस। जगह न हो, तो थोड़ा आगे हट आएं। आप लोग थोड़ा आगे हट | __ बड़ा डर हमें होता है कि कोई क्या कहेगा! हम मरते वक्त तक आएं, तो पीछे जगह हो जाए। लोगों का ही हिसाब रखते हैं कि कोई क्या कहेगा। इसी में हम 64
SR No.002409
Book TitleGita Darshan Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages432
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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