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8 रूपांतरण का आधार-निष्कंप चित्त और जागरूकता
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बोकोजू ने कहा कि मैंने जानने वालों को तो कभी-कभी गिरते | कहा कि सावधान! तभी उसे याद आया, तभी उसके भीतर ताजगी देखा है, न जानने वालों को मैंने कभी गिरते नहीं देखा। तू चढ़। | | खो गई थी, भीतर के द्वार बंद हो गए थे। दीया बुझ गया था। सूरज क्योंकि न जानने वाला इतना खतरे से भरा रहता है कि भीतर होश | | डूब गया था। अंधेरा पकड़ रहा था। और उसे सपने आने शुरू हो रहता है, एक-एक कदम सम्हालकर रखता है। जो सोचता है कि गए थे। नींद घिर गई थी। मैं चढ़ना जानता हूं वृक्ष पर, वह कभी-कभी गिर भी जाता है, ___कभी खतरे के क्षण में हमें थोड़ा-बहुत होश आता हो, तो आता क्योंकि उसे होश रखने की कोई जरूरत नहीं होती।
हो। लेकिन हम इतने कुशल हैं नींद में कि हम खतरे के क्षण को वह राजकुमार चढ़ा। कोई सौ फीट ऊंचा वृक्ष! वह चढ़ता | भी धोखा देकर, बचकर निकल जाते हैं। आखिरी कगार पर पहुंच गया, तब तक उसका गुरु नीचे आंख बंद __एक मित्र के घर मैं गया था, उनके घर में कोई मर गए थे। अब करके बैठा रहा। उसने कई बार नीचे झांककर भी देखा कि गुरु कुछ | घर में कोई मर जाए, तो बड़ा खतरा है। जो मर गया उसको नहीं,
, कोई मार्ग-दर्शन देगा, लेकिन वह आंख बंद करके वह तो खतरे के बाहर हआ; जो जिंदा हैं उनको। अगर उनमें थोड़ी बैठा है। फिर जब वह ऊपर पहंच गया. तो उसे आज्ञा थी कि ऊपर भी समझ हो. तो मौत उनके लिए जिंदगी का रूपांतरण हो सकती से पहुंचकर वापस लौटना शुरू कर देना, आखिरी सीमा तक है। क्योंकि एक की मौत सबकी मौत की खबर है। और जब भी मैं पहुंचकर लौट आना।
किसी को मरते देखता हूं, तो उसका मतलब है कि फिर मुझे खबर - जब राजकुमार दस फीट के करीब था जमीन से वापस लौटते आई कि मैं मरूंगा। वक्त, तब गुरु अचानक चौंककर उठा और उसने चिल्लाकर कहा __ लेकिन घर में मैं गया, तो वे सारे लोग रो-पीट रहे थे। जो चल कि जरा सावधानी से उतरना! उस राजकुमार ने कहा, आप भी बसे थे, उनकी पत्नी ने मुझसे पूछा कि आपका आत्मा की अमरता पाराल मालूम पड़ते हैं। क्योंकि जब तुम्हारी सहायता की और | में तो विश्वास है न? मेरे पति की आत्मा तो बचेगी? चेतावनी की जरूरत थी, तब तुम आंख बंद किए बैठे रहे। और | मैंने उस पत्नी को कहा कि तू और नए सपनों में खोने का उपाय जब मैं जमीन के अब करीब आ गया हूं, जब कि अब कोई खतरा | कर रही है। यह शरीर मर गया है, इस मौके को मत चूक। तेरा शरीर ही नहीं है, तब तुम चेतावनी दे रहे हो!
भी मरेगा। यह तीर तेरे भीतर इस क्षण अगर गहरे में प्रवेश कर जाए, __ जब वह राजकुमार नीचे उतर आया, तब उसके गुरु ने कहा कि | तो तेरी नींद टूट जाए। लेकिन तू होशियार है। तू अपने बाबत सोच निश्चित ही, मैंने तभी तुझे चेतावनी दी, जब तू निश्चित हो गया। ही नहीं रही है! तू सोच रही है कि मेरे पति की आत्मा तो अमर है न! जब तुझे लगा कि जमीन करीब आ गई और तेरे भीतर के सपने | थोड़ी ही देर में यह खतरा समाप्त हो जाएगा, यह लाश घर से उठ शुरू हो गए, तभी तू चूक सकता था और गिर सकता था। नींद | | जाएगी। दो-चार दिन में यह घाव पुरना शुरू हो जाएगा। साल, छ: शुरू हो गई। ऊपर के शिखर पर जब था, तब तो नींद के आने का | महीने में यह बात पुरानी पड़ जाएगी। इस क्षण में, इस खतरे के क्षण कोई उपाय न था। तू खुद ही जागा हुआ था; हमारी कोई जरूरत ही | | में, जब कोई निकटतम मर गया है, तब इस मौत के तीर को अपनी न थी। वह तो जब मुझे लगा कि अब जमीन है करीब, और अब तरफ मोड़, तो शायद तुझे ध्यान उपलब्ध हो जाए। तू सो सकता है...। मैं तुझसे पूछता हूं कि जब मैंने चेतावनी की __लेकिन उसने मुझसे कहा, आप भी कैसी बातें कर रहे हैं! मेरे आवाज दी, तब तेरे भीतर कोई फर्क पड़ा था?
पति मर गए हैं और आप ध्यान की बात कर रहे हैं! आपको ध्यान तब उस राजकुमार को स्मरण आया-हम इतने सोए हुए हैं कि के सिवाय कुछ और सूझता ही नहीं? मेरे पति मर गए हैं! वह हमारे भीतर भी क्या होता है, उसका भी हमें स्मरण कहां है-तब | अपनी छाती पीटने लगी। उसे स्मरण आया कि यह बात ठीक है। जब तक वह शिखर के | यह छाती पीटना मौत के तथ्य को भुलाने का उपाय है। वह रोने ऊपर था, तब तक उसके भीतर ऐसी ताजगी और जागरूकता थी, लगी। उसकी आंख आंसू से भर गई। वह अपने पुराने सपने देखने जैसे सुबह का सूरज निकला हो और सब तरफ ताजगी हो। जैसे लगी, जब उसकी शादी हुई होगी और जब बैंड-बाजे बजे होंगे, फूल खिले हों ताजे, और सब तरफ ताजगी हो। जैसे दीया जल रहा और जब वह इस घर की तरफ आई होगी बहुत सपनों को लेकर, हो और सब तरफ रोशनी हो। और जैसे ही वह गुरु ने चिल्लाकर | | और वह सब याददाश्त। और यह जो तथ्य का क्षण, एक सत्य का
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