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मनुष्य बीज है परमात्मा का
कदम उठा लिया। बहुत बड़ा कदम उठा लिया। फिर दूसरा प्रयोग | तो दो दफे लगती होगी दिन में, तीन दफा लगती होगी। न खाएं, है कि नींद रात लगी रहे, लगी रहे, लगी रहे, लेकिन भीतर एक तो दिनभर लगती है! भूख पीछा करती है। शरीर तो भूखा होता ही कोने में होश भी बना रहे कि मैं सो रहा हूं, करवट बदल रहा हूं, है, आत्मा भी भीतर भूख से भर जाती है। मच्छड़ काट रहा है, हाथ-पैर ढीले पड़ गए हैं। अब जागने का क्षण | उपवास का प्रयोग इसी तरह का प्रयोग है, जैसा नींद का प्रयोग करीब आ रहा है, अब मैं जाग रहा हूं।
है। शरीर को भूख लगे और आप भीतर बिना भूख के रहें, तो दोनों जिस दिन आप सांझ से लेकर सुबह तक, शरीर सोया रहे और | क्रियाएं अलग हो जाएंगी। आप जागे रहें, अब कोई कठिनाई नहीं है; अब आप मृत्यु में प्रवेश | जिस दिन आपको साफ हो जाएगा, शरीर को भूख लगी और कर सकते हैं। तब बहुत आसान है, तीसरी बात। इतना अगर सध मैं तृप्त भीतर खड़ा हूं, कोई भूख नहीं है, उस दिन आपको भेद जाए-इसमें वर्षों लग सकते हैं लेकिन इतना सध जाए, तो का पता चल जाएगा। शरीर सो गया, आप जागे हुए हैं, भेद का आप दूसरे आदमी हो जाएंगे, एक नए आदमी हो जाएंगे। आपने | | पता चल जाएगा। और जब भेद का पता चलेगा, तभी जब मृत्यु अपनी नींद पर विजय पा ली।
होगी, शरीर मरेगा, आप नहीं मरेंगे, तब आपको उस भेद का भी और जिसने अपनी नींद पर विजय पा ली, उसको मृत्यु पर| | पता चल जाएगा। विजय पाने में कोई कठिनाई नहीं, क्योंकि मृत्यु एक और बड़ी नींद | | नींद से शुरू करें, धीरे-धीरे, धीरे-धीरे भीतर भेद साफ होने है, और गहन मूर्छा है। अगर आप नींद में जग पाते हैं, तो आपको | लगता है, रोशनी भीतर बढ़ने लगती है। रोशनी हमारे पास है, हम तत्क्षण पता चलने लगेगा कि आप अलग हैं और शरीर अलग है। उसे बाहर उपयोग कर रहे हैं, भीतर कभी ले नहीं जाते। तो सारी क्योंकि शरीर सोएगा और आप जगेंगे।
दुनिया को देखते हैं, अपने भर को छोड़ देते हैं। ध्यान रहे, आपको तब तक शरीर के और आत्मा के अलग होने इसलिए अर्जुन को दिखाई नहीं पड़ा। क्योंकि मृत्यु तो किसी को का पता नहीं चलेगा. जब तक आप कोई ऐसा प्रयोग न करें जिस भी दिखाई नहीं पड़ती है अपनी सिर्फ दसरे की दिखाई पड़ती है। प्रयोग में दोनों की क्रियाएं अलग हों। अभी आपको भूख लगती | ___ इसलिए दूसरे के संबंध में जो भी आपको दिखाई पड़ता है, है, तो आपके शरीर को भी लगती है, आपको भी लगती है। बहुत | उसको बहुत मानना मत, वह झूठा है, ऊपर-ऊपर है। अपने संबंध मुश्किल है तय करना कि शरीर को भूख लगी कि आपको लगी। | में भीतर जो दिखाई पड़े, वही सत्य है, वही गहरा है। और जब अभी आप जो भी कर रहे हैं, उसमें आपकी क्रियाओं में तालमेल | | आपको अपना सत्य दिखाई पड़ेगा, तभी आपको दूसरे का सत्य है, शरीर और आप में तालमेल है। आपको कोई न कोई ऐसा | भी दिखाई पड़ेगा। जिस दिन आपको पता चल जाएगा, मैं नहीं अभ्यास करना पड़े, जिसमें आपको कुछ और हो रहा है, शरीर को | | मरूंगा, उस दिन फिर कोई भी नहीं मरेगा आपके लिए। फिर आप कुछ और हो रहा है। बल्कि शरीर को विपरीत हो रहा है, आपको कहेंगे कि वस्त्र बदल लिए। विपरीत हो रहा है।
रामकृष्ण की मृत्यु हुई, तो पता चल गया था कि तीन दिन के लोगों ने भूख के साथ भी प्रयोग किया है। उपवास वही है। वह भीतर वे मर जाने वाले हैं। जो लोग भी जाग जाते हैं, वे अपनी मौत इस बात का प्रयोग है कि शरीर को भूख लगेगी और मैं स्वयं को | | की घोषणा कर सकते हैं। क्योंकि शरीर संबंध छोड़ने लगता है। भूख न लगने दूंगा। भूखे मरने का नाम उपवास नहीं है। अधिक |
कोई एकदम से तो छटता नहीं कोई छः महीने लगते हैं शरीर को लोग उपवास करते हैं, वे सिर्फ भूखे मरते हैं। क्योंकि शरीर को भी संबंध छोड़ने में। लगती है भूख, उनको भी लगती है। बल्कि सच तो यह है कि इसलिए मरने के छः महीने पहले, जिसका होश साफ है, वह भोजन करने में उनकी आत्मा को जितनी भूख का पता नहीं चला | | अपनी तारीख कह सकता है कि इस तारीख, इस घड़ी मैं मर था, उतना उपवास में पता चलता है।
जाऊंगा। तीन दिन पहले तो बिलकुल संबंध टूट जाता है। बस ___ भोजन करते में तो पता चलता नहीं; जरूरत के पहले ही शरीर | आखिरी धागा जुड़ा रह जाता है। वह दिखाई पड़ने लगता है कि बस को भोजन मिल जाता है। भूख भीतर तक प्रवेश नहीं करती। | | अब एक धागा रह गया है, यह किसी भी क्षण टूट जाएगा। .. उपवास कर लिया, उस दिन दिनभर भूख लगी रहती है। खाते वक्त | तो रामकृष्ण को तीन दिन पहले पता हो गया था कि उनकी मृत्यु