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ॐ चरण-स्पर्श का विज्ञान -
व्यवस्था पूरी यह थी—वह तो अभी उन्होंने इंग्लैंड में का तो पता चलता है। विद्युत-यंत्र बनाए और उसका फायदा लिया, हम हजारों साल से । तो अब तो आप ध्यान में हैं या नहीं, इसको यंत्र से नापा जा ले रहे हैं-व्यवस्था यह थी कि गुरु के चरणों में शिष्य सिर रख | सकता है। यंत्र बता देता है कि अल्फा तरंगें चल रही हैं, तो आप दे। सिर का मतलब है, रिसेप्टिव हिस्सा, ग्राहक हिस्सा। और | | ध्यान में हैं। चरणों का अर्थ है, दान देने वाला हिस्सा। और गुरु अपने हाथों को ___ तो साल्टर यह प्रयोग कर रहा था कि आदमी ही ध्यान में हो सिर के ऊपर रख दे, आशीर्वाद में। तो गुरु दोनों तरफ से, पैर की | | सकते हैं कि जानवर भी ध्यान में पहुंचाए जा सकते हैं! तो एक अंगुलियों से, हाथ की अंगुलियों से, दायक हो जाता है। और जो | | बिल्ली को विद्युत की तरंगें देकर अल्फा की हालत में लाता था। नीचे झुका है, उसकी तरफ आसानी से विद्युत बह पाती है। इसलिए | और बिल्ली को भूखा रखता था और जब उसमें अल्फा तरंगें आ शिष्य नीचे है, गुरु ऊपर है।
जाती थीं, यंत्र बताता कि अल्फा तरंगें आ गईं, तब उसको दूध, अगर आपको सच में श्रद्धा का भाव जन्मा है, तो आप फौरन | | मिठाई देता था। अनुभव करेंगे कि आपके सिर में अलग तरह की तरंगें गुरु के तो बिल्ली तरकीब सीख गई कि जब अल्फा तरंगें मिलती हैं, चरणों से प्रवाहित होनी शुरू हो गईं। और आपका सिर शांत हुआ तभी उसको दूध, मिठाई मिलती है। जब उसको भूख लगती, तो जा रहा है। कोई चीज उसमें बह रही है और शांत हो रही है। बिल्ली चुपचाप शांत खड़े होकर आंख बंद करके ध्यान करने 'मनुष्य का शरीर विद्युत-यंत्र है। अब तो विद्युत के छोटे यंत्र भी लगती! जब उसको भूख लगती। क्योंकि उसको पता चल गया बनाए गए हैं, जो आपके मस्तिष्क में लगा दिए जाएं, तो वे धीमी | भीतर कि कब मन की कैसी हालत होती है, तब मुझे दूध मिलता गति से आपके मस्तिष्क में विद्युत की तरंगें फेंकेंगे। उन तरंगों से | | है, तो वह आंख बंद करके खड़ी हो जाती। और बिल्ली अल्फा आप शांत होने लगेंगे।
| तरंगें पैदा करने लगी बिना विद्युत की सहायता के! नींद के लिए रूस ने ट्रैक्वेलाइजर्स करीब-करीब बंद कर दिए। तो मुझे तो बहुत आशापूर्ण मालूम पड़ा। अगर बिल्ली कर हैं। उन्होंने विद्युत-यंत्रों का उपयोग शुरू कर दिया है। क्योंकि वे सकती है, तो आप भी कर सकते हैं। ऐसी क्या मुश्किल है! ऐसी कहते हैं, ट्रैक्वेलाइजर तो भीतर जाकर शरीर को अस्तव्यस्त भी क्या मुश्किल है! करता है, विद्युत-येत्र किसी तरह अस्तव्यस्त नहीं करता। और ___ अर्जुन कह रहा है कि चरणों में सिर रखकर आपसे प्रसन्न होने मनुष्य के ही शरीर में नहीं, पशुओं के शरीर में भी मस्तिष्क से अगर | की प्रार्थना करता हूं, मुझे क्षमा कर दें। और मैं जानता हूं कि आप विद्युत डाली जाए, वे भी शांत हो जाते हैं।
तो क्षमा कर ही देंगे। लेकिन जो मैंने किया है अतीत में, वह मेरे अभी एक अमेरिकन विचारक, साल्टर एक प्रयोग कर रहा था, ऊपर बोझ है। उस बोझ से मुझे मुक्त हो जाना जरूरी है। उसके अपनी बिल्ली के ऊपर। मैं बहुत चकित हुआ! वह अपनी बिल्ली | | लिए चरणों में सब छोड़ देता हूं। के मस्तिष्क में विद्युत की तरंगें फेंक रहा था, और वैसी अवस्था
आज इतना ही। पैदा कर रहा था, जिसको वैज्ञानिक अल्फा वेव्स कहते हैं। पांच मिनट रुकें। कीर्तन में सम्मिलित हों, और फिर जाएं।
मस्तिष्क में चार तरह की तरंगें हैं विद्युत की। एक तो वे तरंगें हैं, जो आप सामान्यतः सोच-विचार में लगे होते हैं, तब चलती हैं। उनको नापने का उपाय है। क्योंकि प्रति सेकेंड उनकी खास फ्रीक्वेंसी होती है। फिर उनसे बाद की तरंगें हैं, अल्फा उनका नाम है। जब आप शांत सोए होते हैं, रिलैक्स होते हैं या ध्यान में होते हैं, तब अल्फा होती हैं। फिर उसके बाद की भी तरंगें हैं, जब आप बिलकुल प्रगाढ़ निद्रा में होते हैं, जहां स्वप्न भी नहीं होता। और उसके बाद की भी तरंगें हैं, जिनके बाबत अभी पश्चिम में कोई समझ पैदा नहीं हो सकी है कि वे किसकी खबर देती हैं। इन तीन
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