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________________ गीता दर्शन भाग-5 रखना आसान नहीं होगा, उसके लिए सर्कस का अनुभव चाहिए। तो फिर सिंबल का काम करते हैं। जूता सिंबल का काम करता है, कि हम जूते को सिर पर मार देते हैं। हम उससे यह कह रहे हैं कि तुम्हारा सिर हमारे पैर में! लेकिन क्या इसका मतलब है? सारी दुनिया में यह भाव एक-सा है । इससे विपरीत श्रद्धा है, जब हम किसी के चरणों में सिर को रख देना चाहते हैं। यह बड़े मजे की बात है कि सारी दुनिया में अपमान करने के लिए सिर पर पैर रखने की भावना है, लेकिन सम्मान करने के लिए सिर्फ भारत में पैर पर सिर रखने की धारणा है। इस लिहाज से भारत की पकड़ गहरी है आदमी के मन के बाबत | इसका यह मतलब हुआ कि सारी दुनिया में अपमान करने की व्यवस्था तो हमने खोज ली है, सम्मान करने की व्यवस्था नहीं खोज पाए। और अगर यह बात सच है कि हर मुल्क में हर आदमी को अपमान हालत में ऐसा भाव उठता है, दूसरी बात भी सच होनी चाहिए कि श्रद्धा के क्षण में सिर को किसी के पैर में रख देने का भाव उठे । यह, भीतर जो घटना घटेगी, तभी ! इसका यह मतलब हुआ कि श्रद्धा को जितना हमने अनुभव किया है, संभवतः दुनिया में कोई मुल्क अनुभव नहीं किया। अगर अनुभव करता, तो यह प्रक्रिया घटित होती । क्योंकि अगर अनुभव करता, तो कोई उपाय खोजना पड़ता, जिससे श्रद्धा प्रकट हो सके। तो एक तो श्रद्धा की यह अभिव्यक्ति है क्षमा-याचना के लिए। अर्जुन कह रहा है कि सब भांति आपके चरणों में अपने शरीर को रखकर मांगता हूं माफी | मुझे माफ कर दें। लेकिन इतनी ही बात नहीं है, थोड़ा भीतर प्रवेश करें। तो सिर जब किसी के चरणों में रखा जाता है...। अभी जब बाडी- इलेक्ट्रिसिटी पर काफी काम हो गया है, तो यह बात समझ में आ सकती है। आपको शायद अंदाज न हो, लेकिन उपयोगी होगा समझना। और इस संबंध में थोड़ी जानकारी लेनी आपके फायदे की होगी। हर शरीर की गतिविधि विद्युत से चल रही है। आपका शरीर एक विद्युत यंत्र है, उसमें विद्युत की तरंगें दौड़ रही हैं। आप एक बैटरी , जिसमें विद्युत चल है, बहुत लो वोल्टेज की, बहुत कम शक्ति की। लेकिन बड़ा अदभुत यंत्र है कि उतने लो वोल्टेज से सारा काम चल रहा है। अभी इंग्लैंड में एक वैज्ञानिक ने कुछ तांबे की जालियां विकसित की हैं, वे काम की हैं। वह आपके शरीर के नीचे तांबे की जालियां | रख देता है और आपके हाथों में और आपके पैरों में तांबे के तार | बांध देता है | और आपके शरीर की ऋण विद्युत को आपके शरीर की धन विद्युत से जोड़ देता है। आपके भीतर जो निगेटिव, पाजिटिव पोल हैं विद्युत के, उनको जोड़ देता है। उनके जोड़ते से ही आप एकदम शांत होने लगते हैं। अब तो इसका इंग्लैंड के अस्पतालों में उपयोग हो रहा है। उनको जोड़ते से ही आप शांत होने लगते हैं। कितना ही अशांत आदमी हो, तीस मिनट में एकदम गहरी नींद में खो जाएगा। क्योंकि उसकी दोनों विद्युत शक्तियां एक-दूसरे को शांत करने लगती हैं। अगर उलटे तार जोड़ दिए जाएं, तो शांत आदमी अशांत होने लगता । | उसके भीतर की विद्युत अस्तव्यस्त होने लगती है। और यह एक आदमी का ही नहीं। अगर इसका और गहरा प्रयोग करना हो, तो एक स्त्री को एक जाली पर लिटा दिया जाए, एक जाली पर पुरुष को; और उनके ऋण धन को जोड़ दिया जाए, तो और भी शीघ्रता से, और भी शीघ्रता से शांति होने लगती है। आपको अपनी पत्नी या प्रेयसी के पास बैठकर जो शांति मिलती है, उसमें अध्यात्म बहुत कम, बिजली ज्यादा है। आपकी ऋण-धन | विद्युत जुड़ जाती है। और अगर प्रेम गहरा हो तो ज्यादा जुड़ जाती है, क्योंकि आप एक-दूसरे को ज्यादा से ज्यादा निकट लेना चाहते हैं। अगर प्रेम ज्यादा न हो, तो आप भला निकट हों, अपने को दूर | रखना चाहते हैं। एक तरह का बचाव बना रहता है, वह बाधा बन जाती है। यह तो दस-पच्चीस लोगों के ग्रुप में भी प्रयोग किया जाता है। दस-पच्चीस लोगों को इकट्ठा जोड़ दिया जाता है एक श्रृंखला में, | तब और भी जल्दी परिणाम होते हैं। भारत इस रहस्य को किसी दूसरे कोने से सदा से जानता रहा है। | गुरु के चरणों में सिर रखना, गुरु के साथ उसकी विद्युत का जोड़ है। उसके चरणों में सिर रखते ही गुरु की जो विद्युत धारा है, वह शिष्य में प्रवाहित होनी शुरू हो जाती है। और ध्यान रहे, विद्युत के प्रवाहित होने के लिए दो ही जगहें हैं, या तो हाथ या पैर - अंगुलियां। नुकीला कोना चाहिए, जहां से | विद्युत बाहर जा सके। और जहां से विद्युत भीतर लेनी हो, उसके लिए सिर से अच्छी कोई जगह नहीं है। उसके लिए गोल जगह चाहिए, जहां से विद्युत ग्रहण की जा सके। रिसेप्टिविटी के लिए सिर बहुत अच्छा है; दान के लिए अंगुलियां बहुत अच्छी हैं। 390
SR No.002408
Book TitleGita Darshan Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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