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________________ 8 गीता दर्शन भाग-500 उसको यह खयाल है कि भविष्य बनाया जा सकता है। कैसे जी कृष्ण उसे यही कहना चाहते थे कि तू नाहक परेशान हो रहा है सकता है? इसलिए शिक्षा ठीक होकर भी अधूरी है। कैसे जी | | कि ऐसा करूं, कि वैसा करूं। जो होना है, वह होगा। तेरी परेशानी सकता है, जब तक उसे पता है कि मैं चाहूं तो कल और कुछ हो अकारण है, असंगत है। कृष्ण उसे यही समझा रहे थे कि जो होना सकता है! और अगर मैं कुछ न करूं तो कुछ और होगा! कल है, वह हो ही चुका है। तू चिंता छोड़। कहानी लिखी जा चुकी है। बदला जा सकता है, यह मेरे आज को तो परेशान करेगा ही। अगर नाटक का अंत तय हो चुका है। तू सिर्फ पात्र है। तू नाटक का कल बदला ही नहीं जा सकता...। रचयिता नहीं है। तू लेखक नहीं है। यह जो कथा है, यह तुझसे लिखी कल ऐसा ही है, जैसे कोई उपन्यास में पढ़ रहा हूं, जिसकी कथा जाने वाली नहीं है। तू लिखने वाला नहीं है। लिखने वाला लिख लिखी ही हुई है, या कोई फिल्म देख रहा हूं। तो मैं हाल में बैठकर चुका है। नतीजा तय हो चुका है। तुझे सिर्फ काम पूरा करना है। कुछ भी करूं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। फिल्म में जो यह ऐसे ही है, जैसे रामायण खेल रहे हैं लोग। रामलीला कर घटना घटने वाली है, वह घटकर ही रहेगी। फिल्म तो सिर्फ उघड़ रहे हैं। अब उसमें कोई उपाय नहीं है। रही है। सब नियत है। वह अगर शादी होनी है पात्र की, तो हो एक गांव में ऐसा हो गया। एक गांव में एक ही आदमी हर बार जाएगी। पीछे बैंड-बाजा बजेगा, और शहनाई बज जाएगी। नहीं | रावण बनता था। रावण जैसा था शक्ल-सूरत से। तो हर बार जब होनी है, तो नहीं होगी। और जो भी होना है, वह एक अर्थ में हो | रामलीला होती, वह रावण बनता। और गांव की एक सुंदर स्त्री चुका है। फिल्म से सिर्फ मुझे दिखाई पड़ना है। थी, वह सीता बनती। ऐसा हुआ, धीरे-धीरे साथ-साथ काम अब मैं हाल में बैठकर करवटें बदल रहा हूं कि कोई उपाय करूं करते-करते सच में ही रावण को सीता से प्रेम हो गया, उस लड़की कि यह जो अभिनेता प्रेम कर रहा है, इसकी शादी हो जाए। तो मैं | से। और उसे बड़ा कष्ट होता था कि हर बार प्रेम तो उसका है और नाहक परेशान हो रहा है। कोई परेशान नहीं होता। लेकिन कछ हर बार शादी राम के साथ होती है। कष्ट स्वाभाविक था। लोग परेशान फिल्म में भी होते हैं। कम से कम थोड़ी देर को तो एक बार ऐसा हुआ कि जब स्वयंवर रचा और रावण भी बैठा। भूल ही जाते हैं। फिल्म में भी सोचने लगते हैं कि ऐसा हो जाए, तो कथा ऐसी है कि रावण के दूत आए और उन्होंने खबर दी कि तो अच्छा। ऐसा न हो, तो बेचैनी होती है। लंका में आग लगी है, इसलिए वह लंका चला गया। उसी बीच भारतीय दष्टि यह है और गीता की दष्टि है यह और बहत राम ने धनष तोड दिया. शादी हो गई। दत आकर चिल्लाने लगे लंबे अनभव के बाद इस नतीजे पर भारत पहुंचा कि भविष्य सिर्फ कि रावण तेरे राज्य में आग लगी है। रावण ने कहा. लगी रहने दे। अनफोल्ड हो रहा है। मैं यह नहीं कह रहा हूं, यह सही है या गलत इस बार तो शादी करके ही जाऊंगा। बहुत बार देख चुका; लगी है। यह कुछ भी नहीं कह रहा हूं। यह सिर्फ एक डिवाइस है, एक रहने दे। और उसने आव देखा न ताव, उठाकर शिवजी का धनुष उपाय है। तोड़कर दो टुकड़े कर दिए। एक उपाय है, अगर आपको वस्तुएं इकट्ठी करनी हैं, तो भविष्य जनक घबड़ा गए। सीता भी घबड़ाई। राम भी परेशान हुए। नियत नहीं है, मानकर चलें। आत्मा खो जाएगी। एक उपाय है कि | वशिष्ठ भी सोचने लगे होंगे कि अब क्या हो? यह सारी कथा खराब भविष्य नियत है, चिंता न करें। आप अपनी आत्मा को सरलता से हो गई! वह तो जनक कुशल आदमी था, गांव का बूढ़ा आदमी था। उपलब्ध कर सकेंगे। उसने कहा, भृत्यो, यह तुम मेरे बच्चों के खेलने का धनुष उठा लाए! इसलिए अर्जुन ने जो देखा कृष्ण में...अभी योद्धा मरे नहीं हैं। | शिवजी का धनुष लाओ। परदा गिराकर, रावण को अलग करके, समझिए। अभी योद्धा मरे नहीं हैं। अभी भीष्म पितामह जीवित हैं। | दूसरा आदमी रावण बनाना पड़ा। तो वह सारी कथा...! अभी द्रोणाचार्य पूरी तरह जीवित हैं। अभी हारे भी नहीं हैं, मिटे भी कृष्ण अर्जुन को कह रहे हैं कि वह जो होने वाला है, वह तेरे हाथ नहीं हैं। अभी तो युद्ध शुरू नहीं हुआ है। और उसने देखा, कृष्ण के | में नहीं है; तू नाहक चिंता ले रहा है। वह लिखा जा चुका है, वह हो दांतों में दबे हुए, पिसते हुए, मरते हुए, समाप्त होते हुए। जैसे फिल्म चुका है, वह नियत है, वह बंधा हुआ है। तू निश्चित हो जा। और में उसने आगे झांक लिया, या उपन्यास के कुछ पन्ने एकदम से उलट | तू अपना पार्ट ऐसे कर ले, जैसे एक अभिनय में कर रहा है। दिए, और पीछे का निष्कर्ष पढ़ लिया। भविष्य उसे दिखाई पड़ा। हो जाती है भूल। यह अभिनेता भूल गया कि मैं सिर्फ अभिनय |336
SR No.002408
Book TitleGita Darshan Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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