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________________ अचुनाव अतिक्रमण है - रात उसने फिर परमात्मा को कहा कि एक मर्जी और पूरी कर दे। एक तूने पूरी कर दी। अब मैं जानना चाहता हूं, इस गांव में सबसे बुरा, सबसे शैतान, सबसे पापी आदमी कौन है? उसका भी तो पता चल जाए। परमात्मा फिर रात सपने में प्रकट हुआ और उसने कहा कि वही आदमी जो तेरे पड़ोस में रहता है। और कल सुबह उठकर तू उसके पैर छु आना। अब तो और मुसीबत हो गई। कल तो पैर छूना आसान भी था, कम से कम परमात्मा ने कहा था। भरोसा तो नहीं आ रहा था। फिर भी परमात्मा ने कहा था कि आदमी पवित्र है, तब पैर छूना... । तब भी मुसीबत थी। और अब यह आदमी सबसे बड़ा पापी है, परमात्मा कहता है। और अब इसके पैर छूना! और फिर जुनैद ने कहा, यह क्या खेल है मालिक! यही आदमी पवित्र और यही आदमी पापी! यह एक ही आदमी है। तो उसे आवाज सुनाई पड़ी कि जिस दिन तू दोनों को एक साथ देख पाएगा, बस उसी दिन तू मुझे देख पाएगा, उसके पहले नहीं। • वह जो बुरा है, वह जो भला है; वह जो शुभ है, वह जो अशुभ है; प्रीतिकर, अप्रीतिकर; जिस दिन हम दोनों को एक में देख पाते हैं, उसी दिन, उसी दिन हम पार होते हैं द्वंद्व के। अर्जुन की तकलीफ यही है कि वह द्वंद्व के पार होने के किनारे खड़ा है। वह कृष्ण से कहता है, लौटा लो। वापस हो जाओ। वही रूप ठीक था, तुम जैसे थे वही। हंसो, मुस्कुराओ। यह मृत्यु वाला रूप मुझे जरा भी सुख नहीं देता है। हालांकि उसे अनुभव हो रहा है कि यह भी उनका ही रूप है। __ अगर वह आज राजी हो जाए इस रूप के लिए, तो द्वंद्व के इसी क्षण पार हो जाए। लेकिन अर्जुन इस क्षण तक राजी नहीं हो सका। और वापस द्वंद्व में गिरने के आग्रह कर रहा है। आज इतना ही। शेष हम कल...। पांच मिनट रुकें। कीर्तन करें. फिर जाएं। 327
SR No.002408
Book TitleGita Darshan Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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