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________________ परमात्मा का भयावह रूप शरीर की व्यवस्था को पूरा समझ लेंगे, उसके जीवन-कोष्ठ की व्यवस्था को, उस दिन हम कह सकेंगे कि यह बच्चा सत्तर साल चलेगा, कि अस्सी साल चलेगा। तो फिर एक यंत्र उसके हाथ पर बिठाया जा सकता है, जो बताता रहेगा कि अब कितना कम होता जा रहा है। घड़ी का कांटा घूमता रहेगा और मौत की तरफ आता रहेगा। और एक दिन आकर मौत पर रुक जाएगा। लेकिन जिएफ कहता है कि अगर यह यंत्र खोज लिया जाए, तो दुनिया आज फिर से धार्मिक हो सकती है। वह ठीक कहता है। यंत्र चाहे खोजा जाए या न खोजा जाए, जिस आदमी को भी मौत का खयाल आना शुरू हो जाता है, उसकी जिंदगी में परिवर्तन शुरू हो जाता है। क्योंकि जिसको भी यह पता चल जाए कि मैं मिट जाऊंगा, उसकी सारी वासनाओं का अर्थ खो जाता है। सबफ्यूटायल, सब व्यर्थ मालूम होने लगता है। क्या अर्थ है फिर एक मकान बनाने का ? फिर क्या अर्थ है इतना धन इकट्ठे करने का ? फिर क्या अर्थ है कि इतने लोग इज्जत दें, प्रतिष्ठा करें? कुछ भी अर्थ नहीं है। मुर्दे मुर्दों से प्रतिष्ठा मांग रहे हैं! मुर्दे मुर्दों से इज्जत इकट्ठी कर रहे हैं। और कुल फर्क इतना है कि हम आते थोड़ी देर से हैं, आप जाते थोड़े जल्दी हैं । या हम जाते थोड़े जल्दी हैं, आप आते थोड़ी देर से हैं। क्यू है। वह जो बस के पास क्यू लगा रहता है! क्यू लगाकर हम मौत के पास खड़े हैं। आपके प जरा आगे होंगे, आपका बेटा जरा पीछे होगा, आप जरा क्यू के बीच में होंगें। बाकी क्यू लगा हुआ है और उधर मुंह है। अर्जुन को दिखा होगा, सारा प्राणी-जगत क्यू लगाए खड़ा है, और मौत के मुंह में जा रहा है, और लपटें हर एक के ऊपर घूम रही हैं। इसलिए वह कह रहा है कि सारा जगत, आपके इस अलौकिक और भयंकर रूप को देखकर तीनों लोक अतिव्यथा को प्राप्त हो रहे हैं। अलौकिक भी है यह रूप और भयंकर भी अलौकिक क्यों ? भयंकर कैसे अलौकिक कहा होगा अर्जुन ने ? अगर आप पूरे को देख पाएं, तो जब पतझड़ हो रही है और पत्ते गिर रहे हैं और वृक्ष नग्न हो गए हैं - अगर आपको दिखाई पड़ता हो थोड़ा गहरा, अगर आपके पास झांकने की क्षमता हो तो ये जो पत्ते गिर गए हैं और वृक्ष नग्न हो गए हैं, यह आने वाली बहार की खबर है। ये गिरते हुए पत्ते नए आने वाले पत्तों के द्वारा धक्का दिए गए हैं। भीतर से नए पत्ते आ रहे हैं, वह जगह बना रहे हैं। वे पुराने पत्तों को धक्का देकर गिरा रहे हैं। वृक्ष थोड़ी देर को नग्न हो | गया है, क्योंकि फिर दुल्हन की तरह सजने की उसकी तैयारी है। तो एक तरफ पतझड़ बहुत विकराल है, और दूसरी तरफ पतझड़ वसंत के आगमन की खबर है, वह जो आने वाला है, वह जो हो रहा है। 307 एक तरफ मौत दुख है। लेकिन हर मौत जन्म की खबर है। जब एक बूढ़ा आदमी मर रहा है, तो हमें सिर्फ एक मरता हुआ आदमी दिखाई पड़ता है। हमें पता नहीं कि जैसे नया पत्ता पुराने पत्ते को धक्का देकर गिरा रहा है। कोई नया बच्चा इस जगत में प्रवेश कर रहा है, एक पुराने शरीर को गिरा रहा है। अगर हम इस पूरे को देख पाएं, तो हम देखेंगे कि एक नया बच्चा किसी गर्भ में प्रवेश कर गया है, और एक बूढ़ा आदमी कब्र के किनारे आ गया है। वह नया बच्चा गर्भ में बढ़ने लगेगा और यह बूढ़ा आदमी कब्र में प्रवेश करने लगेगा। वह नया बच्चा गर्भ छलांग लगाकर बाहर आ जाएगा, यह बूढ़ा आदमी छलांग लगाकर कब्र में प्रवेश कर जाएगा। ये जरा दूर हैं फासले पर, इसलिए हमें दिखाई नहीं पड़ते, जरा बड़ा पर्सपेक्टिव, जरा बड़ा परिप्रेक्ष्य, देखने की नजर चाहिए। तो बूढ़ा आदमी जब मर रहा है, तो नया बच्चा पैदा हो रहा है। इसलिए अर्जुन कहता है, अलौकिक और भयंकर । इधर देखता हूं कि जन्म हो रहा है । इधर देखता हूं कि मौत हो रही है। और | देखता हूं कि जन्म और मौत किसी एक ही चीज के दो पैर हैं, जिसे हम जीवन कहते हैं। तो बहुत अलौकिक है। अलौकिक क्यों? क्योंकि लोक में ऐसा दिखाई नहीं पड़ता । | अलौकिक का मतलब है, जैसा लोक में दिखाई नहीं पड़ता। यहां तो हम बच्चे को बच्चा देखते हैं, बूढ़े को बूढ़ा देखते हैं। पतझड़ | को पतझड़ और वसंत को वसंत देखते हैं। यहां हम दोनों को जोड़कर नहीं देखते। वे लेकिन जो आदमी जरा ऊपर उठता है और दृष्टि उसकी खुलती है, उसे दिखाई पड़ता है, ये दोनों तो जुड़े हैं। कल तक हमने समझा था, जन्म अलग, मौत अलग। अब हम देखते हैं, वे एक ही हैं। एक ही लहर के दो छोर हैं। यह अलौकिक है। इसलिए अर्जुन को लगता है, बड़ा अलौकिक ! क्योंकि हम तो सोचते थे, सुंदर अलग, कुरूप अलग। हम तो सोचते थे, मित्र | अलग, शत्रु अलग। हम तो सोचते थे, अपना-पराया। यहां तो दोनों एक हैं। द्वंद्व, हम सोचते थे, विपरीत हैं; यहां पता चलता है कि द्वंद्व तो 1 हैं। यह तो साजिश है। यह तो जन्म और मौत की
SR No.002408
Book TitleGita Darshan Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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