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________________ ॐ गीता दर्शन भाग-58 मौजूद हों, तब समर्पण करना आसान है। कृष्ण बिलकुल सामने कल्पना जल बन जाए, दर्पण बन जाए, उस दिन वह मूल फिर मौजूद न हों, तब दोहरी दिक्कत है। पहले तो कृष्ण को मौजूद करो, | प्रतिबिंब आपमें बना देता है। उसी प्रतिबिंब के पास मीरा नाच रही फिर समर्पण करो। है। वह प्रतिबिंब मीरा को ही दिखाई पड़ रहा है। क्योंकि वह उसने मीरा को दोहरे काम करने पड़े हैं। पहले तो कृष्ण को मौजूद अपनी ही कल्पना के जल में निर्मित किया है। किसी और को करो; अपनी ही पुकार, अपनी ही अभीप्सा, अपनी ही प्यास से दिखाई नहीं पड़ रहा। लेकिन जिनमें समझ है, वे मीरा की आंख में निर्मित करो, बुलाओ, निकट लाओ। ऐसी घड़ी आ जाए कि कृष्ण भी उस प्रतिबिंब को पकड़ पाते हैं। वह मीरा की धुन और नाच में मालूम पड़ने लगें कि मौजूद हैं। रत्ती मात्र फर्क न रह जाए, कृष्ण भी खबर मिलती है कि कोई पास है। क्योंकि मीरा जब उसके पास की मौजूदगी में और इसमें। दूसरों को लगेगी कल्पना, कि मीरा होने पर नाचती है, तो फर्क होता है। कल्पना में पागल है। नाच रही है, किसके पास! जो देखते हैं, उन्हें | मीरा के दो तरह के नाच हैं। एक तो जब कृष्ण को वह पकड़ कोई दिखाई नहीं पड़ता। और यह मीरा जो गा रही है और नाच रही नहीं पाती अपनी कल्पना में, तब वह रोती है, तब वह उदास है, है, किसके पास? तब उसके पैर भारी हैं, तब वह चीखती है, चिल्लाती है, तब उसे तो मीरा की आंखों में जो देखते हैं, उन्हें लगता है कि कोई न | जैसे मृत्यु घेर लेती है। और एक वह घड़ी भी है, जब उसकी कोई मौजूद जरूर होना चाहिए। और या फिर मीरा पागल है। जो कल्पना प्रखर हो जाती है, और कल्पना का जल स्वच्छ और साफ नहीं समझ उनके लिए मीरा पागल है। क्योंकि कोई भी नहीं है हो जाता है. और जब उस दर्पण में वह कष्ण को पकड लेती है. और मीरा नाच रही है, तो पागल है। जो नहीं समझते, वे समझते | तब उसकी धुन, और तब उसके पैरों के धुंघरू की आवाज हैं, कल्पना है। बिलकुल और है। तब उसमें जैसे महाजीवन प्रवाहित हो जाता है। लेकिन अगर कल्पना इतनी प्रगाढ़ है, इतनी सृजनात्मक, इतनी तब जैसे उसके रोएं-रोएं से जो गरिमा प्रकट होने लगती है, वह क्रिएटिव है कि कृष्ण मौजूद हो जाते हों, तो जो कल्पनाशील हैं, वे सूर्यों को फीका कर दे। तब वह और है, जैसे आविष्ट, पजेस्ड, धन्यभागी हैं। जिनकी कल्पना इतनी सशक्त है कि कृष्ण के और कोई और उसमें प्रवेश कर गया है। अपने बीच के पांच हजार सालों को मिटा देती हो, अंतराल टूट जाता तो जब वह रोती है विरह में, तब उसकी उदासी, तब मीरा हो; और मीरा ऐसे करीब खड़ी हो जाती हो, जैसे अर्जुन खड़ा था। | अकेली है, उसको प्रतिबिंब पकड़ में नहीं आ रहा। और जब वह तो पहली तो कठिनाई, जब मौजूद कृष्ण न हों, तो उनको मौजूद गाती है, आनंद में, अहोभाव में, कृष्ण से बात करने लगती है, तब करने की है। और अगर कोई अपने मन में उनको मौजूद करने को कृष्ण निकट हैं। उस निकटता में समर्पण है। मीरा को कठिन पड़ा राजी हो जाए, तो वे हर घड़ी मौजूद हैं। क्योंकि परम सत्ता तिरोहित होगा, अर्जुन को सरल रहा होगा। नहीं होती, सिर्फ उसके प्रतिबिंब तिरोहित होते हैं। परम सत्ता का | | लेकिन उलटी बात भी हो सकती है। जिंदगी जटिल है। हो मूल, जिसकी कृष्ण बात कर रहे हैं कि अर्जुन तू देख सकेगा, जब सकता है मीरा को भी सरल पड़ा हो, और अर्जुन को कठिन पड़ा मैं तुझे आंख दूंगा; वह मूल तो कभी नहीं खोता, प्रतिलिपियां खो | | हो। क्योंकि जो वास्तविक शरीर में खड़ा है, उसे परमात्मा मानना जाती हैं। बहुत मुश्किल है। उसे भी प्यास लगती है, उसे भी भूख लगती है। वह मूल कभी पानी में झलकता है और राम दिखाई पड़ते हैं। वह भी रात सोता है। वह भी स्नान न करे. तो बदब आती है। वह वह मल कभी पानी में झलकता है. और बद्ध दिखाई पड़ते हैं। वह भी रुग्ण होगा, मृत्यु आएगी। पदार्थ में बने सब प्रतिबिंब पदार्थ के मूल कभी पानी में झलकता है, और कृष्ण दिखाई पड़ते हैं। यह भेद | | नियम को मानेंगे, चाहे वह कोई भी, किसी का भी प्रतिबिंब क्यों न भी पानी की वजह से पड़ता है। अलग-अलग पानी अलग-अलग हो। तो उसे परमात्मा मानना मुश्किल हो जाता है। और परमात्मा न प्रतिबिंब बनाते हैं। वह मूल एक ही बना रहता है। उस मूल का तो | | मान सकें, तो समर्पण असंभव हो जाता है। खोना कभी नहीं होता; वह अभी आपके भी पास है। वह सदा सवाल यह नहीं है बड़ा कि कृष्ण परमात्मा हैं या नहीं। सवाल आपके आस-पास आपको घेरे हुए है। बड़ा यह है कि जो उन्हें परमात्मा मान पाता है, उसके लिए समर्पण जिस दिन आपकी कल्पना इतनी प्रगाढ़ हो जाती है कि आपकी आसान हो जाता है। और जो समर्पण कर लेता है, उसे परमात्मा कहीं 2701
SR No.002408
Book TitleGita Darshan Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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