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________________ परम गोपनीय - मौन कुशल है । और जब वह खुद को धोखा देता है, तो धोखा तोड़ने का उपाय भी नहीं बचता। दूसरे को धोखा दें, तो दूसरा बचने की भी कोशिश करता है । आप खुद ही अपने को धोखा दें, तो फिर बचने का भी कोई उपाय नहीं रह जाता। अगर कोई आदमी सोया हो, तो उसे जगाया भी जा सकता है। लेकिन कोई जागा हुआ सोया हुआ बना पड़ा हो, तो उसे जगानां बिलकुल मुश्किल है। कैसे जगाइएगा ? अगर वह आदमी जाग ही रहा हो और सोने का बहाना कर रहा हो, तब फिर जगाना बहुत मुश्किल है। नींद तोड़ देना आसान है, लेकिन झूठी नींद को तोड़ना बहुत मुश्किल है। अज्ञानी को तत्व - ज्ञान की तरफ ले जाना इतना कठिन नहीं है, जितना पंडित को, ज्ञानी को ले जाना मुश्किल हो जाता है। क्योंकि वह कहता है, मैं जानता ही हूं। अभी परसों सुबह एक संन्यासी आए। बीस वर्ष से घूमते हैं, खोजते हैं। कहते हैं, हिंदुस्तान में ऐसा एक महात्मा नहीं, जिसके पास मैं न हो आया हूं। ऐसा एक शास्त्र नहीं, जो उन्होंने न पढ़ा हो। ऐसी एक विधि नहीं, वह कहते हैं, मैंने न कर ली हो। तो मैंने उनसे पूछा, आप सब सत्संग कर लिए, सब शास्त्र पढ़ लिए, सब विधियां कर लीं, अब क्या इरादे हैं? अगर आपको पक्का हो गया है कि आपको अभी तक नहीं मिला, तो ये सब शास्त्र और ये सब सत्संग और सब विधियां बेकार गए। अब इनको छोड़ दें। और अगर मिल गया हो, तो मेरा समय खराब न करें। मुझे साफ-साफ कह दें। अगर मिल गया हो, तो ठीक है, बात समाप्त हो गई। अगर न मिला हो, तो अब इस बोझ को न ढोएं। क्योंकि एक घंटा उन्होंने मुझे ब्योरा बताया, कि वे कौन-कौन सी किताब पढ़ चुके हैं, कौन - कौन महात्मा से मिल चुके हैं, कौन-कौन सी विधि कर चुके हैं। मैंने कहा, इनसे अगर मिल गया हो, तो ठीक है। झंझट मिट गई। अगर न मिला हो, तो अब इस बोझ को न ढोए फिरें । लेकिन यह बात उनको रुचिकर नहीं लगी। यह उनके जीवनभर की संपत्ति है। इससे मिला कुछ नहीं। लेकिन यह अनुभव भी करना कि इससे कुछ नहीं मिला, उसका मतलब होता है कि बीस साल मेरे बेकार गए। वह भी चित्त को भाता नहीं है। बीस साल मैंने व्यर्थ ही गंवाए, वह भी चित्त को भाता नहीं है। मिला भी नहीं है । छोड़ा भी नहीं जाता, जो पकड़ लिया है। ज्ञानी, तथाकथित ज्ञानी की तकलीफ यही है। अपना ज्ञान भी नहीं है और उधार ज्ञान सिर पर इतना भारी है, वह छोड़ा भी नहीं जाता। क्योंकि वह संपत्ति बन गई। उससे अकड़ आ गई। उससे अहंकार निर्मित हो गया है। उससे लगता है कि मैं जानता हूं। बिना जाने लगता है कि मैं जानता हूं। यह जो स्थिति हो, तो तत्व - ज्ञान फलित नहीं होगा। कृष्ण कहते हैं, ज्ञानियों का मैं तत्व-ज्ञान हूं। वे यह नहीं कहते कि ज्ञानियों की मैं जानकारी हूं । ज्ञानियों के पास बड़ी जानकारी, बड़ी इनफर्मेशन है। वे कहते हैं, ज्ञानियों का मैं तत्व - ज्ञान, निजी अनुभव, उनका खुद का बोध, उनका सेल्फ रियलाइजेशन, उनकी | प्रतीति, उनकी अनुभूति मैं हूं। उनकी जानकारी नहीं । यह जो अनुभूति है, यह एक बहुत अनूठी घटना है। एक छोटी-सी कहानी, और अपनी बात मैं पूरी करूं । मैंने सुना है, और टाल्सटाय ने उस पर एक कहानी भी लिखी है, कि रूस में एक झील के किनारे तीन फकीरों का नाम बड़ा प्रसिद्ध हो गया था । और लोग लाखों की तादाद में उन फकीरों का दर्शन करने जाने लगे। और वे फकीर महामूढ़ थे, बिलकुल गैर पढ़े-लिखे थे। कुछ धर्म का उन्हें पता ही नहीं था। यह खबर रूस | के आर्च प्रीस्ट को सबसे बड़े ईसाई पुरोहित को लगी । उसे बड़ी | हैरानी हुई। क्योंकि ईसाई चर्च तो कानूनन ढंग से लोगों को संत घोषित करता है, तभी वे संत हो पाते हैं। यह भी बड़े मजे की बात है ! ईसाई चर्च तो घोषणा करता है कि फलां आदमी संत हुआ। और जब पोप इसकी गारंटी दे देता है कि फलां आदमी संत हुआ, तभी वह संत माना जाता है। इसलिए | ईसाइयत में एक मजेदार घटना घटती है कि दो-दो सौ, तीन-तीन सौ साल हो जाते हैं आदमी को मरे हुए, तब चर्च उनको संत घोषित करता है। जिंदों को तो जला दिया कई दफा चर्च ने जान आफ आर्क को जलाया, वह जिंदा थी तब। फिर सैकड़ों साल बाद उसको संतत्व की पदवी घोषित की, कि वह भूल हो गई, वह संत थी। अभी संत कैसे हो गए ये! हिंदुस्तान होता तो चलता, यहां कोई भी संत हो सकता है। इसकी कोई तकलीफ नहीं है। लेकिन रूस में तकलीफ हुई कि ये संत हो कैसे गए ! तो आर्च प्रीस्ट बड़ा परेशान हुआ। और जब पता चला कि लाखों लोग वहां जाते हैं, तो उसने कहा, यह तो हद हो गई! यह तो चर्च के लिए नुकसान होगा । ये कौन लोग हैं। इनकी परीक्षा लेनी जरूरी है। 227 तो आर्च प्रीस्ट एक मोटर बोट में बैठकर झील में गया। जाकर वहां पहुंचा, तो वे तीनों झाड़ के नीचे बैठे थे। देखकर वह बड़ा
SR No.002408
Book TitleGita Darshan Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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