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________________ परम गोपनीय - मौन खोज असंभव है। बिलकुल असंभव है। खुद को कैसे खोज सकिएगा? और जहां भी खोजने जाइएगा, वहीं दूसरे पर नजर रहेगी। सुना है मैंने कि मुल्ला नसरुद्दीन एक दिन अपने गधे पर बहुत तेजी से बाजार से निकला है। लोगों ने चिल्लाकर भी पूछा कि मुल्ला इतनी जल्दी कहां जा रहे हो ? नसरुद्दीन ने कहा, बीच में मत रोको । मेरा गधा खो गया है। पर वह इतनी तेजी में था अपने गधे पर कि गांव के लोग चिल्लाते भी रहे कि नसरुद्दीन, तुम अपने गधे पर सवार हो ! लेकिन वह उसे सुनाई नहीं पड़ा। सांझ जब वह थका-मांदा वापस लौटा। और दौड़ने की ताकत चली गई। और भागने की हिम्मत टूट गई। जब गधा भी थक गया और खड़ा हो गया, तब नसरुद्दीन को खयाल आया कि मैं भी कैसा पागल हूं। मैं जिसे खोज रहा हूं, उस पर सवार हूं। गांव लौटकर उसने बाजार के लोगों से कहा कि नासमझो, तुमने कहा क्यों नहीं? मैं तो खैर जल्दी में था, इसलिए नीचे ध्यान न दे पाया। लेकिन तुम तो जल्दी में न थे। गांव के लोगों ने कहा, हम तो चिल्लाए थे, लेकिन तुम इतनी जल्दी में थे कि तुम्हें अपना गधा दिखाई नहीं पड़ता था, तो हमारी आवाज क्या सुनाई पड़ सकती थी ! नसरुद्दीन पर हमें हंसी आ सकती है। लेकिन नसरुद्दीन का मजाक गहरा है। हम सब किसकी तलाश में हैं? किसे हम खोज रहे हैं? क्या हम पाना चाहते हैं? हम अपने को ही खोज रहे हैं। हम खुद को ही पाना चाहते हैं। हमें यही पता नहीं कि मैं कौन हूं? मैं क्या हूं? क्यों हूं? यही हमारी खोज है। लेकिन हम दौड़ रहे हैं तेजी से । और जिस पर सवार होकर हम दौड़ रहे हैं, उसी को हम खोज रहे हैं। जो दौड़ रहा है, उसी को हम खोज रहे हैं। जब तक यह दौड़ बंद न हो जाए, हम थक न जाएं, दौड़ समाप्त न हो जाए, तब तक हमें खयाल नहीं आएगा। हमें पता नहीं चलेगा। ये सारे साधन जो धर्मों ने ईजाद किए हैं, आपको थकाने के हैं । ये सारी प्रक्रियाएं जो धर्मों ने विकसित की हैं, ये आपको खूब दौड़ाकर इतना थका देने की हैं कि एक दिन आप खड़े हो जाएं थककर। जिस दिन आप खड़े हो जाएं, उसी दिन आपका अपने से मिलना हो जाए, अपने से पहचान हो जाए। ठहरते ही हम जान सकते हैं, कौन हैं। दौड़ते हम नहीं जान सकते कि कौन हैं। तेज है इतनी रफ्तार हमारी, और तेजी हमारी रोज बढ़ती जाती है । कभी हम पैदल चलते थे। फिर बैलगाड़ी पर चलते थे। फिर मोटरगाड़ी पर चलते थे। फिर हवाई जहाज पर चलते थे। अब हमारे पास अंतरिक्ष यान हैं। हमारी दौड़ की गति रोज बढ़ती जाती है। कभी आपने खयाल किया कि आदमी की गति जितनी बढ़ती जाती है, आदमी का आत्मज्ञान उतना ही कम होता जाता है ! नहीं, खयाल नहीं किया होगा। इसमें कोई संबंध भी नहीं दिखाई पड़ा होगा। आदमी की जितनी स्पीड बढ़ती जाती है, गति बढ़ती जाती है, उससे उसका अपना संबंध छूटता जाता है। वह दूसरे तक पहुंचने में कुशल होता जाता है और खुद तक पहुंचने में अकुशल होता जाता है। किसी दिन यह हो सकता है कि हमारी रफ्तार इतनी | हो जाए कि हम दूर के तारों तक पहुंचने लगें, लेकिन तब खुद तक पहुंचना बहुत मुश्किल हो जाएगा। नसरुद्दीन तो गधे पर सवार था, सांझ तक थक गया । हमारे अंतरिक्ष यान कब थकेंगे? और अगर हमने सूरज की किरण की गति पा ली किसी दिन, तो शायद अनंत अनंत काल लग जाए, | उस गति में हमें आत्मज्ञान का पता ही न चल सके। इसलिए बहुत मजे की बात है, जितने गति वाले समाज होते हैं, उतने अधार्मिक हो जाते हैं। और जितने कम गति वाले समाज होते हैं, उतने धार्मिक होते हैं। जितने कम गति वाले समाज होते हैं, उतना भीतर पहुंचने की संभावना बनी रहती है। जितने गति वाले समाज हो जाते हैं, उतना बाहर जाने की संभावना तो बढ़ जाती है, खुद तक आने की संभावना घट जाती है। आज सारी दुनिया पर घूमते हुए लोग हैं। बहुत पुरानी कहानी | मुझे याद आती है। सुना है मैंने कि ईश्वर ने सारी सृष्टि बना डाली, फिर उसने आदमी बनाया। वह बड़ा खुश था। सारी दुनिया उसने बना डाली। बहुत खुश था। सब कुछ सुंदर था । फिर उसने आदमी बनाया। और उस दिन से वह बेचैन और परेशान हो गया। आदमी ने उपद्रव शुरू कर दिए। आदमी के साथ उपद्रव का जन्म हो गया। तो उसने अपने सारे देवताओं को बुलाया और उनसे पूछा कि एक बड़ी मुश्किल हो गई है। यह आदमी को बनाकर तो गलती हो गई मालूम होती है। और आदमी रोज-रोज उसके दरवाजे पर खड़े रहने लगे। यह शिकायत है, वह शिकायत है। यह कमी है, वह कमी है। ईश्वर ने कहा, अब एक उपाय करो कुछ मैं किसी तरह आदमी से बचना चाहता हूं। मैं कहां छिप जाऊं ? 219 किसी देवता ने कहा, हिमालय पर बैठ जाएं, गौरीशंकर पर । | ईश्वर ने कहा कि तुम्हें पता नहीं, कुछ ही समय बाद हिलेरी और तेनसिंग एवरेस्ट पर चढ़ जाएंगे, फिर मेरी मुसीबत फिर शुरू हो
SR No.002408
Book TitleGita Darshan Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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