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8 गीता दर्शन भाग-
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है। दूसरे को गलत करना चाहते हैं, वह क्या कह रहा है, उससे | | पड़ोसियों को पता न चल जाए कि परमात्मा के पानी का अपमान कोई संबंध नहीं है। एक तो तर्क है, जिसमें हम अपने अहंकार को | | हुआ; वह आहिस्ता-आहिस्ता घर पहुंचा, तरबतर पानी में। सर्दी सिद्ध करना चाहते हैं, दूसरे को गलत करना चाहते हैं। पकड़ गई, बुखार आ गया, निमोनिया हो गया।
इसलिए कई दफा ऐसा होता है कि आपकी ही बात भी अगर तीन दिन बाद वह अपनी खिड़की में बैठा है अपनी दुलाई ओढ़े दूसरा कह रहा हो, तो भी आप उसको गलत सिद्ध किए बिना नहीं हुए। देखा कि नसरुद्दीन बाजार से लौट रहा है। पानी की थोड़ी-सी मान सकते। दूसरा सदा गलत होता है! होना चाहिए। आप सदा सही बूंदें आईं। नसरुद्दीन भागा। उस मौलवी ने चिल्लाकर कहा कि ठहर हैं। अपने लिए आप कुछ भी तर्क का उपयोग करते हैं। लेकिन यह नसरुद्दीन! भगवान का अपमान कर रहा है? नसरुद्दीन ने कहा कि सत्य की जिज्ञासा से नहीं, यह केवल अहंकार की तृप्ति के लिए है। नहीं; भगवान का पानी गिर रहा है, कहीं मेरा पैर उस पर न पड़
ऐसा तर्क भ्रष्ट तर्क है। इसको भारत कुतर्क कहता है। यह जाए और अपमान न हो जाए, इसलिए घर जा रहा हूं! कितना ही विकसित हो जाए, इससे कोई मनुष्य के जीवन में यह डबल बाइंड माइंड है। इसमें तर्क सदा अपने लिए है। इसमें रूपांतरण नहीं होता।
सचाई से कोई प्रयोजन नहीं है। सदा तर्क अपने लिए है। एक और तर्क भी है, जो हम सत्य की खोज के लिए करते हैं। . कृष्ण कहते हैं, वैसा मैं तर्क नहीं हूं। सत्य के निर्णय के लिए जो तब यह सवाल नहीं है कि दूसरा गलत कह रहा है। तब सवाल यह आतुर हैं, सत्यनिष्ठ, जिन्हें इससे प्रयोजन नहीं है कि पक्ष में पड़ेगा है कि सही क्या है? कौन कह रहा है, यह मूल्यवान नहीं है। क्या है कि विपक्ष में, मैं हारूंगा कि जीतूंगा; जिन्हें प्रयोजन इतना है कि सही, यही मूल्यवान है। कोई भी सही कह रहा हो, तो हम तर्क की | | सत्य क्या है, उसकी परख हो जाए, उसका पता चल जाए; ऐसे कोशिश करते हैं, उस सही की जांच के लिए। तर्क तो एक कसौटी सत्य के लिए किया गया वाद, ऐसे सत्य की जिज्ञासा के लिए किया है। जैसे कोई सोने को कसता है कसौटी पर, ऐसे ही तर्क विचार की गया तर्क मैं हूं। क्षमता, निर्णय और निर्णय का शास्त्र एक कला है। उस पर कसना | इसलिए भारत में तर्क को हमने एक बहुत ही और ढंग से लिया। है, कि जो भी कहा जा रहा है, वह कितने दूर तक सही है। यूनान ने तर्क को विकसित किया, लेकिन सोफिस्ट्री की तरह।
लेकिन हम नहीं कस पाते. क्योंकि हम सही को तो पहले से ही यनान में स्कल थे सोफिस्टों के. जो लोगों को तर्क करना सिखाते जानते हैं! हम सब मानते हैं कि सत्य तो हमें पता ही है। इसलिए थे पैसे लेकर। कोई भी फीस दे दे, वह छः महीने, साल भर, दो अगर दूसरा हमसे मेल खा रहा है, तो सही है। और अगर हमसे साल में तर्क की शिक्षा दे देंगे। तर्क की शिक्षा का मतलब यह था मेल नहीं खा रहा है, तो गलत है। हम कसौटी हैं।
कि तुम किसी को भी हराना चाहो, तो हरा सकते हो। किसी को हम कसौटी नहीं हो सकते। तर्क कसौटी है। और तर्क तो | भी। यह सवाल नहीं है कि किसको हराना है। तुम्हें हम तरकीबें बिलकुल निष्पक्ष कसौटी है, अपने को भी उसी पर कसो और दूसरे | सिखा देते हैं, इनमें तुम किसी को भी फंसा ले सकते हो, कोई भी को भी उसी पर कसो। और डबल बाइंड, दोहरा चित्त न हो, दूसरे हार जाएगा। के लिए कुछ और, हमारे लिए कुछ और।
__ एक बहुत बड़ा सोफिस्ट था, जीनो। जीनो ने घोषणा कर रखी सुना है मैंने, एक दिन मुल्ला नसरुद्दीन अपने घर के बाहर बैठा थी कि किसी को भी हराना हो. तो मैं तर्क की शिक्षा देता है। और है। और गांव का जो मौलवी है, वह मस्जिद से नमाज पढ़कर लौट | वह इतना आश्वस्त था कि जब भी वह किसी विद्यार्थी को लेता था रहा है। अचानक बरसा आ गई, तो वह तेजी से भागा। मुल्ला ने अपनी तर्क की शिक्षा के लिए, तो उससे आधी फीस लेता था। और कहा कि ठहरो! शर्म नहीं आती, धार्मिक आदमी होकर और भागते कहता था, आधी तब देना, जब तुम किसी से तर्क में जीत जाओ। हो? वह मौलवी भी थोड़ा घबड़ाया कि धार्मिक आदमी होने से एक विद्यार्थी आया, अरिस्तोफेनीज, और उसने आधी फीस दी, भागने का क्या लेना-देना! उसने कहा, क्या मतलब? मुल्ला ने | और गुरु से शिक्षा ली दो साल। और दो साल के बाद गुरु राह कहा, परमात्मा पानी बरसा रहा है और तुम भागकर परमात्मा का | । देखने लगा कि वह किसी से तर्क में जीते, तो आधी फीस ले ले। अपमान कर रहे हो? किसका पानी है यह? यह जल किसका है? लेकिन अरिस्तोफेनीज ने उस दिन से किसी से विवाद ही नहीं मौलवी भी डर गया, और अपनी इज्जत की रक्षा के लिए और | किया। यहां तक कि अगर उससे कोई कहे दिन में भी कि रात है,
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