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ॐ शस्त्रधारियों में राम
यह मैं आपसे कहना चाहूंगा कि पानी, जब भी कोई व्यक्ति, जैनों के बाईस तीर्थंकर पार्श्वनाथ हिल्स पर निर्वाण को उपलब्ध अपवित्र व्यक्ति पानी के पास बैठता है-अंदर जाने की तो बात हुए हैं। एक ही पर्वत पर बाईस तीर्थंकर निर्वाण को उपलब्ध हुए हैं, अलग-पानी के पास भी बैठता है, तो पानी प्रभावित होता है। चौबीस तीर्थंकर में से। यह आकस्मिक नहीं मालूम होता, क्योंकि और पानी उस व्यक्ति की तरंगों से आच्छादित हो जाता है। और बाईस तीर्थंकर चौबीस में। हजारों साल का फासला है। इन हजारों पानी उस व्यक्ति की तरंगों को अपने में ले लेता है। | साल में ये बाईस व्यक्ति अपने मरने के क्षण में एक छोटी-सी
इसलिए दुनिया के बहुत धर्मों ने पानी का उपयोग किया है। पहाड़ी पर पहुंच गए। ईसाइयत ने बप्तिस्मा, बेप्टिज्म के लिए पानी का उपयोग किया है। ___ यह पूर्व नियोजित है, आयोजित है। उस पूरे पहाड़ को चार्ज
जीसस को जिस व्यक्ति ने बप्तिस्मा दिया, जान दि बेप्टिस्ट ने, करने की चेष्टा जैन तीर्थंकरों ने की है। वह पूरा पहाड़-जब एक उस आदमी का नाम ही पड़ गया था जान बप्तिस्मा वाला। वह तीर्थंकर अपने शरीर को छोड़ता है, तो यह घटना उस घटना से बड़ी जोर्डन नदी में और जोर्डन यहूदियों के लिए वैसी ही नदी रही, है, जब एक अणु का विस्फोट होता है। लेकिन वह हमें पता चल जैसी गंगा हिंदुओं के लिए वह जोर्डन नदी में गले तक आदमी गई है; अभी दूसरी घटना हमें पता नहीं चली है। को डुबा देता, खुद भी पानी में डूबकर खड़ा हो जाता, फिर उसके | वैज्ञानिक अब कहते हैं कि एक अणु के विस्फोट से इतनी ऊर्जा सिर पर हाथ रखता और प्रभु से प्रार्थना करता उसके इनीशिएशन | पैदा होती है कि सारी पृथ्वी आग से भर जाए। हिरोशिमा में जो अणु की, उसकी दीक्षा की।
का विस्फोट हुआ, उसमें एक लाख बीस हजार आदमी पांच सेकेंड पानी में क्यों खड़ा होता था जान? और पानी में दूसरे व्यक्ति को | | में राख हो गए। अणु आंख से दिखाई नहीं पड़ता, इतनी छोटी चीज खडा करके क्या कछ एक व्यक्ति की तरंगें और एक व्यक्ति के है। और अण के विस्फोट का मतलब क्या है? अण के विस्फोट प्रभाव और एक व्यक्ति की आंतरिक दशा का आंदोलन दूसरे तक का मतलब है कि अणु तीन, इलेक्ट्रान, प्रोटान, न्यूट्रान से मिलकर पहुंचना आसान है?
बनता है। उन तीनों को अलग कर दिया जाए, तो जिस शक्ति के आसान है। पानी बहुत शीघ्रता से चार्ड हो जाता है। पानी बहुत | द्वारा वे तीनों जुड़े थे, वह शक्ति रिलीज हो जाती है, मुक्त हो जाती शीघ्रता से व्यक्तित्व से अनुप्राणित हो जाता है। पानी पर छाप बन है। वही शक्ति एक लाख बीस हजार आदमियों को पांच सेकेंड में जाती है।
राख कर देती है। लाखों-लाखों वर्ष से भारत के मनीषी गंगा के किनारे बैठकर एक छोटा-सा अणु जो आंख से दिखाई नहीं पड़ता! अगर हम प्रभु को पाने की चेष्टा करते रहे हैं। और जब भी कोई एक व्यक्ति अणु को समझना चाहें, तो अगर एक लाख अणुओं को एक के ने गंगा के किनारे प्रभु को पाया है, तो गंगा उस उपलब्धि से वंचित | ऊपर एक रखें, तो आपके बाल की मोटाई के बराबर होंगे। एक नहीं रही, गंगा भी आच्छादित हो गई है। गंगा का किनारा, गंगा की | | इतना छोटा-सा अणु एक लाख बीस हजार आदमियों को राख कर रेत के कण-कण, गंगा का पानी, सब, इन लाखों वर्षों में एक देता है विस्फोट से। विशेष रूप से स्प्रिचुअली चार्ड, आध्यात्मिक रूप से तरंगायित | और जब एक तीर्थंकर की आत्मा उसके शरीर से छूटती है, तो हो गया है।
जो शक्ति आत्मा को और शरीर को बांधे हुए थी, वह रिलीज होती इसलिए हमने गंगा के किनारे तीर्थ बनाए। इसलिए लोग गंगा है, पहली दफा। करोड़ों-करोड़ों वर्षों से यह आदमी शरीर से बंधा की यात्रा करते रहे। इसलिए लोग सोचते थे कि गंगा में जाकर पाप रहा है। अब इसकी आत्मा सदा के लिए शरीर को छोड़ रही है। धल जाएंगे। वह पाप गंगा की वजह से नहीं धल सकते, लेकिन | शरीर और इसको बांधने वाली जो शक्ति थी, वह छूटेगी। वही गंगा के पास जो मिल्यु है, गंगा के पास जो वातावरण है, वह जो | शक्ति इस पहाड़ पर बिखर जाएगी। लाखों-लाखों वर्षों की छाया है, उस छाया में जरूर आप अगर बाईस तीर्थंकर जाकर उस पहाड़ को इलेक्ट्रिफाइड कर दिए, वह अपने हृदय के द्वार खोलें, तो आप दूसरे आदमी होकर वापस लौट पहाड़ मैग्नेटिक हो गया। फिर इसके बाद लाखों वर्षों तक लोग उस सकते हैं। गंगा एक आध्यात्मिक यात्रा भी है, एक नदी ही नहीं। । | पहाड़ की तीर्थयात्रा करते रहे हैं, इस आशा में कि वह मैग्नेटिज्म, और इस तरह के बहुत-से प्रयोग हुए हैं।
वह चुंबक, उनके प्राणों को भी छू ले और स्पर्श कर ले।
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