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________________ - गीता दर्शन भाग-58 हैं। जाए, अब दूसरा आदमी कमजोर हो गया, अब आप ताकतवर हैं, का भाव ही तिरोहित हो जाता है, वे ही लोग दूसरे से श्रेष्ठ होने की अब हिंसा होगी। कोशिश बंद कर देते हैं! ___ चरित्र की असली परीक्षा तभी है, जब शक्ति पास में हो। जिनके | यह बड़े मजे की बात है। इस जगत में श्रेष्ठ लोग ही श्रेष्ठ बनने पास शक्ति नहीं है, उनके चरित्र का कोई भरोसा नहीं है। उनका की कोशिश नहीं करते। हीन लोग श्रेष्ठ बनने की कोशिश क चरित्र केवल कमजोरी हो सकती है। राम के हाथ में शस्त्र गलत आदमी के हाथ में शस्त्र हैं। गलत इसलिए इस दुनिया में जितने चरित्रवान लोग दिखाई पड़ते हैं, इसलिए कह रहा हूं कि रावण के हाथ में तो ठीक आदमी के हाथ निन्यानबे प्रतिशत तो कमजोरी की वजह से चरित्रवान होते हैं। में हैं। रावण की आत्मा और शस्त्रों के बीच सेतु है, संबंध है, एक इसलिए इतने चरित्रवान भी दिखाई पड़ते हैं, इतनी चरित्र की बात हार्मनी है, एक संगीत है। राम और शस्त्र के बीच कोई सेतु नहीं भी होती है और दुनिया रोज चरित्रहीनता में उतरती जाती है। है। एक खाई है, अलंघ्य खाई है, अनब्रिजेबल गैप है। वही राम कमजोर आदमी को ताकत दो और उसका चरित्र बह जाएगा। की खूबी भी है। शस्त्र हैं और राम हैं, और उन दोनों के बीच कोई सबसे पहली जो दर्घटना होगी. वह चरित्र की हत्या हो जाएगी। सेतु नहीं है। रावण के हाथ में ठीक मालूम पड़ते हैं शस्त्र, लेकिन कमजोर आदमी को किसी तरह की ताकत दो-धन दो. पद दो. खतरनाक हैं। क्योंकि जब भीतर हिंसा हो और शस्त्र हाथ में हों, राजनीति की कोई सत्ता दो-सारा चरित्र बह जाएगा। तो हिंसा गुणित होती चली जाएगी, मल्टीप्लाइड हो जाएगी। हम इस मुल्क में भलीभांति जानते हैं। जिनको आजादी के पहले पिछले महायुद्ध में फ्रांस पर जब हमला हुआ, तो फ्रांस की एक हमने चरित्रवान समझा था, ठीक आजादी के बाद एक रात में उनके | पहाड़ी पूरी तरह ध्वस्त हो गई। और युद्ध के बाद जब उस पहाड़ी चरित्र बह गए। जो सेवक की तरह बिलकुल भोले-भाले मालूम में खुदाई की जा रही थी, तो एक बहुत हैरानी की घटना घटी। उस पड़ते थे, वे सत्ताधिकारी की तरह ठीक चंगेज और तैमूर के वंशज | पहाड़ी में खुदाई करते वक्त आधुनिक युग के बमों के पड़े हुए शेल सिद्ध होते हैं। क्या हो जाता है रातभर में? क्या शक्ति लोगों को | | एक गुफा में उपलब्ध हुए हैं, जो पत्थरों में छिद गए थे। और वहीं नष्ट कर देती है? पच्चीस हजार वर्ष पुराने पत्थर के औजार भी उस गुफा में पड़े थे। नहीं, लोग कमजोरी की वजह से केवल चरित्रवान थे। हाथ में | वे दोनों एक साथ उपलब्ध हुए। पच्चीस हजार साल पुराना पत्थर ताकत आती है और सब चरित्र खो जाता है। परीक्षा शक्ति के बाद का औजार और आधुनिक युग के बम की खोल, वे दोनों एक साथ ही पता चलती है। एक ही गुफा में उपलब्ध हुईं। निश्चित ही, शक्ति पाने के लिए कमजोर लोग उत्सुक होते हैं। पच्चीस हजार साल पहले आदमी पत्थर से मार रहा था, आदमी होते ही वे हैं। मनसविद कहते हैं कि जिनके भीतर इनफीरिआरिटी यही था। पच्चीस हजार साल बाद यह बमों से मार रहा है, आदमी कांप्लेक्स है. जिनके भीतर हीनता का भाव है, वे ही लोग पदों की वही है। विकास आदमी का जरा नहीं हुआ. लेकिन पत्थर के तरफ आकर्षित होते हैं। इसलिए अगर इनफीरिआरिटी कांप्लेक्स औजार से एटम बम तक विकास हो गया। आदमी वही है। से पीड़ित लोगों को देखना है, तो किसी भी देश की राजधानी में वे | इसलिए लोग कहते हैं कि मनुष्यता विकसित हो रही है, वह जरा मिल जाएंगे। सब वहां मिल जाएंगे इकट्ठ। | संदिग्ध बात है। अस्त्र-शस्त्र विकसित हो रहे हैं, यह निस्संदिग्ध जिनके भी मन में यह भय है कि मैं क्षुद्र हूं, मैं कुछ भी नहीं हूं, बात है। मनुष्यता विकसित होती नहीं दिखाई पड़ती। एवोल्यूशन, वे किसी पद पर बैठकर अपने और दूसरों के सामने सिद्ध करना | विकास, वस्तुओं का हो रहा है। चाहते हैं कि मैं कुछ हूं। नोबडी वांट्स टु बी नोबडी। कोई नहीं | पच्चीस हजार साल पहले जिस आदमी ने पत्थर के औजार से पसंद करता कि मैं कोई भी नहीं हूं। हर एक के भीतर खयाल है कि किसी की हत्या की होगी और पच्चीस हजार साल बाद जिसने बम मैं कुछ हूं। कुछ हूं, लेकिन यह किसको कहूं, कैसे कहूं, जब तक | | से हत्या की, इनके हत्या करने का पैमाना बड़ा हो गया। पत्थर के कि हाथ में ताकत न हो। हाथ में ताकत हो, तो कहूं कि मैं कुछ हूं। औजार से आप एकाध को मार सकते थे, एटम से आप लाखों को सिर्फ वे ही लोग ताकत की दौड़ से बच सकते हैं, जो बिना कहे | एक साथ मार सकते हैं। एक हाइड्रोजन बम कोई एक करोड़ भीतर हीनता की ग्रंथि से मुक्त हो जाते हैं। जिनके भीतर हीन होने आदमियों को एक साथ मार सकता है। और अभी जमीन पर पचास
SR No.002408
Book TitleGita Darshan Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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