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पश्चिम में काम-तृप्ति की पूर्ण सुविधाएं / नई अतृप्ति, नई पीड़ा-कामवासना की व्यर्थता का बोध / फ्रायड बुद्ध, महावीर, कृष्ण के साथ जुड़े-तो समाधान / वासना दीन और दरिद्र बनाती है / कामदेव अर्थात ऊर्ध्वगामी काम-ऊर्जा / बहिर्गमन-अंतर्गमन-अगति / तीन कोटिया-मनुष्य, देव, भगवान / देवता के भी पार जाना / सत्यं, शिवं, सुंदरम्-सब काम-ऊर्जा का विस्तार है / खजुराहो और कोणार्क के अदभुत मंदिर / गांधी और पुरुषोत्तमदास टंडन का सुझाव-इन मंदिरों को मिट्टी से ढांकने का / कामवासना से भय और छिपाव का कारण क्या है / ज्ञान शक्ति है; ज्ञान मुक्ति है । काम को दिव्य बनाना है / तंत्र के प्रयोग/ आदमी पशु से भी नीचे गिर सकता है / मनोगत कामविकृति / हमारी कपड़ों में ढंकी नग्नता / हम शरीर को नहीं-मन को ढांकते हैं / कुंठित-रस / झेन कथाः तुम अभी भी युवती को कंधे पर रखे हो / मानसिक व्यभिचार / जिससे लड़ोगे, उस जैसे हो जाओगे / सपना भी आपका है / ध्यान का एक प्रयोगः वासना के क्षणों में चेतना को सिर के ऊपरी भाग पर ले जाना / परम आनंद का जन्म-चेतना के सहस्रार से ऊपर निकलने पर / जीवन का परम स्वीकार कृष्ण में, हिंदू-धर्म में / बुद्ध, महावीर और गांधी के आधार पर श्वीत्जर द्वारा हिंदू-धर्म की आलोचना / ईसाइयत ज्यादा जीवन-निषेधक है / सीता और गोपियों के साथ हमने राम और कृष्ण को भगवान स्वीकार किया है / ईसाइयत की काम-दमन की शिक्षा की प्रतिक्रिया / भारत की मूल-धारा-जीवन का स्वीकार-उसकी समग्रता में, पूर्णता में / शासन करने वालों में यमराज हूं / मृत्यु होगी ही / जीवन में सब असमान है / मृत्यु में सब समान है / मृत्यु में न कोई अपवाद है, न कोई पक्षपात / पूर्ण समाजवाद कभी नहीं आ सकता / नियम बिलकुल तटस्थ है / महावीर ने कहाः नियम काफी है, परमात्मा की कोई जरूरत नहीं / दैत्यों में मैं प्रह्लाद हूं / विपरीत परिस्थितियों में भी व्यक्ति का धार्मिक होना संभव / परिस्थिति का उपयोग कर लेना / महात्मा गांधी द्वारा अपने पुत्र हरिदास पर अतिशय अनुशासन थोपना / हरिदास की प्रतिक्रिया-मुसलमान हो जाना; सब विपरीत करना / चुनौतियों से विकास / कीचड़ से कमल का जन्म / उलटी खोपड़ी मुल्ला का बालिग हो जाना : व्यंग्य-कथा / जीवन की ध्रुवीय गत्यात्मकता / सम्यक शिक्षा / गिनती करने वालों में मैं समय हूं / आपके हाथ में एक क्षण से ज्यादा कभी नहीं होता / जिंदगी के गिने हुए क्षण / संबोधि के बाद बुद्ध का जीना–पूर्व-अर्जित त्वरा से / समय का गणित बिलकुल पक्का है / अर्जुन न तो मार सकता, न जिला सकता / मरने वाले मारे जाएंगे-नियतिवश।
शस्त्रधारियों में राम ... 177
वायु स्वतंत्रता और पवित्रता का प्रतीक है / सतत प्रवाह में है जीवंतता / महावीर ने कहा है : संन्यासी तीन दिन से ज्यादा एक जगह न रुके / गृहस्थ डबरा बन जाता है / संन्यासी भी हिंदू है, जैन है, ईसाई है, तो डबरा बन गया / वायु पवित्रता के कारण पारदर्शी है / लोकोक्ति है कि पवित्र पुरुषों की छाया नहीं बनती / हम अशुद्धि के कारण ठोस दीवाल की तरह हो जाते हैं / बोधकथा : फकीर की छाया का स्पर्श जीवनदायी हो गया / पवित्रता में अहंबोध शेष नहीं रह जाता / चेतना अदृश्य है / परमात्मा अदृश्य है / शस्त्रधारियों में मैं राम हूं / परम शांति, आनंद और धन्यता से भरे राम के हाथ में शस्त्र हैं / राम अनूठे हैं / राम हैं-बुद्ध और रावण एक साथ / शस्त्र खतरनाक हैं-रावण के हाथ में / शक्ति हाथ में आते ही भीतरी व्यभिचारवृत्ति प्रकट हो जाती है / कमजोर आदमी का तथाकथित चरित्र / हीनता की ग्रंथि से पीड़ित लोगः पद और प्रतिष्ठा की खोज / पत्थर के शस्त्रों से एटम बम तक यात्रा-आदमी वही का वही / अच्छे लोगों के जीवन संघर्ष से बाहर हट जाने से बुराई को बल मिलना / शक्ति भले आदमी के हाथ में हो / रावण की असली पराजय–कि वह राम को अपने जैसा नहीं बना पाया / राम की ऊंचाइयों का रावण को बोध है / सीता का चोरी जाना युद्ध का कारण नहीं है-युद्ध का बहाना है / राम अभिनेता हैं / गंगा भारत की आत्मा है / गंगा पृथ्वी पर सबसे ज्यादा जीवंत नदी है / गंगा-जल के विशिष्ट रासायनिक गुण-सड़ता नहीं / सब अशुद्धियों को विलीन कर लेना / लाखों-लाखों लोगों को बुद्धत्व घटित-गंगा के किनारे / संबोधि की तरंगों को आत्मसात करने की विशिष्ट क्षमता-पानी में / जान द बेप्टिस्ट द्वारा नदी में शिष्य को खड़ा करके उसे दीक्षित करना / आध्यात्मिक ऊर्जा से तरंगायित गंगा का कण-कण / गंगा एक आध्यात्मिक यात्रा है / पार्श्वनाथ की पहाड़ी पर बाईस तीर्थंकरों का देहत्याग करना / पूरी पहाड़ी चार्ल्ड हो गई / शरीर का और आत्मा का जोड़ टूटने पर विराट ऊर्जा का बिखरना / हिंदुओं द्वारा गंगा पर प्रयोग करना / अरब में कुफा नामक एक गांव पर सूफियों द्वारा प्रयोग / केवल असली मुसलमान का वहां प्रवेश / कृष्ण ने कहाः विद्याओं में मैं आत्म-विद्या हं / स्वयं को छोड़कर शेष सब जान लेना / दस अंधों का अपने को नौ गिनना : बोधकथा / सारी विद्याएं दूसरों को गिनना है-स्वयं को छोड़ कर / मनोवैज्ञानिक की दीनता-स्वयं के मन के संबंध में / रामकृष्ण, मोहम्मद और कबीर-बेपढ़े-लिखे आत्मज्ञानी हैं / मृत्यु जिसे छीन ले, वह ज्ञान नहीं है / जब सिकंदर ने एक संन्यासी भारत से यूनान ले जाना चाहा / श्वेतकेतु,