________________
* गीता दर्शन भाग-44
वह गालियां बक लेता है। जो बेहूदगियां उसने सालभर नहीं की, | कमी थी, तो उसने यह व्यवस्था बदल दी। उसने बंदरों को बुलाकर अब वह मजे से कर लेता है।
| कहा कि आज से नियम बदलता है; सुबह तुम्हें तीन रोटी मिलेंगी नैतिक आदमी को भी बहाने खोज-खोजकर अपनी अनीति को और शाम तुम्हें चार रोटी मिलेंगी। छुट्टी का अवसर देना पड़ता है। क्योंकि थक जाएगा; विश्राम जरूरी बंदरों ने बगावत कर दी। बंदर बहुत नाराज हुए। उन्होंने कहा, है, छुट्टी का दिन जरूरी है। और अगर जागने में नहीं दे पाता, तो यह नहीं चलेगा। यह हो ही नहीं सकता। सुबह चार रोटी ही चाहिए नींद में छुट्टी देनी पड़ती है। तो सपनों में सब बुरे कर्म कर लेता है; और शाम को तीन रोटी ही चाहिए। जो दिनभर दबाए रखे, वह रात सपनों में प्रकट हो जाते हैं। | उस आदमी ने बहुत समझाया कि तुम बिलकुल पागल हो, जोड़
अगर हम अच्छे आदमी के सपने देखें, तो वे अनिवार्य रूप से | | तो करो। जोड़ तो सात ही होता है। बंदरों ने कहा, जोड़-वोड़ से बुरे होते हैं। बुरे आदमी के सपने इतने बुरे नहीं होते। कारण नहीं है। | हमें मतलब नहीं है। चार रोटी सुबह चाहिए, तीन रोटी शाम बुरा आदमी दिन में ही बुरा कर लेता है, रात मजे से सो जाता है। | चाहिए। सुबह तीन रोटी दे दी जाएं, शाम चार रोटी दे दी जाएं; बंदर अक्सर तो ऐसा होता है कि बुरा आदमी रात में बड़े अच्छे सपने |
बड़े नाराज हुए। देखता है। कांप्लिमेंट्री है। दिनभर बेचैन रहता है। कई दफा मन में लेकिन बंदर जोड़ नहीं जानते; क्षमा किए जा सकते हैं। आदमी उसके भी आता है कि अच्छा आदमी हो जाऊं। हो नहीं पाता, वह | भी जोड़ नहीं जानता है! नीचे को ऊपर कर लेते हैं, ऊपर को नीचे वासना अतृप्त रह जाती है। बुरा तो वह कर लेता है, जो करना है कर लेते हैं। सोचते हैं, सब ठीक हो गया। सिर्फ जोड़, जोड़ तो उसे। अच्छे की वासना अतृप्त रह जाती है, रात सपना बन जाती है। वही रहता है। __ अच्छा आदमी रात बुरे सपने देखता है। दिनभर तो अच्छा कर अच्छे और बुरे आदमी का जोड़ बराबर है। यह जरा कठिन लेता है सम्हालकर, लेकिन भीतर बुरे का रंग और राग बजता रहता | मालूम पड़ेगा। लेकिन मैं आपसे कहना चाहता हूं, अच्छे और बुरे है; भीतर बुरे की ध्वनि बजती रहती है। वह मांग करती रहती है कि आदमी का टोटल, जोड़ बराबर है; ऊपर और नीचे का फर्क है। छुट्टी थोड़ी मुझे दो, बहुत ज्यादा लगाम मत खींचो। थोड़ा मुझे | | एक में चार रोटी सुबह हैं, तीन रोटी शाम हैं; एक में तीन रोटी सुबह फुर्सत दो, मैं दौड़ सकूँ। हवाएं अच्छी हैं, रास्ता साफ है, सुबह का हैं, चार रोटी शाम हैं। वक्त है, थोड़ा मुझे दौड़ लेने दो। नहीं देता, तो रात जब सो जाता इसका यह मतलब नहीं है कि मैं आपसे यह कह रहा हूं कि अगर है, लगाम छूट जाती है ढीली, तब मन दौड़ना शुरू हो जाता है। | आप अच्छे आदमी हों, तो बुरे आदमी हो जाएं। इसका यह मतलब
एक मजे की बात है कि आदमी ने दिन में जो दबाया हो, वही रात नहीं है। इसका यह मतलब है कि आप अगर अच्छे आदमी हैं, तो उसके सपनों में प्रकट होता है। जो-जो दबाया हो, वही प्रकट हो | अच्छे आदमी ही मत रह जाना। जाता है। सपने सहयोगी हैं। फ्रायड कहता है, सपने सहयोगी हैं। क्योंकि अच्छे आदमी की उपयोगिता है। जहां तक समाज का
अगर अच्छा आदमी सो न सके, तो पागल हो जाएगा। अगर | संबंध है, समाज का काम पूरा हो गया। उसे आपके भीतर से कोई बुरा आदमी न सो सके, वह भी पागल हो जाएगा। क्योंकि विश्राम | मतलब नहीं है कि जोड़ क्या है। समाज का काम पूरा हो गया। चाहिए। वह जो दूसरा हिस्सा मांग कर रहा है, जिसको आप | आपका अच्छा चेहरा ऊपर आ गया, बुरा चेहरा आपके भीतर चला दबाकर बैठ गए हैं, उसको भी मौका चाहिए। वह भी आपका | गया। वह आपकी बात हो गई। उसका कोई सामाजिक अर्थ नहीं हिस्सा है।
है। समाज जानता है कि आप अच्छे आदमी हैं। आप समाज के कृष्ण इस आदमी को शुद्ध बुद्धि नहीं कहेंगे। वे कहेंगे कि ये | लिए अच्छे आदमी हो गए, समाज की बात पूरी हो गई। दोनों एक जैसे हैं। सिर्फ एक चीज नीचे थी, वह ऊपर आ गई; जो __ समाज को इससे ज्यादा चिंता नहीं है कि अब आप और कुछ ऊपर था, वह नीचे आ गया। लेकिन टोटल, जोड़ वही है। | हों। अच्छे आदमी से समाज राजी है। पर्याप्त है। समाज चाहता है,
मैंने सुना है कि एक सर्कस में बंदरों की एक जमात है। और बुरे आदमी आप न हों। आपका बुरा पहलू आपके भीतर हो, अच्छा बंदरों को सम्हालने वाला जो आदमी है, वह रोज सुबह उन्हें चार पहलू बाहर हो। क्योंकि समाज का मतलब ही है कि हमारे बाहरी रोटी देता है और सांझ को तीन रोटी देता है। एक दिन रोटी की कुछ पहलुओं का जो मिलन है, उसका नाम समाज है।
322