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* गीता दर्शन भाग-44
मुश्किल हो जाएगी।
कहा है कि बीच से जिन लोगों को उठना हो, वे कल से बीच में क्योंकि हम सबकी आदत मुर्दा महात्माओं को देखने की हो गई | | बिलकुल न बैठे। वे बाहर रहें। बीच से उठकर कल से कोई : है। जितना मरा हुआ आदमी हो, उतना बड़ा महात्मा मालूम होता | जाएगा, तो आप जो पास में बैठे हैं, उसको बिठालें, लीलापूर्वक! है। जीवन की जरा-सी पुलक दिखाई न पड़े। और क्षुद्रतम बातों को | | उससे कहें कि बैठ जा! पांच मिनट कीर्तन में सम्मिलित हों, फिर भी वह गंभीरता दे देता है। और कृष्ण जैसे व्यक्ति विराटतम बातों | | विदा हों। को भी गैर-गंभीर आनंद दे देते हैं। क्षुद्रतम बातों को! वह पूछेगा कि यह खाना कितनी देर का बना है? यह ब्राह्मण ने बनाया है कि नहीं बनाया? इसको किसी स्त्री ने तो नहीं छ दिया?
यह महात्मा है! यह खाने तक को प्रफुल्लता से नहीं ले सकता। यह खाने में भी गणित रखता है! यह पूछता है कि घी कितने पहर का है ? इतने पहर से ज्यादा हो गया, तो फिर घी नहीं ले सकता! यह दूध गाय का है कि नहीं?
यह जो बुद्धि है, यह जीवन को लीला नहीं बना सकती। यह जीवन को अति गंभीर बना देती है। अगर एक स्त्री बैठी हो, उठ जाए, तो यह महात्मा पूछेगा, स्त्री को उठे हुए इस जमीन से कितनी देर हुई? क्योंकि उसके हिसाब हैं, गणित हैं, कि स्त्री जब यहां से उठ जाए, तब इतनी देर तक भी उसका प्रभाव उस जमीन के टुकड़े पर रहता है। तो तब तक महात्मा वहां नहीं बैठेगा। अगर आप रुपया महात्मा को देंगे, तो वह अपने हाथ में नहीं लेगा; छोड़ भी नहीं सकता। वह एक शिष्य को साथ में रखेगा; उसको दिलवाएगा! क्योंकि रुपया लेना पाप है। लेकिन बिना रुपए लिए भी नहीं चल सकता, तो यह पाप दूसरे से करवाता रहेगा! ....
ये जो गुरु-गंभीर लोग हैं, हिंदू धर्म के प्राण इन्होंने ले डाले। हिंदू धर्म जमीन पर अकेला हंसता हुआ धर्म था और जिसमें हंसने की प्रगाढ़ क्षमता थी। उदासी जिसका लक्ष्य न था, आनंद जिसका गंतव्य था। लेकिन मूल सूत्र खो जाते हैं। और अक्सर ऐसा होता है कि हम वही करने लगते हैं, जो हम करना चाहते हैं।
जीवन को लीला की दृष्टि से देखा जा सके, तो कृष्ण का यह सूत्र आपको स्पष्ट हो जाएगा कि कैसे कोई जीवन-शक्ति इतने विराट जाल को रचते हुए दूर खड़े रहकर देख सकती है, अनासक्त!
इसलिए कृष्ण कहते हैं, यह मुझे बांधता नहीं है। क्योंकि बांधती है आसक्ति, कर्म नहीं। और अगर कर्म अनासक्त हो, तो बंधन नहीं होता है।
शेष हम कल बात करेंगे। लेकिन पांच मिनट रुकें। कोई उठे न! देखें पहले भी आपको
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