________________
६ सृष्टि और प्रलय का वर्तुल
का कोई उपाय नहीं, सभी कुछ अनेक है।
आज इतना ही।
लेकिन पांच मिनट उठेंगे नहीं। मैं रोज आपसे कहता हूं, फिर | भी बीच से लोग उठकर किनारे आ जाते हैं। आप वहीं बैठे रहें। बैठकर ही ताली बजाएं, कीर्तन में साथ दें, वाणी दोहराएं। प्रभु का स्मरण कर लें पांच मिनट। फिर हम विदा हों। यही प्रसाद है।
105